सजीवों में नियंत्रण एवं समन्वय कक्षा 7 विज्ञान पाठ 16 स्मरणीय तथ्य
1. मस्तिष्क यह शरीर का कोमल एवं महत्वपूर्ण अंग है, जो खोपड़ी के अन्दर सुरक्षित रहता है।
2. मेरुरज्जु मस्तिष्क का पिछला भाग पतला होकर लम्बी बेलनाकार नली का रूप ले लेता है, इसे मेरुरज्जु कहते हैं।
3. तंत्रिकाएं तंत्रिकाएँ धागे के समान रचनाएँ हैं जो शरीर में जाल के समान फैली रहती हैं और शरीर के प्रत्येक भाग को मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क से जोड़ती है।
4. प्रतिवर्ती क्रियाएं शरीर द्वारा अपने बचाव में हमारी इच्छा के विपरीत किये गये कार्य प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं।
5. ज्ञानेद्रियाँ हमारी त्वचा, नाक, जीभ, आँख और कान संवेदी अंग हैं, जो बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं। इन्हें ज्ञानेन्द्रियाँ कहते हैं।
6. सजीवों में नियन्त्रण एवं समन्वय कार्य दो प्रकार से होता है— तंत्रिका तंत्र द्वारा तथा रासायनिक पदार्थों द्वारा।
7. मस्तिष्क बोलना, सुनना, पहचानना, स्पर्श, स्वाद, गन्ध आदि क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है।
8. वे तंत्रिकाएँ जो शरीर के विभिन्न भागों से सूचना मस्तिष्क अथवा मेरुरण्यु तक ले जाती है उन्हें संवेदी तंत्रिकाएँ कहते हैं।
9. वे तंत्रिकाएँ जो मस्तिष्क अथवा मेरुरज्जु से आदेश शरीर के विभिन्न अंगों तक लाती हैं उन्हें प्रेरक तंत्रिकाएँ कहते हैं।
10. हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तंत्र के अलावा कुछ विशेष ग्रंथियाँ होती हैं, जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ कहते हैं।
11. प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ पीयूष, थाइरॉयड, पैराथाइरॉयड, एड्रीनल, अग्न्याशय एवं वृषण हैं।
12. जन्तुओं की तरह पौधों में भी हार्मोन बनते हैं, वे पादप हार्मोन कहलाते हैं।
13. हार्मोन शरीर में धीमी गति से होने वाली क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं।