सबसे खतरनाक – अवतार सिंह पाश कक्षा 11 हिन्दी पद्य खंड

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है

सहमी सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है

पर सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शोर में मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना बुरा तो है सबसे खतरनाक नहीं होता

सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है

सबसे खतरनाक होता है

न होना तड़प का सब सहन कर जाना

मुर्दा शांति से भर जाना घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर आना हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक होता है


सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है

आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी निगाह में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वह आँख होती है

जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है। जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है जो चीजों से उठती अंधेपन की आप पर ठुलक जाती है जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है

सबसे खतरनाक वह चाँद होता है वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है पर आपकी आँखों को मिर्ची की तरह नहीं गड़ता है

जो हर हत्याकांड के बाद

सबसे खतरनाक वह गीत होता है। आपके कानों तक पहुँचने के लिए

जो मरसिए पढ़ता है

आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर जो गुडे की तरह अकड़ता है


सबसे खतरनाक वह रात होती है

जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है

जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआ हुआ करते गीदड़ हमेशा के अँधेरे बंद दरवाजों चौगाठों पर चिपक जाते हैं

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है

जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए

और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।