डॉ. जीवन यदु द्वारा रचित कविता “एक साँस आजादी के” स्वतंत्रता के महत्व और उसकी आवश्यकता को दर्शाती है। कवि का मानना है कि आजादी मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है। एक पल की स्वतंत्रता भी सौ जन्मों के समान मूल्यवान है। गुलामी के बंधन में जकड़ा व्यक्ति यश और सम्मान से वंचित रहता है। उसके जीवन को कवि बेशर्मी का जीवन कहते हैं, जो व्यर्थ है। कवि बताते हैं कि स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष आवश्यक है। जब वीर पुरुष अपने लहू की नदियाँ पार करते हैं, तब ही स्वतंत्रता का सूरज अंधकार के बादलों को छिन्न-भिन्न कर उजाला लाता है। आजादी सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है और इसके लिए सतत् प्रयास करना चाहिए। जो व्यक्ति आजादी का महत्व नहीं समझता, वह पराधीनता के बंधनों में जीता है। कवि इसे सोने के पिंजरे में बंद पक्षी की स्थिति के समान मानते हैं, जो स्वतंत्रता के सुख से वंचित रहता है। आजादी के बिना जीवन व्यर्थ है, चाहे कितना भी ऐश्वर्य क्यों न हो। बंधनों में बंधा जल शांत रहता है और विकास नहीं करता। इसी प्रकार, बंधन में जकड़ा व्यक्ति भी उन्नति नहीं कर सकता। आजादी ही जीवन के विकास का आधार है। स्वतंत्रता से ही हर प्रकार की प्रगति संभव है।
जीयत जागत मनखे बर जे धरम बरोबर होथे।
एक साँस आजादी के सौ जनम बरोबर होथे ।
जेकर चेथी म जूड़ा कस माड़े रथे गुलामी,
जेन जोहारे बइरी मन ल घोलंड के लामालामी
, नाँव ले जादा, जग म ओकर होथे ग बदनामी,
अइसन मनखे के जिनगी बेसरम बरोबर होथे।|
सन्दर्भ- -प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक छत्तीसगढ़ भारती’ के ‘एक साँस आजादी के’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि डॉ. जीवन यदु है।
प्रसंग- इस पद्यांश में कवि ने मनुष्य के जीवन में आजादी के महत्व को बताया है।
व्याख्या कवि कहते हैं कि जीवित और जाग्रत अर्थात् चेतना सम्पन्न मनुष्य के लिए आजादी धर्म के समान होती है। आजादी की एक साँस अर्थात् एक क्षण भी सौ जन्मों के बराबर होता है जिस व्यक्ति के कंधे पर गुलामी जुए के समान रखी होती है अर्थात् जो मनुष्य किसी दूसरे का गुलाम होता है और जो शत्रुओं को दंडवत् प्रणाम करता है उसे यश नहीं मिलता बल्कि संसार में उसकी बदनामी ही होती है। ऐसे मनुष्य का जीवन व्यर्थ होता है, क्योंकि वह बेशर्मी का जीवन जीता है।
लहू के नदिया तउँर निकलथे, बीर ह जतके बेरा,
सुरुज निकलथे मेंट के करिया बादरवाला घेरा,
उजियारी ले त उसलथे अँधियारी के डेरा,
सबे परानी बर आजादी करम बरोबर होथे।
व्याख्या कवि कहते हैं कि जिस समय वीर पुरुष रक्त की नदी तैरकर पार करता है अर्थात् अपनी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करता है, उसी सूर्य काले बादलों के घेरे को मिटाकर चमकने लगता है, तभी पराधीनता का अंधकार समाप्त होता है, तभी आजादी मिलती है। वास्तव में आजादी मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी प्राणियों के लिए कर्म है समान होती है। सभी प्राणियों को स्वतन्त्रता के लिए सतत् संघर्ष करते रहना चाहिए।
जेला नइ हे आजादी के एकोकनी चिन्हारी,
पर के कोठा के बइला मन चरथे ओकर बारी,
आजादी के बासी आगू बिरथा सोनहा थारी,
सोन के पिंजरा म आजादी भरम बरोबर होथे।
व्याख्या-जिस व्यक्ति को आजादी की तनिक भी पहचान नहीं होती, दूसरे लोग उसकी नासमझी का पूरा लाभ उठाते हैं। अर्थात् जो मनुष्य आजादी का महत्व नहीं समझता उसे अपने जीवन में हानि उठानी पड़ती है। आजादी की वासी अर्थात् रूखी-सूखी रोटी के आगे पकवानों से सजी सोने की थाली भी व्यर्थ है। सोने के पिंजरे में बंद पक्षी के लिए स्वतन्त्रता भ्रम जैसी है। तात्पर्य यह है कि वह स्वतन्त्रता के सुख को जानता ही नहीं।
माढ़े पानी ह नइ गावय खलबल खलबल गाना,
बिना नहर उपजाय न बाँधा खेत म एको दाना,
अपन गोड़ के बँधना छोरय ओला मिलय ठिकाना,
आजादी ह सब बिकास के मरम बरोबर होथे।
व्याख्या कवि कहते हैं कि एक स्थान पर ठहरा हुआ जल कल-कल का गीत नहीं गाता। बिना नहर के बाँध (तालाब) खेतों में एक भी दाना अन्न उपजा नहीं सकता। जो व्यक्ति अपने पैरों का बंधन खोलता है, उसे ही उसकी मंजिल प्राप्त होती है। तात्पर्य यह है कि बंधन में बंधे रहकर मनुष्य उन्नति नहीं कर सकता। आजादी ही सभी तरह के विकास का मर्म है।
अभ्यास पाठ से-
प्रश्न 1. आजादी के एक साँस काकर बरोबर होये ? (आजादी की एक साँस किसके समान होती है ?)
उत्तर—आजादी के एक साँस ह सौ जनम बरोबर होये । (आजादी की एक साँस सौ जन्मों के बराबर होती है।)
प्रश्न 2. अँधियारी के डेरा कब उसलये ? (अंधकार का समय कब समाप्त होता है?)
उत्तर-जतका बेरा वीर ह लहू के तरिया ल तर के अऊ सुरुज ह करिया बादरवाला घेरा लमेट के निकलये, तभे अंधियारी के हेरा उसलये। (जिस समय वीर पुरुष रक्त के तालाब को तैर कर एवं सूर्य काले बादलों के घेरे को मिटाकर निकलता है, तभी अंधकार का समय समाप्त होता है।)
प्रश्न 3. माठे पानी ह न गावय खलबल खलबल गाना कवि के अइसे कहे के मतलब का हे? या ठहरा हुआ पानी कल-कल का गीत नहीं गाता है- कवि ऐसा कहने का क्या अर्थ है ?)
उत्तर- माढ़े पानी ह नई गाव खलबल खलबल गाना एखर मतलब है कि बंधाय मनखे ह अपन मन ले कोनो काम न कर सके कावर कि वो हा आजाद नई (रुका या व्हरा हुआ पानी कल-कल का गीत नहीं गाता है- कवि के ऐसा कहने का मतलब यह है कि बंधा हुआ (गुलामी में जकड़ा हुआ) व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई भी काम नहीं कर सकता क्योंकि वह आजाद नहीं है)
प्रश्न 4. ‘लहू के तरिया ल तर के कोन निकलये ? (खून के तालाब से तैरकर कौन बाहर निकलता है ?)
उत्तर – खून के तालाब से तैरकर वीर बाहर निकलता है
प्रश्न 5. संसार म कोन मनखे के बदनामी होवे ?
उत्तर- लहू के तरिया ल तऊर के वीर निकलये।
प्रश्न 6. कवि ह आजादी त जम्मो विकास के जर काबर कहे हे? (कवि ने आजादी को सब तरह के विकास की जड़ क्यों कहा है ?)
उत्तर- आजादी ह विकास के रहा खोलये गुलाम मजखे ह अपन मरजी के कोनो काम न कर सके ओ ह पर भरोसा अपने जिनगी गुजारथे। एखरे सेती कवि है आजादी ल जम्मो विकास के जर कहे हे। (आजादी सब तरह के विकास के दरवाजे को खोलती है। गुलाम मनुष्य अपनी मरजी से कोई काम नहीं कर सकता। वह औरों पर आश्रित रहकर अपनी जिन्दगी व्यतीत करता है, इसलिए कवि ने आजादी को सब तरह के विकास की जड़ कहा है
20 MCQs (बहुविकल्पीय प्रश्न):
- कवि डॉ. जीवन यदु ने किसके महत्व को बताया है?
- (a) धन
- (b) आजादी
- (c) प्रेम
- (d) शिक्षा
- कवि के अनुसार, आजादी किसके समान होती है?
- (a) धर्म
- (b) कर्म
- (c) धन
- (d) ज्ञान
- आजादी की एक साँस किसके बराबर होती है?
- (a) सौ जन्म
- (b) एक वर्ष
- (c) एक जीवन
- (d) एक दिन
- गुलामी में जकड़े व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?
- (a) सम्मानजनक
- (b) बेशर्म
- (c) प्रेरणादायक
- (d) सुखद
- कवि के अनुसार, कौन सा पक्षी भ्रम में रहता है?
- (a) पिंजरे में बंद पक्षी
- (b) खुले आकाश का पक्षी
- (c) उड़ता हुआ पक्षी
- (d) पानी में तैरता पक्षी
- “लहू के नदिया तउँर निकलथे” का अर्थ क्या है?
- (a) स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
- (b) नदी पार करना
- (c) रक्तदान करना
- (d) युद्ध करना
- कवि के अनुसार, आजादी किसके लिए आवश्यक है?
- (a) केवल मनुष्यों के लिए
- (b) सभी प्राणियों के लिए
- (c) केवल वीरों के लिए
- (d) केवल पक्षियों के लिए
- सोने की थाली किसके आगे व्यर्थ है?
- (a) आजादी की वासी रोटी
- (b) धन
- (c) ज्ञान
- (d) प्रेम
- बंधे हुए जल का क्या गुण नहीं होता?
- (a) स्थिरता
- (b) विकास
- (c) गहराई
- (d) शांति
- आजादी के बिना मनुष्य क्या नहीं कर सकता?
- (a) संघर्ष
- (b) प्रेम
- (c) उन्नति
- (d) ज्ञान
- “आजादी सब विकास के मरम बरोबर होथे” का अर्थ है:
- (a) आजादी विकास का आधार है।
- (b) आजादी सुख का साधन है।
- (c) आजादी धर्म है।
- (d) आजादी कर्म है।
- कवि के अनुसार, गुलाम व्यक्ति को संसार में क्या मिलता है?
- (a) यश
- (b) बदनामी
- (c) सम्मान
- (d) सुख
- कवि ने स्वतंत्रता को किससे जोड़ा है?
- (a) धर्म और कर्म
- (b) धन और ज्ञान
- (c) प्रेम और शांति
- (d) विकास और संघर्ष
- आजादी पाने के लिए क्या आवश्यक है?
- (a) धन
- (b) संघर्ष
- (c) प्रेम
- (d) शिक्षा
- “सोने का पिंजरा” किसका प्रतीक है?
- (a) ऐश्वर्य का
- (b) पराधीनता का
- (c) स्वतंत्रता का
- (d) विकास का
- कवि के अनुसार, गुलाम व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?
- (a) प्रेरणादायक
- (b) व्यर्थ
- (c) सुखद
- (d) संघर्षपूर्ण
- आजादी के बिना कौन सा विकास संभव नहीं है?
- (a) आर्थिक
- (b) शारीरिक
- (c) सामाजिक
- (d) सभी प्रकार के विकास
- कवि ने किसे “सबे परानी बर करम बरोबर” कहा है?
- (a) प्रेम
- (b) आजादी
- (c) संघर्ष
- (d) धर्म
- गुलामी में जकड़ा व्यक्ति किसे प्रणाम करता है?
- (a) मित्रों को
- (b) शत्रुओं को
- (c) देवताओं को
- (d) गुरुजनों को
- “माढ़े पानी ह नइ गावय खलबल खलबल गाना” का अर्थ है:
- (a) ठहरा हुआ जल शोर नहीं करता।
- (b) जल स्थिर रहता है।
- (c) जल का महत्व नहीं है।
- (d) जल संघर्ष करता है।
उत्तर: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) के सही उत्तर
- (b) आजादी
- (a) धर्म
- (a) सौ जन्म
- (b) बेशर्म
- (a) पिंजरे में बंद पक्षी
- (a) स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
- (b) सभी प्राणियों के लिए
- (a) आजादी की वासी रोटी
- (b) विकास
- (c) उन्नति
- (a) आजादी विकास का आधार है।
- (b) बदनामी
- (a) धर्म और कर्म
- (b) संघर्ष
- (b) पराधीनता का
- (b) व्यर्थ
- (d) सभी प्रकार के विकास
- (b) आजादी
- (b) शत्रुओं को
- (a) ठहरा हुआ जल शोर नहीं करता।