मिनी महात्मा – आलम शाह खान कक्षा 8 हिन्दी
गाँधी जी के इस कथन “अत्याचार को सहना अत्याचार को बढ़ावा देना है” को आत्मसात करती इस कहानी का मुख्य पात्र मोहन पुलिस अधिकारी की ज्यादती का शांतिपूर्ण परंतु दृढ़ विरोध करता है। अपने निश्चय पर अटल मोहन के प्रतिकार के समक्ष पुलिस अधिकारी को अपनी गलती सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए खेद व्यक्त करनी पड़ती है। प्रस्तुत कहानी न सिर्फ किशोरवय बालक की दृढ़ता और
प्रतिकार की शक्ति को अभिव्यक्त करती है। बल्कि यह कहानी संबंधों के सौहार्द को भी बनाए रखने का प्रयास करती है।
‘मिनी महात्मा’ आलम शाह खान द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक कहानी है, जो छोटे बच्चों में सामाजिक उत्तरदायित्व और साहस का संदेश देती है। कहानी के मुख्य पात्र मोहन हैं, जो अपने पड़ोसी, पुलिस अंकल शेरसिंह द्वारा मारे गए। मोहन का कसूर केवल यह था कि उसने एक गलत काम को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन शेरसिंह गुस्से में आकर उसे पीट देते हैं। मोहन इस पीटाई के कारण परेशान होता है और यह सवाल करता है कि उसने क्या गलत किया था। वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अपने हक के लिए खड़ा हो जाता है, और अंत में उसे अपने सवाल का जवाब मिलता है। कहानी में यह संदेश दिया गया है कि सही और गलत का निर्धारण केवल उम्र और ताकत से नहीं होता, बल्कि नैतिकता और साहस से होता है। मोहन की जिद और साहस ने उसे ‘मिनी महात्मा’ बना दिया, क्योंकि उसने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और सच्चाई का सामना किया।
20 MCQs (Multiple Choice Questions):
1. मोहन क्यों रो रहा था?
a) उसे खेलने का मन नहीं था
b) उसे पुलिस अंकल ने मारा
c) उसे चॉकलेट नहीं मिली
d) उसकी किताब खो गई
उत्तर: b) उसे पुलिस अंकल ने मारा
2. मोहन के माने में शेरसिंह ने उसे क्यों मारा?
a) मोहन ने किसी से लड़ाई की थी
b) मोहन ने किसी को टोका था
c) मोहन ने घर का काम नहीं किया था
d) मोहन ने चोरों को पकड़ लिया था
उत्तर: b) मोहन ने किसी को टोका था
3. मोहन का क्या कसूर था, जिसके कारण उसे मारा गया?
a) वह पड़ोसी से लड़ाई कर रहा था
b) उसने कतार तोड़ी
c) उसने किसी गलत काम को रोकने की कोशिश की
d) उसने अपनी माँ से झगड़ा किया
उत्तर: c) उसने किसी गलत काम को रोकने की कोशिश की
4. मोहन क्यों पुलिस अंकल के पास गया था?
a) उसे मदद की जरूरत थी
b) वह अपना कसूर जानना चाहता था
c) वह शेरसिंह से लड़ने गया था
d) उसे कोई नया खेल खेलना था
उत्तर: b) वह अपना कसूर जानना चाहता था
5. मोहन के माँ ने उसे क्या कहा था?
a) तुम ने कोई गलती नहीं की
b) तुम बड़े हो तो तुम्हें माफ कर दिया जाएगा
c) तुम घर जाओ, मुझे कोई शिकायत नहीं है
d) तुम्हारा कसूर समझाने के बाद सब ठीक होगा
उत्तर: c) तुम घर जाओ, मुझे कोई शिकायत नहीं है
6. मोहन किस चीज़ के खिलाफ था?
a) शेरसिंह के गुस्से
b) गलत कार्यों को अनदेखा करना
c) दूध की कमी
d) पड़ोसी से दुश्मनी
उत्तर: b) गलत कार्यों को अनदेखा करना
7. मोहन किसे ‘पुलिस अंकल’ कहता है?
a) अपने पिता
b) अपने पड़ोसी शेरसिंह को
c) अपने स्कूल शिक्षक को
d) अपनी माँ को
उत्तर: b) अपने पड़ोसी शेरसिंह को
8. मोहन को क्या नारा याद था जो उसने गांधी जयंती पर गाया?
a) सत्याग्रह को बढ़ावा देना
b) अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है
c) स्वतंत्रता की महिमा
d) सबका साथ, सबका विकास
उत्तर: b) अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है
9. मोहन का क्या मानना था कि बड़ों ने उसे क्यों मारा?
a) सिर्फ इसलिए क्योंकि वह छोटा था
b) क्योंकि वह गलत काम करता था
c) क्योंकि उसने शेरसिंह को गलत कहा था
d) क्योंकि वह दूध लेने गया था
उत्तर: a) सिर्फ इसलिए क्योंकि वह छोटा था
10. मोहन का विरोध किसके खिलाफ था?
a) बड़े और ताकतवर लोगों के खिलाफ
b) शेरसिंह के खिलाफ
c) अन्य बच्चों के खिलाफ
d) पुलिस के खिलाफ
उत्तर: b) शेरसिंह के खिलाफ
11. मोहन का क्या उद्देश्य था जब वह शेरसिंह के घर आया था?
a) अपने आप को सफाई देना
b) शेरसिंह से बात करना
c) जवाब मांगना कि उसने क्यों मारा
d) माफी मांगना
उत्तर: c) जवाब मांगना कि उसने क्यों मारा
12. शेरसिंह ने मोहन से किस प्रकार की बात की?
a) वह उसे समझाते थे
b) उन्होंने उसे थप्पड़ मारा
c) उन्होंने उसे हानि पहुँचाई
d) उन्होंने कोई बात नहीं की
उत्तर: b) उन्होंने उसे थप्पड़ मारा
13. मोहन ने किससे अपना कसूर पूछा?
a) अपनी माँ से
b) पुलिस अंकल से
c) अपने दोस्तों से
d) शेरसिंह से
उत्तर: d) शेरसिंह से
14. मोहन ने किस बात पर जिद की थी?
a) वह पुलिस से सवाल पूछना चाहता था
b) वह स्कूल जाना चाहता था
c) वह शेरसिंह से माफी चाहता था
d) वह घर नहीं जाना चाहता था
उत्तर: a) वह पुलिस से सवाल पूछना चाहता था
15. मोहन ने अपने नारे में क्या कहा?
a) गांधी जयंती की जय
b) हम सब एक हैं
c) बड़ों के लिए सम्मान
d) अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है
उत्तर: d) अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है
16. मोहन ने क्या पूछा जब शेरसिंह ने उसे मारा?
a) मुझे क्यों मारा?
b) क्या मैं गलत था?
c) क्या तुम मुझसे नाराज हो?
d) मुझे क्यों रोका?
उत्तर: a) मुझे क्यों मारा?
17. मोहन के लिए शेरसिंह का गुस्सा किस वजह से था?
a) वह कुत्ता था
b) वह बच्चे का काम नहीं करता था
c) वह गुस्से में था और अपनी गलती नहीं मानता था
d) वह छोटे थे और गुस्से में आते थे
उत्तर: c) वह गुस्से में था और अपनी गलती नहीं मानता था
18. शेरसिंह ने क्या माना?
a) मोहन गलत था
b) मोहन का सवाल सही था
c) मोहन ने गलती की
d) मोहन को मारा जाना चाहिए था
उत्तर: b) मोहन का सवाल सही था
19. कहानी के अंत में मोहन ने किसका चरण स्पर्श किया?
a) अपनी माँ का
b) शेरसिंह का
c) अपने दोस्तों का
d) बाबा फरीद का
उत्तर: b) शेरसिंह का
20. मोहन की जिद ने क्या साबित किया?
a) उसने सही काम किया
b) उसने बड़ा काम किया
c) उसने गलती की
d) उसने डर दिखाया
उत्तर: a) उसने सही काम किया
पाठ से-
प्रश्न 1. वह जरा सी बात क्या थी, जिसकी वजह से मोहन लगातार रोए जा रहा था ?
उत्तर- वह जरा-सी बात यह थी कि पुलिस अंकल ने मोहन को एक चपत लगा दी थी, पर इस जरा-सी बात पर मोहन ने बड़ा बखेड़ा खड़ा कर रखा था, परन्तु मोहन गांधीजी को अपना आदर्श मानकर कार्य कर रहा था।
प्रश्न 2. “जा जा कुछ नहीं हुआ। पीट दिया हमने। करले जो – कुछ करना है। अब शेरसिंह के भीतर बैठा “पुलिसवाला बोला” इस कथन में पुलिसवाला लिखने के पीछे लेखक का क्या भाव है ?
उत्तर- इस कथन में पुलिसवाला लिखने के पीछे लेखक का भाव यह है कि पुलिस वाला अपने वर्दी का रौब झाड़ता है। पुलिस सभी के मदद के लिए होती है। किन्तु पुलिस वाला मोहन के साथ अन्याय कर रहा था। इससे उसके क्रोध भाव का पता चलता है।
प्रश्न 3. सबके समझाने के बाद भी मोहन घर क्यों नहीं जा रहा था ?
उत्तर- मोहन के मन में एक ही बात चल रहीं थी कि पुलिस अंकल ने बिना किसी कारण के उसे चपत क्यों लगा दी। मोहन पुलिस अंकल से अपना कसूर पूछना चाहता था। इसलिए मोहन घर नहीं जा रहा था।
प्रश्न 4. शेरसिंह की पत्नी ने लोगों से क्या और कैसे कहा ? उत्तर- शेरसिंह की पत्नी ने लोगों से हाथ जोड़कर वहाँ से चले जाने को कहा।
प्रश्न 5. मोहन ने अपने व्यवहार में विरोध को शामिल कर साबित किया कि अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है। कैसे ?
उत्तर- मोहन को बिना कसूर के शेरसिंह ने मारा था। इसलिए वह शेरसिंह के दरवाजे तक कसूर पूछने चला गया और शेरसिंह को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी।
प्रश्न 6. “लड़का जिरह किये जाता है, इसे कौन समझाये ?” लोग किस आधार पर ऐसा कह रहे थे ?
उत्तर-लोग मोहन को समझा-समझाकर थक गये कि अगर पुलिस अंकल ने उसे एक चपत लगा भी दी तो क्या हो गया ? किन्तु •मोहन सुनने के लिए तैयार नहीं था। उसका तर्क था कोई बड़ा उन्हें रोकता टोकता तो क्या वह उसको चाँटा जड़ देते ? मुझे इसलिए पीट दिया कि मैं बच्चा हूँ, छोटा और कमजोर हूँ। इसलिए लोग कह रहे थे कि लड़का कूढ़ मगज है, जिरह किये जाता है, इसे कौन समझाये।
प्रश्न 7. इस पाठ में कुछ वाक्य ऐसे हैं जिनमें बालकों की बात पर ध्यान न देने का भाव छिपा है। ऐसे चार वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिये।
उत्तर-(1) ‘अरे भाई, बड़े हैं, जरा जल्दी होगी, किसी ने उन्हें नहीं टोका एक तुम्ही उनके आड़े आ गये।’
(2) कोई बड़ा उन्हें रोकता टोकता तो क्या वह उसको चाँटा जड़ देते ?
(3) लड़का जिरह किये जाता है, कूढ़ मगज है, इसे कौन समझाये ?”
(4) ‘रोता है, तो रोने दो-कब तक रोयेगा ?”
प्रश्न 8. ‘बात मान भी जा बेटे !’ मैं उनसे कह दूँगी, ‘आगे से ऐसा सुलूक न करें बच्चों के साथ। लिखिये इस वाक्य में-
-मैं’ किसके लिए आया है ? -‘उनसे’ किसके लिए आया है ?
– ‘ऐसा सुलूक’ कहकर किस सुलूक की बात कही गयी है?
‘मान भी जा बेटे’ में कौन-सा भाव छिपा है ?
उत्तर- ‘मैं’ मोहन की माँ के लिए आया है।
‘उनसे’ सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह के लिए आया है।
‘ऐसा सुलूक’ कहकर पुलिस सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह द्वारा मोहन के साथ मार-पीट करने की बात कही गयी है। ‘मान भी जा बेटे’ में पुलिस सब-इंस्पेक्टर के दुर्व्यवहार को सहन कर लेने का भाव छिपा है।
प्रश्न 9. कहानी में आये निम्नलिखित पात्रों के बारे में अपने जो राय बनायी हो, उसे पात्रवार चार-पाँच पंक्तियों में लिखिए- (क) शेरसिंह, (ख) मोहन की माँ, (ग) मोहन, (घ) शेरसिंह की पत्नी।
उत्तर- (क) शेरसिंह- शेरसिंह एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर है। वह सब पर अपनी वर्दी का रौब झाड़ता है। वह शीघ्र ही मारपीट करने पर उतर आता है। वह अपने पद के घमण्ड में यह भी भूल जाता है कि बच्चों के साथ कैसा सुलूक किया जाना चाहिए। वह अपनी गलती, स्वीकार नहीं करना चाहता।
(ख) मोहन की माँ-मोहन की माँ एक सरल स्वभाव की महिला है वह पुलिस वालों से झंझट मोल नहीं लेना चाहती। वह दुनियादारी की बातों को समझती है। वह जानती है कि गलती शेरसिंह की है, पर वह उसके अन्यायपूर्ण कृत्य को चुपचाप सहन कर लेना चाहती है।
(ग) मोहन मोहन एक स्वाभिमानी बालक है। वह पुलिस सब-इंस्पेक्टर शेरसिंह द्वारा अकारण किये गये दुर्व्यवहार को चुपचाप सहन कर लेना नहीं चाहता। वह अन्याय का डटकर विरोध करता है। उसकी तर्कसंगत बातों के आगे पुलिस अधिकारी को झुकना पड़ता है।
(घ) शेरसिंह की पत्नी शेरसिंह की पत्नी दयालु स्वभाव की समझदार महिला है। वह मोहन को अपने पुत्र जैसा समझती है। उसकी दृष्टि में मोहन ने कोई गलत काम नहीं किया। इसलिए वह मोहन और अपने पति शेरसिंह दोनों को समझाती है।
पाठ से आगे-
प्रश्न 1. फरीद बाबा के व्यक्तित्व का वह कौन-सा पहलू है जिसके माध्यम से उन्होंने झगड़े को आसानी से सुलझा दिया। हर समाज में इस तरह के लोग होते हैं। अपने आसपास के ऐसे लोगों के बारे में समूह में चर्चा कर उनके मानवीय पहलुओं को लिखिए।
उत्तर- (i) फरीद बाबा एक समझदार व्यक्ति थे। (ii) उन्होंने बड़ी समझदारी से शेरसिंह को मोहन से माफी माँगने के लिए समझाया। फरीद बाबा जैसे व्यक्ति समाज में रहना अति आवश्यक है ऐसे लोग हमारे घर के आस-पास भी है।
प्रश्न 3. मिनी महात्मा शीर्षक कहानी में मोहन ने महात्मा गाँधी के किन सिद्धान्तों का पालन किया ? अपने मित्रों से बात कर लिखिए।
उत्तर- मोहन ने महात्मा गाँधी के सिद्धान्त- “अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है।” का पालन किया।
प्रश्न 4. कतार में लगकर कोई भी सामान लेने के क्या फायदे और नुकसान आपको लगते हैं। अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर- कतार में लगकर समान लेना अच्छा है। इससे सभी को सुविधा होती है। नियम का पालन होता है जो पहले आएगा वह कतार में सबसे आगे रहेगा। कतार में लगकर समान लेने वाले और देने वाले दोनों को सुविधा होती है। ऐसा न करने पर पूरी तरह अव्यवस्था फैल जाती है।
प्रश्न 5. फरीद बाबा ने पुलिस अंकल को भीतर जाकर क्या समझाया होगा, जिसे सुनकर पुलिस अंकल अपनी गलती स्वीकार करने आ गये ?
उत्तर-फरीद बाबा ने पुलिस अंकल को समझाया होगा कि. तो अबोध बालक छोटी उम्र का है परन्तु तुम तो बड़े हो, समझदार हो अतः क्षमा में ही बड़प्पन होता है और इस प्रकार इन बातों को सुनकर पुलिस अंकल ने अपनी स्वीकार कर ली।
प्रश्न 6. इस कहानी को पढ़कर आपकी क्या राय समझ बनती है ? लिखिए।
उत्तर- इस कहानी को पढ़कर हमारी यह राय बनती है कि महापुरुषों के सिद्धांतों को केवल याद कर लेना ही पर्याप्त नहीं है अपितु उसे आचरण में उतारते हुए उन सिद्धांतों को जीवन भर अपनाना चाहिए। इसके लिए भले ही कष्ट सहना पड़े, समाज का विरोध सहकर भी अपने निश्चय पर अडिग रहना चाहिए तब गलत व्यक्ति को सुधारा जा सकता है और गलती मानने के लिए बाध्य भी कर सकते हैं।
प्रश्न 7. मोहन के प्रति शेरसिंह ने जो दुर्व्यवहार किया था। मोहन विरोध गाँधीजी द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलकर कर रहा था। महात्मा गाँधी द्वारा इस सम्बन्ध में क्या मार्ग सुझाया गया था ? मोहम द्वारा किए जा रहे उक्त व्यवहार से आप कहाँ तक सहमत हैं ? लिखिए।
उत्तर- मोहन द्वारा किए जा रहे व्यवहार से हम सहमत है-अन्याय या अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है। अतः अन्याय का विरोध करना उचित है। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो अन्याय बढ़ता जाएगा।