पाठ में आये कठिन शब्दों के अर्थ
- हिमालय – भारत का एक बड़ा पर्वत (बर्फ से ढका पर्वत)
- चरण तले – पैरों के नीचे
- सिंधु – समुद्र
- झूमता है – लहरों के साथ हिलता हुआ
- गंगा यमुन त्रिवेणी – गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन
- लहर रही हैं – बह रही हैं
- जगमग – चमकती हुई
- छटा निराली – सुंदर दृश्य
- पग-पग – हर स्थान पर
- छहर रही हैं – फैल रही हैं
- पुण्य-भूमि – पवित्र भूमि, धार्मिक एवं महापुरुषों की भूमि
- स्वर्ण-भूमि – समृद्ध एवं कीमती भूमि, सोने के समान मूल्यवान देश
- जन्मभूमि – जहाँ जन्म हुआ हो, अपना देश
- मातृभूमि – माँ के समान पूज्य देश
- झरने – पहाड़ों से गिरने वाले जलप्रवाह
- झरते – गिरते
- पहाड़ियाँ – छोटे-छोटे पर्वत
- चहक रही हैं – मधुर स्वर में गा रही हैं
- मस्त – आनंदित, खुश
- झाड़ियाँ – छोटे-छोटे पेड़-पौधे
- अमराइयाँ – आम के पेड़ों का बगीचा
- घनी – बहुत अधिक, सघन
- पुकारती है – आवाज़ देती है, गाती है
- मलय पवन – दक्षिण से बहने वाली ठंडी सुगंधित हवा
- तन-मन सँवारती है – शरीर और मन को तरोताजा कर देती है
- धर्मभूमि – धर्म का पालन करने वाली भूमि
- कर्मभूमि – परिश्रम और कर्तव्य पालन की भूमि
- जन्मभूमि – जन्म लेने की भूमि, अपना देश
- पुनीत – पवित्र, शुद्ध
- सुयश – प्रसिद्धि
- वंशी – बाँसुरी
- गीता – श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान
- गौतम – महात्मा बुद्ध, जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की
- दया – करुणा
- युद्ध-भूमि – युद्ध होने का स्थान (जैसे महाभारत का कुरुक्षेत्र)
- बुद्ध-भूमि – बुद्ध के जन्म और उनके ज्ञान की भूमि
- मातृभूमि – माँ के समान पूज्य देश
मातृभूमि पद्यांशों का भावार्थ
मातृभूमि पद्यांशों का भावार्थ Maatribhumi Poem Explanation
1.
ऊँचा खड़ा हिमालय
आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुन त्रिवेणी
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,
पग पग छहर रही हैं।
शब्दार्थ-
हिमालय – भारत का एक बड़ा पर्वत (बर्फ से ढका पर्वत)
चरण तले – पैरों के नीचे
सिंधु – समुद्र
झूमता है – लहरों के साथ हिलता हुआ
गंगा यमुन त्रिवेणी – गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन
लहर रही हैं – बह रही हैं
जगमग – चमकती हुई
छटा निराली – सुंदर दृश्य
पग-पग – हर स्थान पर
छहर रही हैं – फैल रही हैं
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने भारत की भौगोलिक विशेषताओं और प्राकृतिक सुंदरता का गुणगान किया है। भारत के उत्तर में स्थित विशाल और गौरवशाली हिमालय पर्वत को कवि ने ऐसा दर्शाया है मानो वह आकाश को चूम रहा हो, जो देश की शक्ति और अडिगता का प्रतीक है। वहीं, दक्षिण दिशा में स्थित विशाल हिंद महासागर हिमालय के चरणों में झुककर लहरों के माध्यम से अपने उल्लास को प्रकट करता हुआ इतरा रहा है।
कवि ने भारत की पवित्र नदियों—गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम की महिमा का वर्णन किया है। इन नदियों का कलकल प्रवाह और उनकी जगमगाती छटा समस्त धरती पर एक अनुपम सुंदरता बिखेरती है। पर्वतीय झरनों की मधुर ध्वनि और नदियों की लहरों की चंचलता भारत की प्राकृतिक संपदा को और अधिक भव्य बनाती है।
2.
वह पुण्य-भूमि मेरी,
वह स्वर्ण-भूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।
शब्दार्थ-
पुण्य-भूमि – पवित्र भूमि, धार्मिक एवं महापुरुषों की भूमि
स्वर्ण-भूमि – समृद्ध एवं कीमती भूमि, सोने के समान मूल्यवान देश
जन्मभूमि – जहाँ जन्म हुआ हो, अपना देश
मातृभूमि – माँ के समान पूज्य देश
झरने – पहाड़ों से गिरने वाले जलप्रवाह
झरते – गिरते
पहाड़ियाँ – छोटे-छोटे पर्वत
चहक रही हैं – मधुर स्वर में गा रही हैं
मस्त – आनंदित, खुश
झाड़ियाँ – छोटे-छोटे पेड़-पौधे
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपनी जन्मभूमि भारत की महानता और पवित्रता का भावनात्मक रूप से वर्णन किया है। कवि अपने देश को पुण्य-भूमि और स्वर्ण-भूमि कहकर इसका गौरव बढ़ाता है। यह वही भूमि है जहाँ कवि ने जन्म लिया, जिसे वह अपनी माँ के समान पूज्य मानता है और जिससे उसका गहरा आत्मीय संबंध है।
कवि आगे कहता है कि यहाँ की पहाड़ियों से अनेक झरने बहते हैं, जो इसकी प्राकृतिक शोभा को बढ़ाते हैं। हरियाली से भरे हुए इन जंगलों और झाड़ियों में चिड़ियों की चहचहाहट गूँजती रहती है, जिससे वातावरण आनंदमय और जीवंत प्रतीत होता है। भारत की इस प्राकृतिक सुंदरता को देखकर मन हर्षित हो उठता है।
3.
अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।
शब्दार्थ-
अमराइयाँ – आम के पेड़ों का बगीचा
घनी – बहुत अधिक, सघन
पुकारती है – आवाज़ देती है, गाती है
मलय पवन – दक्षिण से बहने वाली ठंडी सुगंधित हवा
तन-मन सँवारती है – शरीर और मन को तरोताजा कर देती है
धर्मभूमि – धर्म का पालन करने वाली भूमि
कर्मभूमि – परिश्रम और कर्तव्य पालन की भूमि
जन्मभूमि – जन्म लेने की भूमि, अपना देश
मातृभूमि – माँ के समान पूज्य देश
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने भारत की प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण किया है। पहली पंक्ति में कवि भारत की हरी-भरी प्रकृति का वर्णन करता है, जहाँ घने आम के बाग अपनी शीतल छाया प्रदान करते हैं। इन बागों में कोयल अपनी मधुर वाणी में गान करती है, जिससे वातावरण संगीत से गूंज उठता है। मंद-मंद मलय पवन (दक्षिण से चलने वाली शीतल हवा) प्रवाहित होती है, जो न केवल शरीर को शीतलता प्रदान करती है, बल्कि मन को भी प्रसन्नता और स्फूर्ति से भर देती है।
इसके बाद, कवि अपने देश की धार्मिक और नैतिक महानता को रेखांकित करता है। भारत को “धर्मभूमि” कहा गया है, क्योंकि यह धार्मिकता का केंद्र रहा है। साथ ही, इसे “कर्मभूमि” भी कहा गया है, क्योंकि यह परिश्रम और वीरता का प्रतीक है। यही वह भूमि है जहाँ कवि ने जन्म लिया और जिसे वह अपनी “मातृभूमि” के रूप में सम्मान देता है।
4.
जन्मे जहाँ थे रघुपति,
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी,
वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी।
शब्दार्थ-
पुनीत – पवित्र, शुद्ध
सुयश – प्रसिद्धि
वंशी – बाँसुरी
गीता – श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान
गौतम – महात्मा बुद्ध, जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की
दया – करुणा
युद्ध-भूमि – युद्ध होने का स्थान (जैसे महाभारत का कुरुक्षेत्र)
बुद्ध-भूमि – बुद्ध के जन्म और उनके ज्ञान की भूमि
मातृभूमि – माँ के समान पूज्य देश
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि इस भूमि की पवित्रता को दर्शाते हुए कहते हैं कि यह वही देश है जहाँ भगवान राम और माता सीता का जन्म हुआ। यह वही भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी की मधुर ध्वनि के साथ गीता का पावन ज्ञान संसार को प्रदान किया, जिससे मानवता को धर्म, कर्म और सत्य का मार्गदर्शन मिला।
यही वह भूमि है जहाँ गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और उन्होंने अपनी करुणा, अहिंसा और ज्ञान से संपूर्ण विश्व को दया और सत्य का संदेश दिया। उन्होंने अज्ञान के अंधकार में भटके हुए लोगों को सच्चा मार्ग दिखाया और उन्हें मोक्ष की ओर अग्रसर किया।
अंत में, कवि इस देश को “युद्ध-भूमि” और “बुद्ध-भूमि” दोनों कहकर इसकी अद्वितीय विशेषता को दर्शाते हैं। यह वही भूमि है जहाँ धर्म और न्याय की रक्षा के लिए महाभारत जैसे युद्ध लड़े गए, वहीं यह अहिंसा और शांति का संदेश देने वाले महापुरुषों की जन्मस्थली भी रही है। कवि के अनुसार यही उनकी मातृभूमि है और यही उनकी जन्मभूमि है। यह देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि जन्मभूमि और मातृभूमि के रूप में पूजनीय है।
मेरी समझ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
(1) हिंद महासागर के लिए कविता में कौन-सा शब्द आया है?
- चरण
- वंशी
- हिमालय
- सिंधु
उत्तर
सिंधु (★)
(2) मातृभूमि कविता में मुख्य रूप से—
- भारत की प्रशंसा की गई है।
- भारत के महापुरूषों की जय की गई है।
- भारत की प्राकृतिक सुंदरता की सराहना की गई है।
- भारतवासियों की वीरता का बखान किया गया है।
उत्तर
भारत की प्राकृतिक सुंदरता की सराहना की गई है। (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर
(उत्तर 1) मैंने इस उत्तर को चुना क्योंकि “मातृभूमि” कविता में भारत की प्राकृतिक सुंदरता और उसकी महिमा को सराहा गया है।
यह कविता भारतीय समय-समय पर बाहरी प्रभावों की बावजूद अपनी स्वाभाविक सुंदरता और विविधिता को साफ़ स्पष्ट करती है| इसमें उल्लेख किया गया है कि भारत एक पुण्यभूमि है, जहाँ नदियाँ, पहाड़ीयाँ, झरने, पेड़-पौधों और प्राकृतिक वातावरण हमेशा मन को शांति और संतोष प्रदान करते हैं।
इसके अलावा कविता में भारतीय धर्म, संस्कृति और इतिहास की भी महिमा गायी गई है जिससे भारत की मातृभूमि के प्रति समर्पण और सम्मान का सन्देश दिया गया है।
(उत्तर 2) हिंद महासागर का प्राचीन नाम ‘सिंधु महासागर’ था जो प्राचीन भारतीयों द्वारा रखा गया था। भारत के नाम पर इस सागर का नाम ‘हिंद महासागर’ रखा गया। कविता में सोहनलाल द्विवेदी ने हिंद महासागर से अपनत्व के कारण इसे सिंधु नाम से पुकारा इसलिए ‘सिंधु’ शब्द का विकल्प, चयन करना उचित होगा।
(उत्तर 3) ‘मातृभूमि’ कविता में कवि सोहनलाल जी ने भारत के पर्वतों, नदियों, वृक्षों, मलय, पवन, घनी अमराइयों आदि की चर्चा अधिक की है इसलिए भारत की प्राकृतिक सुंदरता की सराहना की गई है। विकल्प का चयन उचित है।
मिलकर करें मिलान
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
1. हिमालय | 1. एक प्रसिद्ध महापुरुष, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक। |
2. त्रिवेणी | 2. वसुदेव के पुत्र वासुदेव । |
3. मलय पवन | 3. भारत की प्रसिद्ध नदियाँ। |
4. सिंधु | 4. तीन नदियों की मिली हुई धारा, संगम। |
5. गंगा-यमुना | 5. श्री रामचंद्र का एक नाम, दशरथ के पुत्र । |
6. रघुपति | 6. दक्षिणी भारत के मलय पर्वत से चलने वाली सुगंधित वायु। |
7. श्रीकृष्ण | 7. एक प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवदगीता’, इसमें वे प्रश्न-उत्तर और संवाद हैं जो महाभारत में श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए थे। |
8. सीता | 8. समुद्र, एक नदी का नाम । |
9. गीता | 7. एक प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवदगीता’, इसमें वे प्रश्न-उत्तर और संवाद हैं जो महाभारत में श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए थे। |
10. गौतम बुद्ध | 10. भारत की उत्तरी सीमा पर फैली पर्वत माला। |
उत्तर
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
1. हिमालय | 10. भारत की उत्तरी सीमा पर फैली पर्वत माला। |
2. त्रिवेणी | 4. तीन नदियों की मिली हुई धारा, संगम। |
3. मलय पवन | 6. दक्षिणी भारत के मलय पर्वत से चलने वाली सुगंधित वायु। |
4. सिंधु | 8. समुद्र, एक नदी का नाम । |
5. गंगा-यमुना | 3. भारत की प्रसिद्ध नदियाँ। |
6. रघुपति | 5. श्री रामचंद्र का एक नाम, दशरथ के पुत्र। |
7. श्रीकृष्ण | 2. वसुदेव के पुत्र वासुदेव। |
8. सीता | 9. जनक की पुत्री जानकी । |
9. गीता | 9. जनक की पुत्री जानकी । |
10. गौतम बुद्ध | 1. एक प्रसिद्ध महापुरुष, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक। |
1. → 10
2. → 4
3. → 6
4. → 8
5. → 3
6. → 5
7. → 2
8. → 9
9. → 7
10. → 1
पंक्तियों पर चर्चा
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
“वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।”
उत्तर
(उत्तर 1) यह पंक्तियाँ भारत के विभिन्न महापुरुषों और उनके महत्वपूर्ण युद्धों तथा धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान को स्मरण कराती हैं। यहां “युद्ध-भूमि मेरी” से भारत के ऐतिहासिक युद्धों दिया गया है, जैसे कि महाभारत युद्ध और विभिन्न राष्ट्रीय स्वंत्रता संग्राम।
“बुद्ध-भूमि मेरी” से भारतीय धर्म और दर्शन के महापुरुष गौतम बुद्ध के शिक्षाओं का सम्मान किया गया है, जिन्होंने अपने ज्ञान और अहिंसा के सिद्धांतो से दुनिया को प्रेरित किया।
इस पंक्तियों से साफ़ होता है कि भारत मातृभूमि के रूप में न केवल अपने नागरिकों के लिए एक भौतिक स्थान है, बल्कि यहाँ का धर्म, संस्कृति और ऐतिहासिक योगदान भी उनके लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह विचार भारतीय समाज में गहरी भावनाओं और समर्पण के संकेत के रूप में उठाते हैं।
(उत्तर 2) कवि ने भारत को ‘युद्ध भूमि मेरी’ कहा क्योंकि भारत की भूमि सदा संघर्ष की भूमि रही है यह हमें हर तरह के अभाव, अज्ञान और दुख से लड़ना सिखाती है। भारत पर कितने ही शासकों ने शासन किया लेकिन भारतीयों ने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति पर आँच नहीं आने दी। कवि भारत को बुद्धभूमि कहा क्योंकि महात्मा बुद्ध ने भारतीयों को प्रेम, दया एवं अहिंसा का संदेश दिया ताकि भारत में अखंडता न रहे।
आत्मसम्मान व आंतरिक लगाव के कारण कवि इसे मातृभूमि की संज्ञा देता है। अंत में कवि इस पावन धरती को जन्मभूमि कहा क्योंकि वह इसी धरती पर जन्मा है और उसे भारत की गौरवमयी धरती पर जन्म लेने पर अत्यधिक गर्व है।
सोच-विचार के लिए
सोच–विचार के लिए
(क) कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
1. कोयल कहाँ रहती है?
उत्तर
कोयल अमराइयों (आम के बगीचों) में रहती है।
2. तन-मन कौन सँवारती है?
उत्तर
बहती मलय पवन (दक्षिणी भारत से साने वाली सुगन्धित हवा) हमारा तन-मन सँवारती है।
3. झरने कहाँ से झरते हैं?
उत्तर
झरने पहाड़ियों से झरते हैं।
4. श्रीकृष्ण ने क्या सुनाया था?
उत्तर
श्रीकृष्ण ने मधुर बाँसुरी बजाकर सबका मन मोह लिया और गीता का संदेश भी दिया।
5. गौतम ने किसका यश बढ़ाया ?
उत्तर
गौतम ने भारत का यश बढ़ाया पूरे संसार को अहिंसा दया और करुणा का संदेश दिया। प्राणी जगत में सभी से प्रेम करो, संदेश दिया।
(ख) “नदियाँ लहर रही हैं
पग पग छहर रही हैं”
‘लहर’ का अर्थ होता है— पानी का हिलोरा, मौज, उमंग, वेग, जोश
‘छहर’ का अर्थ होता है— बिखरना, छितराना, छिटकना, फैलना कविता पढ़कर पता लगाइए और लिखिए-
- कहाँ-कहाँ छटा छहर रही हैं?
उत्तर
नदियों के किनारों पर नदी में तेज लहर आने पर जल दूर-दूर तक फैल जाता है और नदी तेज़ वेग में हिलोरे लेकर आगे बढ़ती है। - किसका पानी लहर रहा है?
उत्तर
गंगा, यमुना और त्रिवेणी (गंगा, यमुना एवं सरस्वती का संगम स्थल) में पानी हिलोरे लेकर उमंग, जोश एवं मस्ती से आगे बढ़ता है।
कविता की रचना
कविता की रचना
“गंगा यमुन त्रिवेणी
नदियाँ लहर रही हैं”
‘यमुन’ शब्द यहाँ ‘यमुना’ नदी के लिए आया है। कभी-कभी कवि कविता की लय और सौंदर्य को बढ़ाने के लिए इस प्रकार से शब्दों को थोड़ा बदल देते हैं। यदि आप कविता को थोड़ा और ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको और भी बहुत-सी विशेषताएँ पता चलेंगी। आपको जो विशेष बातें दिखाई दें, उन्हें आपस में साझा कीजिए और लिखिए। जैसे सबसे ऊपर इस कविता का एक शीर्षक है।
उत्तर
“नीचे चरण टेल झुक,
नित सिंधु झूमता है।”
‘सिंधु’ शब्द यहाँ ‘हिन्द महासागर’ के लिए आया है।
अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है,
‘अमराइयाँ’ शब्द यहाँ ‘आम के पेड़’ के लिए आया है।
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।
‘मलय’ शब्द यहाँ ‘सुगंधित’ लिए आया है।
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पुनीत गीता।
‘पुनीत’ शब्द यहाँ ‘पवित्र’ अथवा ‘शुद्ध’ के लिए आया है।
गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका सुयश बढ़ाया,
‘जिसका’ शब्द यहाँ ‘भारत देश‘ के लिए आया है।
मिलान
मिलान
स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा 5 खींचकर जोड़िए—
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी । | 1. यहाँ आम के घने उद्यान हैं जिनमें कोयल आदि पक्ष आदि पक्षी चहचहा रहे हैं। |
2. चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में। | 2. मैंने उस भूमि पर जन्म लिया है। वह भूमि मेरी माँ समान है। |
3. अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है। | 3. वहाँ की जलवायु इतनी सुखदायी है। कि पक्षी पेड़-पौधों के बीच प्रसन्नता से गीत गा रहे हैं। |
उत्तर
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी । | 2. मैंने उस भूमि पर जन्म लिया है। वह भूमि मेरी माँ समान है। |
2. चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में। | 3. वहाँ की जलवायु इतनी सुखदायी है। कि पक्षी पेड़-पौधों के बीच प्रसन्नता से गीत गा रहे हैं। |
3. अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है। | 1. यहाँ आम के घने उद्यान हैं जिनमें कोयल आदि पक्ष आदि पक्षी चहचहा रहे हैं। |
1. → 2
2. → 3
3. → 1
अनुमान या कल्पना से
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) “अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है”
कोयल क्यों पुकार रही होगी? किसे पुकार रही होगी? कैसे पुकार रही होगी?
उत्तर
कोयल वसंत ऋतु के आगमन पर पुकार रही होगी। कोयल प्रकृति को पुकार रही होगी। वह मानो प्रकृति की सुंदरता का गुणगान कर रही हो। कोयल मधुर स्वर में पुकार रही होगी। कोयल की आवाज़ बहुत मीठी होती है।
(ख) “बहती मलय पवन है,
तन मन सँवारती है”
पवन किसका तन-मन सँवारती है? वह यह कैसे करती है ?
उत्तर
पवन निम्न चीजों का तन-मन सँवारती है-
- प्रकृति का: पेड़-पौधों, फूलों, पत्तियों को झक-झोरकर
- मनुष्यों का: उन्हें ताज़गी और सुकून देकर
- पशु-पक्षियों का: उन्हें रहत और उल्लास देकर
- पुरे वातावरण का: ताज़गी और स्फूर्ति भरकर
पवन निम्न तरह से तन-मन सँवारती है-
1. शारीरिक रूप से (तन):
- ताज़गी प्रदान करके
- गर्मी में रहत देकर
- शरीर को ठंडक पहुँचाकर
- पसीने को सुखाकर
2. मानसिक रूप से (मन):
- तनाव कम करके
- मन को बेहतर बनाकर
- प्रफुल्लित करके
- नई ऊर्जा से भरकर
3. प्राकृतिक रूप से (प्रकृति):
- पेड़-पौधों को झक-झोरकर उन्हें नृत्य करने जैसा प्रतीत कराके
- फूलों की सुगंध को चारों ओर फैलाकर
- बादलों को विभिन्न आकार देकर
- जल की लहरों पर कंपन पैदा करके
शब्दों के रूप
शब्दों के रूप
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) नीचे दी गई पंक्तियों को पढ़िए-
“जगमग छटा निराली,
पग पग छहर रही हैं”
इन पंक्तियों में ‘पग’ शब्द दो बार आया है। इसका अर्थ है ‘हर पग’ या ‘हर कदम पर।
शब्दों के ऐसे ही कुछ जोड़े नीचे दिए गए हैं। इनके अर्थ लिखिए—
घर-घर ……
उत्तर
हर घर या प्रत्येक घर
बाल-बाल ……
उत्तर
बहुत करीब से या मुश्किल से
साँस साँस …………
उत्तर
लगातार या हर साँस में
(विशेष – एक ओर अर्थ भी है थोड़े से अंतर से बचना। जैसे- वह गिरने को था पर बाल-बाल बच गया।
देश-देश ………
उत्तर
प्रत्येक देश में
पर्वत–पर्वत ……
उत्तर
सभी पर्वत या हर पर्वत
(ख) “वह युद्ध-भूमि मेरी
वह बुद्ध-भूमि मेरी”
कविता में ‘भूमि’ शब्द में अलग-अलग शब्द जोड़कर नए-नए शब्द बनाए गए हैं। आप भी नए शब्द बनाइए और उनके अर्थ पता कीजिए—
(संकेत — तप, देव, भारत, जन्म, कर्म, कर्तव्य, मरु, मलय, मल्ल, यज्ञ, रंग, रण, सिद्ध आदि)
उत्तर
थोड़ा भिन्न, थोड़ा समान
थोड़ा भिन्न, थोड़ा समान
नीचे दी गई पंक्तियों को पढ़िए-
“जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।”
‘दया’ और ‘दिया’ में केवल एक मात्रा का अंतर है, लेकिन इस एक मात्रा के कारण शब्द का अर्थ पूरी तरह बदल गया है। आप भी अपने समूह में मिलकर ऐसे शब्दों की सूची बनाइए जिनमें केवल एक मात्रा का अंतर हो, जैसे घड़ा -घड़ी।
उत्तर
चाँद – चाँदी,
घट – घाट,
चना – चीन,
मेला – मैला,
दान – दिन
काल – कील
राग – रोग
मान – मौन
दाल – दिल
पाठ – पीठ
बाल – बोल
पाठ से आगे
आपकी बात
आपकी बात
(क) इस कविता में भारत का सुंदर वर्णन किया गया है। आप भारत के किस स्थान पर रहते हैं? वह स्थान आपको कैसा लगता है? उस स्थान की विशेषताएँ बताइए।
(संकेत— प्रकृति, खान-पान, जलवायु, प्रसिद्ध स्थान आदि)
उत्तर
मैं भारत के दक्षिण भाग में रहता हूँ। यह स्थान मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि –
- प्रकृति: समुद्र तटों, नारियल के पेड़ों, चाय और कॉफी के बागानों से भरपूर
- खान-पान: इडली, डोसा, सांभर, रसम, अप्पम जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं।
- जलवायु: गर्म और आद्र, मानसून का प्रभाव रहता है।
- प्रसिद्ध स्थान: मैसूर पैलेस, मरीना बीच, मीनाक्षी मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर है।
मैं भारत के पश्चिम भाग में रहता हूँ यह स्थान मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि –
- प्रकृति: रेगिस्तान, समुद्र तट, घने जंगल देखने को मिलते है।
- खान-पान: ढोकला, दाबेली, वड़ा पाव, पुरनपोली जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं।
- जलवायु: गर्म और शुष्क, मानसून का मध्यम प्रभाव रहता है।
- प्रसिद्ध स्थान: गेटवे ऑफ इंडिया, ताज महल होटल, गिर वन, जोधपुर, उदयपुर जैसे शहर देखने को मिलते है ।
मैं भारत के उत्तर भाग में रहता हूँ यह स्थान मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि
- प्रकृति: हिमालय पर्वत श्रृंखला, गंगा और यमुना नदियां देखने को मिलती
- खान-पान: छोले भटूरे, पराठे, कचौड़ी, लस्सी जैसे स्वादिष्ट
- जलवायु: गर्मियों में बहुत गर्म, सर्दियों में ठंडा रहता
- प्रसिद्ध स्थान: श्री राम मंदिर (अयोध्या), काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी), हिल स्टेशन (शिमला, मनाली), ताजमहल, लाल किला, गोल्डन टेंपल जैसे प्रसिद्ध स्थान देखने को मिलते हैं।
मैं भारत के पूर्वी भाग में रहता हूँ यह स्थान मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि –
- प्रकृति: सुंदरबन, चाय बागान, नदियां देखने को मिलती हैं।
- खान-पान: मछली के व्यंजन, रसगुल्ला, मिष्टी दोई जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं।
- जलवायु: गर्म और आद्र, भारी वर्षा वाला मौसम रहता है।
- प्रसिद्ध स्थान: जगन्नाथ मंदिर ( पूरी), कोणार्क सूर्य मंदिर, विक्टोरिया मेमोरियल, हावड़ा ब्रिज, हिल स्टेशन (दार्जिलिंग) जैसे प्रसिद्ध स्थान देखने को मिलते है।
मैं भारत के पूर्वोत्तर भाग में रहता हूँ यह स्थान मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि –
- प्रकृति: पहाड़, झरने, घने जंगल देखने को मिलते हैं।
- खान-पान: मोमो, थुकपा, बांस में पका मांस जैसे स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं।
- जलवायु: उष्ण और आद्र, भारी वर्षा वाला रहता है।
- प्रसिद्ध स्थान: कामाख्या मंदिर, उमियाम झील, मज़ूली द्वीप, हैप्पी वैली (मेघालय) जैसे प्रसिद्ध स्थान देखने को मिलते हैं।
(ख) अपने परिवार के किसी सदस्य या मित्र के बारे में लिखिए। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको अच्छी लगती हैं?
उत्तर
मेरे परिवार में मुझे मेरे पिताजी सबसे अच्छे लगते हैं। उनकी निम्नलिखित बातें मुझे अच्छी लगती हैं-
- वे ‘ सादा जीवन उच्च विचार’ में विश्वास करते हैं।
- प्रातः लंबी सैर पर जाते हैं ताकि स्वस्थ रहें।
- देसी खाना खाते हैं, उन्हें पश्चिमी सभ्यता के व्यंजन पसंद नहीं हैं क्योंकि वे पौष्टिक नहीं होते ।
- वे समाजसेवी हैं। अपने कार्यालय के कार्य के बाद समाजसेवी कार्य करते हैं।
- परिवार के प्रति पूर्णरूप से समर्पित रहते हैं।
- अपने बड़े-बुजुर्गों का बहुत सम्मान करते हैं।
- परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं को पूरा करने का भरसक प्रयास करते हैं।
- किसी भी कार्य को करने से पूर्व पहले भली-भाँति विचार करते हैं।
वंशी – से
वंशी – से
“श्री कृष्णा ने सुनाई”
वंशी पुनीत गीता”
‘वंशी’ बाँसुरी को कहते हैं। यह मुँह से फूँक कर बजाया जाने वाला एक ‘वाद्य’ यानी बाजा है। नीचे फूँक कर बजाए जाने वाले कुछ वाद्यों के चित्र दिए गए हैं। इनके नाम शब्द-जाल से खोजिए और सही चित्र के नीचे लिखिए।
वाद्यों के नामों का शब्द-जाल
उत्तर
उत्तर
आज की पहेली
आज हम आपके लिए एक अनोखी पहेली लाए हैं। नीचे कुछ अक्षर दिए गए हैं। आप इन्हें मिलाकर कोई सार्थक शब्द बनाइए । अक्षरों को आगे-पीछे किया जा सकता है यानी उनका क्रम बदला जा सकता है। आप अपने मन से किसी भी अक्षर के साथ कोई मात्रा भी लगा सकते हैं। पहला शब्द हमने आपके लिए पहले ही बना दिया है।
उत्तर
2. हिमालय
3. गंगा
4. भारत
5. कोयल
6. पवन
झरोखे से
आप अपने विद्यालय में ‘वंदे मातरम्’ गाते होंगे। ‘वंदे मातरम्’ बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचा गया था। यह गीत स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। भारत में इसका स्थान ‘जन गण मन’ के समान है। क्या आप इसका अर्थ जानते-समझते हैं? आइए, आज हम पहले इसका अर्थ समझ लेते हैं, फिर समूह में चर्चा करेंगे-
साझी समझ
साझी समझ
आपने ‘मातृभूमि’ कविता को भी पढ़ा और ‘वंदे मातरम्’ को भी। अब कक्षा में चर्चा कीजिए और पता लगाइए कि इन दोनों में कौन-कौन सी बातें एक जैसी हैं और कौन-कौन सी बातें कुछ अलग हैं।
उत्तर
मातृभूमि एवं वंदे मातरम् में समानता-
- नदियों द्वारा जल से परिपूर्ण
- फलों से परिपूर्ण
- शीतल मलय पवन का बहना
असमानताएँ-
- मात्रभूमि कविता
- हिमालय एवं सागर की चर्चा ।
- धरती को मातृभूमि, जन्मभूमि, स्वर्णभूमि, पुण्यभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, युद्धभूमि, बुद्धभूमि आदि नामों से पुकारना।
- बुद्ध, राम-सीता, कृष्ण का वर्णन ।
- झरने, पहाड़ियों को दर्शाना ।
- पक्षियों की चहक दर्शाना
वंदे मातरम्-
- भारत माता को प्रणाम ।
- अन्न से परिपूर्ण खेत बताना।
- चंद्रमा के शोभायमान प्रकाश की छटा का चित्रण ।
- खिले फूलों से सुसज्जित पेड़ों की शब्द चर्चा ।
- सदा हँसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली, वरदान देने वाली भारत माँ को प्रणाम करना ।
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ देना वनमाली!
उस पथ में देना तुम फेंक।
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक ।
— माखनलाल चतुर्वेदी