हे नव भारत के तरुण वीर,
हे भीम, भागीरथ, महावीर ।
झन भुला अपन पुरुसारथ बल
खंडहर मा रच अब रंगमहल ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के ‘भारत बन जाही नंदनवन’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि कोदूराम ‘दलित’ जी हैं।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने देश के नौजवानों, मजदूरों और किसानों को राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए परिश्रम करने का आह्वान किया है।
व्याख्या -कवि कहते हैं कि हे नवीन भारत के नौजवानो ! तुम भीम और भगीरथ के समान अत्यन्त वीर हो। तुम अपने पुरुषार्थ को मत भूलो • और खण्डहर के समान जर्जर हो चुके इस देश को रंगमहल जैसा सुन्दर बना दो । तात्पर्य यह है कि शोषित-पीड़ित इस देश को अपने पौरुष बल से खुशहाल बना दो।
ये राज तोरे, सरकार तोर,
ये दिल्ली के दरबार तोर ।
हे स्वतंत्र भारत के नरेस,
जन-जन के जल्दी हर कलेस।
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के ‘भारत बन जाही नंदनवन’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि कोदूराम ‘दलित’ जी हैं।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने देश के नौजवानों, मजदूरों और किसानों को राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए परिश्रम करने का आह्वान किया है।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि देश अब स्वतन्त्र हो चुका है। इस देश में अब तुम्हारी ही सरकार है। दिल्ली की सत्ता अब तुम्हारे हाथ में है। तुम्हीं स्वतन्त्र भारत के राजा हो। अतः अब जल्दी ही जन-जन के कष्टों को दूर करो। तात्पर्य यह है कि देश की जनता ने शासन की बागडोर नौजवानों को सौंपी है, अतः वे उनके कष्टों को दूर कर देश में खुशहाली लाएँ।
माँगे स्वदेश श्रमदान तोर,
संपदा, ज्ञान-विधान तोर ।
जब तोर पसीना पा जाही,
ये पुरुस भूमि हरिया जाही।
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के ‘भारत बन जाही नंदनवन’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि कोदूराम ‘दलित’ जी हैं।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने देश के नौजवानों, मजदूरों और किसानों को राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए परिश्रम करने का आह्वान किया है।
व्याख्या-कवि कहते हैं कि यह देश तुम्हारे श्रमदान की बाट जोह रहा है। इस देश को तुमसे बड़ी अपेक्षा है। तुम इसे अपना तन-मन-धन सर्वस्व समर्पित कर दो। तुम्हारे पसीने से सिंचित होकर यह पराक्रमी धरती हरी-भरी हो जाएगी। फसलें लहलहा उठेंगी जिससे देश में सम्पन्नता आएगी।
पाही जब तोर बटोरे धन,
भारत बन जाही नंदनवन ।
पाही बन तोर विसुद्ध ज्ञान,
भारत बनही जग मा महान् ।
तज दे आलस, कर श्रम कठोर,
पिया जाये अब झन अगोर
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ भारती’ के ‘भारत बन जाही नंदनवन’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि कोदूराम ‘दलित’ जी हैं।
प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने देश के नौजवानों, मजदूरों और किसानों को राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए परिश्रम करने का आह्वान किया है।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि हे नवयुवको ! तुम्हारे पुरुषार्थ के बल पर संचित धन को पाकर भारत नंदनवन वन जाएगा। देश में सम्पन्नता और खुशहाली आ जाएगी। तुम्हारे ज्ञान को पाकर यह देश सारे जगत् में महान बन जाएगा। अतः आलस्य को त्यागकर कठोर परिश्रम करो। अब तुम किसी की प्रतीक्षा मत करो अन्यथा पीछे रह जाओगे। तात्पर्य यह है कि हमारा देश प्रगति नहीं कर पाएगा और पीछे रह जाएगा।
अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. कवि ह भीम, भगीरथ, अउ महावीर कोन ल केहे हे ? (कवि ने भीम, भगीरथ और महावीर किनको कहा है ?)
उत्तर- कवि ह भीम, भगीरथ अउ महावीर देश के नौजवान मन ल । केहे है (कवि ने भीम, भगीरव और महावीर देश के नौजवानों को कहा है।)
प्रश्न 2. कवि देश के नवजवान मन ले का माँगत हे ? (कवि देश के नौजवानों से क्या माँगते हैं ?)
उत्तर- कवि देश के नवजवान मन ले श्रमदान माँगत है। ऊँखर धन, सम्पत्ति, अउ ज्ञान माँगत है। (कवि देश के नौजवानों से श्रमदान माँगते हैं। उनसे धन, सम्पत्ति और ज्ञान माँगते हैं
प्रश्न 3. ‘खंडहर मा रच अब रंग महल’ के भाव ल समझावव ? (“खंडहर मा रच अब रंग महल” के भाव को समझाइए ।)
उत्तर- “खंडहर मा रव अब रंगमहल” के भाव ये हाये कि देश के सखराब हालत ल सुधारौ कवि ह युवा मन ला काहत है कि देश के आरविक अइ सामाजिक स्थिति ल सुधारौ। टूटे हुए घर ल बसावव। (खण्डहर में रचिए अब रंग महल के भाव यह है कि देश की आर्थिक दशा को सुधारें। कवि देश के युवाओं से कहते है कि वे देश के आर्थिक एवं सामाजिक हालात को सुधारें एवं टूटे हुए घर को बसायें ।)
प्रश्न 4. कवि ह नवजवान मन ले का मिहनत करे दर काबर कहत हे? (कवि नौजवानों से कड़ी मेहनत करने के लिए क्यों कहते है ?)
उत्तर- नवजवान मन कड़ा मिहनत न करही त देश पिछ्वा जाही आगू नइ बढ़ पाही एखरे सेती कवि ह नवजवान मन लें कड़ा मिहनत करे बर कहत है।(यदि देश के नौजवान कड़ी मेहनत नहीं करेंगे तो देश पिछड़ जायेगा, आगे नहीं बढ़ पायेगा। इस कारण कवि नौजवानों को कड़ी मेहनत करने के लिए कह रहे हैं।)
5. भारत नंदनवन कब बन जाहि ? (भारत नंदनवन कब बन जायेगा ?))
उत्तर- देश ह जब नवजवान मन के महिनत अउ ज्ञान ले सकेले धन ल पाही त भारत नंदनवन बन जाहि। (देश जब नौजवानों के परिश्रम और ज्ञान से संचित किया हुआ धन प्रदान करेगा तब भारत नंदनवन, बन जायेगा।)
6. खाल्हे लिखाय कविता के पंक्ति मन के अर्थ लिखव ?
(क) झन भुला अपन पुरुसारथ बल, खंडहर मा रच अब रंगमहल समान
अर्थ-तुम अपने पुरुषार्थ को मत भूलो और खंडहर के जर्जर हो चुके इस देश को रंगमहल जैसा सुन्दर बना दो।
(ख) हे स्वतन्त्र भारत के नरेस जन-जन के जल्दी हर कलेस।
अर्थ- हे स्वतन्त्र भारत के राजा अर्थात् देश के नौजवानों अब जल्दी से जन-जन के कष्टों को दूर करो।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. तुमन ल अपन जीवन म कभू भीम, भगीरथ, महावीर के पात्र के किरदार निभाय के मौका मिलही त तीनों मे से काकर किरदार निभाना पसन्द करहू अउ काबर ? सोच के लिखो।
उत्तर- हमन ल अपन जीवन में कभू भीम, भगीरथ, महावीर के पात्र के किरदार निभाय के मौका मिलही त तीनों में से हमन भगीरथ के किरदार निभाना पसंद करबो काबर कि भगीरथ के अथक परवास अउ ओखर हठ के सेती गंगा ह धरती मा उतर आइस ऐ घटना ह हमन ला प्रेरणा देथे कि मनखे अगर ठान लेवय त हम काम ह संभव हो जाये।
प्रश्न 4. देश के नौजवान मन ले कवि बहुत उम्मीद करत है। नौजवान मन का का कर सकत है ? अपन साथी मन संग चर्चा करके. विकास काम के सूची बनावव (देश के नौजवानों से कवि बहुत उम्मीद करते हैं। नौजवान लोग क्या-क्या कर सकते हैं ? अपने साथियों के साथ चर्चा करके विकास (काम की सूची बनाइए )
उत्तर-देश के नौजवान मन ले कवि ह उम्मीद करत है कि वो मन अपन आलस ला त्याग के देश के नवनिरमान के काज में जुट जायें। अपन शक्ति ल पहिचान के कड़ा परिश्रम करके जन-जन के कलेस ल हस्य । नौजवान मन महिनत कर सकये अउ भी बड़े-बड़े काज ला कर सकते।