महाकविः कालिदासः कक्षा 8 संस्कृत पाठ 18
शब्दार्थाः – विद्वद्भिः = विद्वानों के द्वारा। मन्यन्ते = मानते हैं। सञ्जातम् = हुआ है। नाम्नी = नाम बहवः = बहुत ।
अनुवाद-
कविकुलगुरू कालिदास को इस युग में कौन नहीं जानता ? विद्वानों के द्वारा विश्व के साहित्यकारों में इनकी गणना की गई है। बहुत से विद्वान उज्जैन में ही इनकी जन्मभूमि मानते हैं। इसी कारण से उनकी रचनाओं में उज्जैन का वर्णन हुआ है। और कहा गया है- “विक्रमादित्य के नवरत्नों में कालिदास एक थे।”
शब्दार्थाः – विद्वद्भिः = विद्वानों के द्वारा। मन्यन्ते =मानते हैं। सञ्जातम् = हुआ। दर्पशीला आसीत् =घमण्डी थी। विवाहं करिष्यामि = विवाह करुँगी। व्यचारयत्= विचार किया। निर्गताः = निकल पड़े। अवतीर्य =उतारकर ।
अनुवाद- कहा जाता है कि कालिदास महामूर्ख थे। राजा शारदानंद की विद्योत्मा नामक एक विदुषी कन्या थी। वह अपने ज्ञान से अत्यंत अभिमानी थी। उसने प्रतिज्ञा की कि जो शास्त्रार्थ में मुझे पराजित करेगा। उसके साथ विवाह करूंगी। उस प्रतिज्ञा को सुनकर अनेक विद्वान आये और उसके साथ शास्त्रार्थ में सभी पराजित हो गये। ईर्ष्या के कारण उन्होंने राजकन्या का विवाह महामूर्ख से करने का विचार किया। वे मूर्ख की खोज में निकल पड़े। अचानक उन्हें एक मूर्ख दिखाई दिया जो वृक्ष की जिस शाखा पर बैठा था उसे ही काट रहा था। उसे वृक्ष के नीचे उतारकर उन्होंने कहा- हे पुरुष ! हम तुम्हारा विवाह परम सुन्दरी राजकन्या के साथ करवाना चाहते हैं हम अपने गुरु के रूप में तुम्हारा परिचय देंगे। परन्तु तुम कुछ भी नहीं बोलोगे। उस मूर्ख को ले जाकर वे विद्वान राजकन्या के सामने आये और बोले- यह हमारा गुरु है, जो सभी शास्त्रों में पारंगत है। परन्तु अभी इसका मौन व्रत चल रहा है। तब राजकन्या विद्योतमा ने एक अंगुली उठाकर दिखाई, जिसका अर्थ था। ब्रह्म एक है, दूसरा नहीं। उसको देखकर महामूर्ख कालिदास ने सोचा। यह मेरी आँख को फोड़ना चाहती है, परन्तु मैं इसकी दोनों आँखों को फोड़ दूँगा। ऐसा सोचकर कालिदास ने अपनी दो अंगुलियाँ दिखाई। अन्त में राजकन्या पराजित हो गयी। उसके बाद कालिदास के साथ विद्योत्तमा का विवाह हुआ।
शब्दार्था:- उष्ट्रस्य=ऊँट की, ज्ञातवती= जान गई। खिन्नो भूत्वा =दुःखी होकर ,अस्ति कश्चिद्वग्विशेषः= वाणी में कुछ विशेषता है।
अनुवाद- एक बार रात्रि में ऊँट की आवाज हुई। आवाज सुनकर पत्नी ने कहा- यह आवाज किसने की ? कालिदास ने ‘उष्ट्र’ की जगह ‘उट्र’ का शब्द है ऐसा कहा। विद्योत्तमा ने सोचा यह मूर्ख है। उसने कालिदास का अपमान करके उन्हें घर से निकाल दिया। कालिदास खिन्न होकर देवी की आराधना करने लगे। देवी की कृपा से कालिदास ज्ञान प्राप्त करके घर लौटे तब घर का दरवाजा बंद था। कालिदास ने कहा- दरवाजा खोलो। पत्नी ने पूछा – ” अस्ति कश्चिद्वाग्विशेषः ?” अर्थात् अब कोई वाणी में विशेषता प्राप्त हुई क्या? तब कालिदास ने अपनी प्रतिभा से पत्नी को आनंदित किया। पत्नी के इन तीन शब्दों पर आधारित तीन काव्यों की रचना महाकवि कालिदास ने की।
शब्दार्थाः – अस्त्युतरस्यां दिशि देवातात्मा = उत्तर दिशाओं में देवताओं की आत्मा है। स्वाधिकारात्प्रमत्तः = अपने काम में प्रमाद करने से। वागार्थ विवसंपृक्तौ = शब्द और अर्थ के समान मिला हुआ।
अनुवाद- जैसे- ‘अस्ति’ इस शब्द से कुमारसम्भव
‘अस्त्युतरस्यां दिशि देवातात्मा, ‘कश्चित’ इस शब्द से मेघदूतम्- कश्चित् कान्ताविरहगुरुणा स्वाधिकारात्प्रमत्तः, वाक् इस शब्द से रघुवंश महाकाव्य ‘वागर्थाविवसम्पृक्तौ । तत् पश्चात् कालिदास ने चार ग्रंथों की रचना की । कालिदास के मुख्य सात ग्रंथ हैं। इनमें दो महाकाव्य- रघुवंश महाकाव्य, कुमार-संभव महाकाव्य दो खण्डकाव्य- मेघदूत और ऋतुसंहार तीन नाटक अभिज्ञान- शाकुन्तलं, विक्रमोर्वशीयं और मालविकाग्निमित्रम् । अभिज्ञान शाकुन्तल इनमें श्रेष्ठ रचना है। जर्मन कवि गेटे महोदय ने इनकी प्रशंसा की। इस ग्रंथ (शाकुन्तल) के विषय में एक सूक्ति प्रचलित है-काव्यों में नाटक रमणीय होता है उनमें भी अभिज्ञानशकुन्तल विशेष रमणीय है।’
शब्दार्था:- आलङ्कारिक= अलडकार युक्त। निधिः=सम्पति। लक्ष्यन्ते= दिखाई देते हैं।
अनुवाद- कालिदास की भाषा अलङ्कारयुक्त है। उपमा अलङ्कार के प्रयोग में वे प्रवीण हैं। कहते हैं- ‘उपमा कालिदासस्य’ इनके काव्य में प्रकृति में मनोहर चित्र दिखाई देते हैं। उनका प्रकृति में अनुराग था।
कवियों में शिरोमणि (उत्तम) महाकवि कालिदास की काव्य रचना को लोग विश्व की सम्पति मानते हैं।
शब्दार्था: – यशः कायेन= यश रूपी शरीर से। जयन्ति = जीवित रहते हैं। जरामरणजं =बुढ़ापे और मृत्यु
अनुवाद- आज महाकवि कालिदास का पार्थिव शरीर (भौतिक शरीर से) विद्यमान नहीं है फिर भी वे यशरूपी शरीर से विद्यमान हैं। विद्वान कहते हैं-“वे सत्काव्य करने वाले रस के विद्वान कवियों में श्रेष्ठ कवि विजयी हों या उनको नमस्कार है। जिनके यशरूपी शरीर में बुढ़ापा, मृत्यु से उत्पन्न होने वाला भय नहीं होता।”
अभ्यास प्रश्नाः
1. संस्कृत में उत्तर लिखिए-
(क) कालिदासस्य जन्मभूमिः कुत्र अस्ति ?
(कालिदास की जन्मभूमि कहाँ है ? )
उत्तर- कालिदासस्य जन्मभूमि उज्जयिन्याम् मन्यन्ते
(कालिदास की जन्मभूमि उज्जैन को मानते हैं।)
(ख) के मूर्खान्वेषणार्थं निर्गताः ?
(कौन मूर्ख के अन्वेषण के लिये गये.?)
उत्तर- बहवः विद्वांसः मूर्खान्वेषणार्थं निर्गताः ।
(बहुत से विद्वान मूर्ख के अन्वेषण के लिये गये।)
(ग) कया सह कालिदासस्य विवाहः जातः ?
(किसके साथ कालिदास का विवाह हुआ ?)
उत्तर- विद्योत्तमया सह कालिदासस्य विवाहः जातः
(विद्योत्तमा के साथ कालिदास का विवाह हुआ।)
(घ) कस्या अनुग्रहेण कालिदासः विद्वान् अभवत् ?
(किसके अनुग्रह से कालिदास विद्वान हुए ?)
उत्तर- देव्याः अनुग्रहेण कालिदासः विद्वान अभवत् ।
(देवी के अनुग्रह से कालिदास विद्वान हुए।)
(ङ) कालिदासेन केषां ग्रन्थानां रचना कृता ?
(कालिदास ने कौन-कौन से ग्रंथों की रचना की ?)
उत्तर- कालिदासेन रघुवंशम् महाकाव्यम्, कुमारसंभवम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयं, मेघदूतं, ऋतुसंहार ग्रन्थानां रचना कृता ।
कालिदास ने रघुवंश महाकाव्य, कुमार संभवम्, अभिज्ञान- शाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्रम, विक्रमोर्वशीयं, मेघदूतं, ऋतुसंहार ग्रंथों की रचना की।)
2. उचित संबंध जोड़िए-
1. कालिदासस्य जन्मभूमिः -शारदानन्दनृपः
2. विक्रमादित्यस्य नवरलेषु- रघुवंशम्
3. विद्योत्तमायाः पिता -उज्जयिनी
4. कालिदासस्य श्रेष्ठकृति- मेघदूतम्
5. खण्डकाव्यम् -अभिज्ञानशाकुन्तलम्
6. महाकाव्यम्-कालिदासः
उत्तर- 1. उज्जयिनी
2. कालिदासः,
3. शारदानन्दनृपः,
4. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
5. मेघदूतम्,
6. रघुवंशम् ।
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(अ) विक्रमादित्यस्य ……..कालिदासः एकः ।
(ब) शास्त्रार्थे यः मां.. ……तेन सह विवाहं करिष्यामि
(स) एकदा रात्रौ ………ध्वनिम् अभवत् ।
(द) जर्मनकविना …………..अस्य काव्यस्य प्रशंसा कृता ।
उत्तर- (अ) नवरलेषु, (ब) पराजेष्यति, (स) उष्ट्रस्य, (द) गेटे महोदयेन।
4. सन्धि विच्छेद कर प्रकार बताइए-
1. तदनुग्रहेण =तद् + अनुग्रहेण (व्यंजन सन्धि)
2. कश्चित् =कः + चित् (विसर्ग सन्धि )
3. वाग्विशेषः =वाग् + विशेष: (व्यंजन सन्धि )
4. रचनामकरोत् =रचनाम् + अकरोत् (व्यंजन सन्धि)
5. अस्त्युत्तरस्याम्= अस्ति + उत्तरस्याम् (यण संधि)
5. दिए गए सामासिक शब्दों के विग्रह कर नाम लिखिए-
1. नवरत्नम् =नवानां रत्नानाम् समाहारः (द्विगु समास)
2. राजकन्या = राज्ञः कन्या (षष्ठी तत्पुरुष समास)
3. शब्दत्रयम्- त्रयाणां शब्दानां समाहारः (द्विगु समास)