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संधि की परिभाषा, प्रकार, नियम और उदाहरण

संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है, जो शब्दों के मेल और उनके स्वर-व्यंजन के परिवर्तन की प्रक्रिया को समझाता है। संधि का उद्देश्य शब्दों को सरल और संक्षिप्त रूप में मिलाकर नए शब्दों का निर्माण करना होता है।

संधि की परिभाषा:

संधि एक व्याकरणिक प्रक्रिया है, जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों का मेल होता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से स्वरों और व्यंजनों के बीच के संगत बदलाव को दर्शाती है, जिससे शब्दों का रूप बदलता है और नया शब्द बनता है।

संधि के प्रकार:

  1. स्वर संधि (Vowel Sandhi): जब दो शब्दों के बीच स्वर का मिलन होता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं। इस प्रक्रिया में स्वरों के मेल से नया स्वर उत्पन्न होता है।उदाहरण:
    • + = (विद्यालय + आर्थी = विद्यालयार्थी)
    • + = (खुश + ई = खुशी)
  2. व्यंजन संधि (Consonant Sandhi): जब दो शब्दों के बीच व्यंजनों का मिलन होता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं। इस प्रक्रिया में व्यंजनों का मेल नए स्वरूप में होता है।उदाहरण:
    • + = क्र (कल + रात = क्रांत)
    • + = त्र (धन + रात = धन्त्र)

संधि के कुछ प्रमुख नियम:

  1. स्वर संधि के नियम:
    • यदि और का मेल होता है, तो बनता है। (जैसे, विद्यालय + आर्थी = विद्यालयार्थी)
    • और का मेल होने पर बनता है। (जैसे, खुश + ई = खुशी)
  2. व्यंजन संधि के नियम:
    • और का मेल होने पर क्र बनता है। (जैसे, कल + रात = क्रांत)
    • और का मेल होने पर त्र बनता है। (जैसे, धन + रात = धन्त्र)

उदाहरण:

  1. स्वर संधि:
    • राम + आनंद = रामानंद
    • ध्वनि + आलय = ध्वन्यालय
  2. व्यंजन संधि:
    • पथ + आगम = पथागम
    • रत्न + अभ = रत्नाभ

इन उदाहरणों में हम देख सकते हैं कि कैसे संधि के नियमों का पालन करते हुए नए शब्द बनाए गए हैं। संधि का यह अभ्यास भाषा को सरल और प्रभावी बनाने में मदद करता है।