संप्रेषण के तत्त्व इस प्रकार हैं :-
संप्रेषण द्विपक्षीय प्रकिया है:
इसमें भेजने वाला और प्राप्तकर्त्ता दोनों शामिल होते हैं।
जब आप अपने पिता से बात करते है, तब संप्रेषण व्यक्तिगत स्तर पर होता है। जब अध्यापक छात्रों के एक समूह से बात करता है, तो वहाँ संप्रेषण समूह स्तर पर होता है।
उसमें एक संदेश होता है:
सूचना हमेशा किसी संदेश, विचार, भावना, मार्गदर्शन या धारणा के रूप में होनी चाहिए।
समझ में समानता:
संप्रेषण तभी संभव है जब भेजने वाले एवं प्राप्तकर्त्ता में समझ की समानता हो। समानता का आधार संस्कृति, भाषा, तथा वातावरण हो सकते हैं। शब्द, पदबंध, मुहावरे, चेष्टायें तथा कहावतें भी संप्रेषण के लिए समान आधार प्रदान करते हैं।
दूसरे लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना:
जो सूचना प्राप्तकर्त्ता तक भेजी जाती है, वह कहीं न कहीं उसके व्यवहार में कुछ न कुछ परिवर्तन लाती है। उदाहरण के रूप में, जैसे ही आपको पता चलता है कि बिल्डिंग में आग लग गयी है, उसी समय तुरन्त आप और लोगों के साथ वहां से भाग खड़े होते हैं।
सूचना देने की विधि:
सूचना शब्दों, चेष्टाओं, अभिव्यक्ति आदि द्वारा प्रदान की जाती है।
स्रोत: https://www.nios.ac.in/media/documents/secpsycour/Hindi/Chapter-14.pdf