संघ – प्लैटीहेल्मिंथिस (Phylum Platyhelminthes): चपटे कृमि (Flatworms)
संघ प्लैटीहेल्मिंथिस में ऐसे जीव सम्मिलित हैं जो पृष्ठाधारी रूप से चपटे, सीलोम रहित (Acoelomate), और श्वसन व कंकाल तंत्र रहित होते हैं। इन्हें आमतौर पर चपटे कृमि (Flatworms) कहा जाता है।
सामान्य लक्षण (General Characteristics):
- आवासीय स्वरूप:
- अधिकांश जन्तु परजीवी (Parasitic) होते हैं और अन्य जीवों के शरीर में रहते हैं।
- कुछ स्वतंत्र जीवी होते हैं और जल (स्वच्छ और समुद्री) या भूमि पर पाए जाते हैं।
- शारीरिक संरचना:
- शरीर पृष्ठाधारी रूप से चपटा (Dorsiventrally flattened) होता है और फीतेनुमा (Ribbon-like) बनावट होती है।
- द्विपाश्र्वीय सममिति (Bilateral symmetry) पाई जाती है।
- विकासीय स्तर:
- ये त्रिस्तरीय (Triploblastic) होते हैं, जिसमें तीन भ्रूणीय स्तर – एक्टोडर्म, मीजोडर्म, और एण्डोडर्म होते हैं।
- शरीर संगठन:
- अंग तंत्र स्तर (Organ-system level) का संगठन पाया जाता है।
- इनके शरीर में अंध कोष दैहिक योजना (Blind sac body plan) होती है, जिसमें केवल एक ही छिद्र भोजन ग्रहण और अपशिष्ट निष्कासन के लिए होता है।
- सिर और संवेदन अंग:
- शरीर के अग्र भाग पर एक सिर (Head) होता है, जिसमें आद्य मस्तिष्क और संवेदांग पाए जाते हैं।
- उत्सर्जन तंत्र:
- उत्सर्जन के लिए ज्वाला कोशिकाएँ (Flame cells) या प्रोटोनेफ्रीडिया (Protonephridia) उपस्थित होते हैं।
- संरक्षण संरचना:
- परजीवी प्रजातियों में हुक (Hooks), चूषक (Suckers), और कंटक (Spines) पाई जाती हैं, जो उन्हें पोषक शरीर में बने रहने में सहायता करती हैं।
- तंत्रिका तंत्र:
- तंत्रिका तंत्र आद्य (Primitive) और सीढ़ीनुमा (Ladder-like) संरचना का होता है।
- श्वसन और संचरण तंत्र:
- श्वसन और संचरण तंत्र अनुपस्थित होता है।
- शरीर की सतह से विसरण (Diffusion) के माध्यम से गैसों का आदान-प्रदान होता है।
- प्रजनन तंत्र:
- अधिकांशतः उभयलिंगी (Hermaphrodites) होते हैं।
- प्रजनन अलैंगिक और लैंगिक दोनों विधियों से होता है।
महत्वपूर्ण उदाहरण:
- टीनिया (Taenia): टेपवर्म, जो मानव आंत में परजीवी है।
- प्लैनेरिया (Planaria): स्वतंत्र जीवी, पुनर्जनन क्षमता के लिए प्रसिद्ध।
- फैसिओला (Fasciola): लीवर फ्लूक, जो पशुओं के यकृत में परजीवी है।
- पॉलीस्टोमा (Polystoma): उभयचर जन्तुओं में परजीवी।
निष्कर्ष:
संघ प्लैटीहेल्मिंथिस के जीवों की सरल संरचना और विशिष्ट परजीवी लक्षण इन्हें अन्य संघों से अलग बनाते हैं। इनमें पाई जाने वाली ज्वाला कोशिकाएँ और सीढ़ीनुमा तंत्रिका तंत्र जैसे लक्षण इनकी आद्य संरचना को प्रदर्शित करते हैं।