अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. बुजुर्ग को परिश्रम करते देखकर उनसे नौजवान के क्या सवाल ये ?
उत्तर-बुजुर्ग को परिश्रम करते देखकर उनसे नौजवान ने यह सवाल पूछा कि बाबा आप यह क्या कर रहे हो ?
प्रश्न 2. रेल से सफर करती बुजुर्ग महिला मुट्ठी से बाहर क्या बिखेर रही थी? और क्यों ?
उत्तर-रेल से सफर करती बुजुर्ग महिला मुट्ठी से बाहर सुन्दर फूलों और फलों के बीज बिखेर रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि इनमें से कुछ भी अगर जड़ पकड़ लें तो लोगों को इनसे कुछ फायदा हो।
प्रश्न 3. अमरीकी वैज्ञानिक कलिन वैजामिन के बारे में अनुकरणीय बात क्या सुनी जाती है ?
उत्तर-अमरीकी वैज्ञानिक प्रकलित जामिन के बारे में अनुकरणीय बात सुनी जाती है। उनके पास एक गरीब विद्यार्थी मदद माँगने के लिए आया उसे उन्होंने बीस डालर दिये। वे तो इस बात को भूल गये, लेकिन वह विद्यार्थी इस उपकार को न भूला जब उसके दिन फिरे, तब बीस डालर लौटाने के लिए फ्रँकलिन के पास आया। फ्रेंकलिन ने कहा, “मुझे याद तो नहीं कि मैंने यह रकम कब दी थी और आप इसे अपने ही पास रखिए और जब आपके पास कोई ऐसा ही जरूरतमंद आए तो उसे यह दे दीजिए।” उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया। कहते है, आज भी यह रकम अमेरिका में जरूरतमंदों के हाथों में घूम रही है।
प्रश्न 4. महाप्राण विवेकानंद क्यों अस्थिर चित्त हो गए ?
उत्तर- महाप्राण विवेकानंद जब दार्जिलिंग में वे तभी उन्हें समाचार मिला कि कोलकाता में प्लेग व्यापक रूप से फैल गया। प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो रही है। यह समाचार सुनकर महाप्राण विवेकानंद अस्थिर चित्त हो गए।
प्रश्न 5. विवेकानंद ने संन्यासी जीवन के बारे में क्या बताया ?
उत्तर- स्वामी विवेकानन्द जी में असहायों और पीड़ितों के प्रति सच्ची सहानुभूति एवं उदारतापूर्वक उनकी सहायता करने की दृढ़ भावना है। वे नई खरीदी गई मठ की जमीन को भी जरूरत पड़ने पर बेचकर प्लेग पीड़ित असहनीय दुःख सहन करने वाले हजारों स्त्री-पुरुषों की मदद करना चाहते हैं। भले ही इस वजह से उन्हें वृक्ष के नीचे रहना पड़े और भिक्षा द्वारा अन्न-वस्त्र से काम चलाना पड़े। त्याग एवं परोपकार में ही संन्यासी जीवन की सार्थकता है।
प्रश्न 6. अपने काम से विवेकानंद स्वदेशवासियों को क्या शिक्षा देने लगे ?
उत्तर- अपने काम से विवेकानंद स्वदेशवासियों को वह शिक्षा देने लगे कि किस प्रकार नर को नारायण मान कर सेवा करने योग्य है। जिन होम चण्डाल, मोची आदि से सदियों से तथाकथित ऊँची जाति के अभिमानी जन घृणा करते थे, स्वामी जी ने उन्हीं को ‘मेरे भाई’ कहकर उनका आलिंगन किया।
प्रश्न 7. प्लेग पीड़ितों की सहायता के लिए विवेकानंद ने क्या-क्या किया ?
उत्तर- प्लेग पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यकता पड़ने पर मठ के निर्माण के लिए नई खरीदी जमीन बेचने के लिए भी स्वामी जी ने संकेत दिया। उस संकेत के पीछे उनके मन का भाव यह या कि हजारों स्त्री-पुरुष हमारी आँखों के सामने असहनीय दुःख सहन: करें और हम मठ में रहेंगे ? हम संन्यासी है, आवश्यकता होगी तो वृक्ष के नीचे रहेंगे, भिक्षा द्वारा प्राप्त अया वस्त्र हमारे लिए पर्याप्त होगा।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. आपके आसपास ऐसे लोग होंगे जो दूसरों की सेवा के लिए बार-बार प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों के बारे में पता कर लिखिए।
उत्तर- हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग दिखते है जो दूसरों की सेवा के हमेशा तत्पर रहते हैं। वे निः स्वार्थ भाव से दूसरों के लिए अपना जीवन अर्पित करते हैं। हमारे मुहल्ले में मोहन नाम का व्यक्ति है जिनका कोई भी संतान नहीं है वे दिन-रात मुहल्ले के बच्चों एवं बुजुर्गों की सेवा में लगे रहते हैं। जैसे ही उनको खबर मिलती हैं वे तुरंत पहुँच जाते हैं। इसी तरह रायपुर में “बढ़ते कदम” नाम की एक संस्था हैं जो दूसरों की सेवा के लिए हमेशा आगे रहती है।
प्रश्न 2. पाठ का शीर्षक ‘प्रेरणा के पुष्प’ रखा गया है। इस पाठ को पढ़ने से आपको क्या अनुभूति हुई ? दस पंक्तियों में लिखने का प्रयास कीजिये ।
उत्तर- प्रेरणा के पुष्प पाठ को पढ़ने से हमें यह प्रेरणा मिलती है। कि हम सब दूसरों की मदद करें, सबके सुख-दुःख में साथ दें, परोपकार एवं कल्याण का कार्य करें। समाज और राष्ट्र के हित में अपने सुखों को त्याग दे ।
प्रश्न 3. बुजुर्ग व्यक्ति अपने आने वाली पीढ़ी के प्रति कितने संवेदनशील होते हैं ?
उत्तर – यह पाठ से पता चलता है। आपके आसपास के बुजुर्ग क्या चाहते हैं ? इस पर उनसे बातचीत कर उन्हें संक्षेप में लिखिए। उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 4. किसी बुजुर्ग व्यक्ति के प्रति हम नई पीढ़ी के लोगों का क्या कर्तव्य होना चाहिए ? मित्रों से इस विषय पर बातचीत कर अपने विचार रखिए।
उत्तर- किसी बुजुर्ग व्यक्ति के प्रति हम नई पीढ़ी का कर्त्तव्य यह होना चाहिए कि हम उनकी सेवा करें, उन्हें आदर और सम्मान दें, उनके सुख-दुःख में उनका ख्याल रखें।