सजीवों में प्रजनन कक्षा 7 विज्ञान पाठ 20 स्मरणीय तथ्य
प्रजनन – जीवित प्राणियों की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा वे अपने जैसे अन्य प्राणी उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं, प्रजनन कहलाती हैं।
निषेचन –नर जनन इकाई एवं मादा जनन इकाई के मेल को निषेचन कहते हैं।.
परागण –परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र तक पहुँचना परागण कहलाता है।
अलैंगिक प्रजनन-बीज के अतिरिक्त पौधे के अन्य किसी भाग से नए पौधे के उगने को अलैंगिक प्रजनन कहते हैं।
परिवर्धन- युग्मनज से भ्रूण तथा भ्रूण से शिशु बनने की क्रिया को परिवर्धन कहते हैं।
पुनर्जनन – शरीर के कटे भागों से संपूर्ण जीव का बनना पुनर्जनन कहलाता है। –
पुनरुद्भवन – कुछ पौधे तथा प्राणी अपने खोए अथवा छिन्न-भिन्न हुए अंगों को पुनः अपनी शक्ति से उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं, इस क्षमता को पुनरुद्भवन कहते हैं।
बाह्य निषेचन – जब अंडे का निषेचन मादा के शरीर के बाहर होता है, तो उसे बाह्य निषेचन कहते हैं।
आंतरिक निषेचन- जब अंडे का निषेचन मादा के प्रजनन अंगों के भीतर होता है तो उसे आंतरिक निषेचन कहते हैं।
जनन के प्रकार
जनन दो प्रकार से होते हैं-1. अलैंगिक जनन, 2. लैंगिक जनन ।
अलैंगिक जनन में विभिन्न लिंगों (नर एवं मादा) की आवश्यकता नहीं होती।
पुष्पीय पौधों में प्रजनन अंग पुष्प में होते हैं। पौधों के नर जननांग को पुंकेसर तथा मादा जननांग को स्त्रीकेसर कहते हैं।
पुंकेसर में परागकण तथा स्त्रीकेसर में बीजाण्ड पाये जाते हैं। परागकण में नर युग्मक एवं बीजाण्ड में मादा युग्मक पाये जाते हैं।
युग्मकों की वृद्धि एवं परिवर्धन के फलस्वरूप वयस्क का निर्माण होता है। अंगों की वृद्धि से आकार, रूप तथा भार में परिवर्तन होता है।