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सदाचार का तावीज़ – श्री हरिशंकर परसाई कक्षा 7वीं हिन्दी

पाठ से

प्रश्न 1. दरबारियों को भ्रष्टाचार क्यों दिखाई नहीं पड़ रहा था ?

उत्तर- दरबारियों को भ्रष्टाचार इसलिए दिखाई नहीं पड़ रहा था क्योंकि दरबार के अधिकारी व कर्मचारी स्वयं भ्रष्ट थे। घूस लेकर काम करते थे।

प्रश्न 2. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार के बारे में राजा को क्या बताया ?

उत्तर- विशेषज्ञों ने राजा को बताया कि भ्रष्टाचार हाथ की पकड़ में नहीं आता। वह स्थूल नहीं सूक्ष्म है। सर्वव्यापी है। उसे देखा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है।

प्रश्न 3. भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए विशेषज्ञों ने राजा को क्या सुझाव दिये ?

उत्तर- भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए विशेषज्ञों ने राजा की सुझाव दिया कि उन्हें व्यवस्था में बहुत परिवर्तन करने होंगे। एक तो भ्रष्टाचार के मौके मिटाने होंगे। जैसे ठेका है तो ठेकेदार है और ठेकेदार है तो अधिकारियों को घूस है। ठेका मिट जाये तो उसकी घूस मिट जाए। किन कारणों से आदमी घूस लेता है, यह भी विचारणीय है।

प्रश्न 4. भ्रष्टाचार मिटाने की योजना पढ़ने के बाद राजा की तबीयत क्यों खराब रहने लगी ?

उत्तर- भ्रष्टाचार मिटाने की योजना पढ़ने के बाद राजा ने उस पर विचार किया। विचार करते-करते दिन बीतने लगे, चिंता के कारण रात में राजा को नींद नहीं आती थी जिससे राजा की तबीयत खराब रहने लगी।

प्रश्न 5. साधु ने राजा को भ्रष्टाचार के बारे में क्या बताया ?

उत्तर- साधु ने राजा को भ्रष्टाचार के बारे में बताते हुए कहा कि “भ्रष्टाचार और सदाचार” मनुष्य की आत्मा में होता है बाहर से नहीं होता है। ईश्वर जब मनुष्य की रचना करता है तो किसी की आत्मा में ईमान और किसी की आत्मा में बेईमानी का फल फिट कर देता है। मनुष्य अपनी आत्मा की पुकार के अनुसार ही काम करता है।

प्रश्न 6. राजा ने ताबीज के प्रभाव को परखने के लिए क्या किया ?

उत्तर-राजा ताबीज़ के प्रभाव को परखने के लिए वेश बदलकर एक कार्यालय गए। उस दिन दो तारीख थी। एक दिन पहले ही तनख्वाह मिली थी। वह एक कर्मचारी के पास गए और किसी काम के लिए पाँच रुपये का नोट देने लगे। कर्मचारी ने उन्हें डॉटा और भाग जाने के लिए कहा, यहाँ घूस लेना पाप है राजा खुश हुए। कुछ दिन बाद ये फिर देश बदलकर उसी कर्मचारी के पास गए। उस दिन इकतीस तारीख थी राजा ने फिर उसे पाँच रुपये का नोट दिखाया और उसने लेकर जेब में रख लिया। राजा ने उसका हाथ पकड़कर पूछा क्या तुमने आज सदाचार की ताबीज नहीं पहनी है।

प्रश्न 7. राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की ?

उत्तर-भ्रष्टाचार को सूक्ष्म तथा सर्वव्यापी बताये जाने के कारण राजा ने ईश्वर को भी सर्वव्यापी तथा उनके गुणों का सूक्ष्म मानकर भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से की है।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. पाठ में उल्लेख किया गया है कि भ्रष्टाचार सर्वत्र है, सर्वव्यापी है।” आप इस बात से सहमत है या असहत तर्क के साथ अपनी समझ को लिखिए।

उत्तर- पाठ के अनुसार ‘भ्रष्टाचार सर्वत्र है, सर्वव्यापी है’ यह बात सत्य है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक इस भ्रष्टाचार रूपी शिष्टाचार में जकड़ा हुआ है। जन्म लेते ही नगर निगमः में भ्रष्टाचार, जन्म-प्रमाण पत्र हेतु, स्कूल में (एडमिशन) प्रवेश हेतु, युवा होने पर नौकरी हेतु, नौकरी से सेवानिवृत्त होने पर भविष्य निधि और पेंशन हेतु भ्रष्टाचार (रिश्वत) को अपनाया जाता है। अन्त में मृत्युपरान्त मृत्यु प्रमाण-पत्र हेतु भ्रष्टाचार से गुजरना पड़ता है। यहाँ भ्रष्टाचार को आधुनिक शिष्टाचार कहा गया है।

प्रश्न 2. क्या आपको लगता है कि ताबीज जैसे साधनों से भ्रष्टाचार खत्म किया जा सकता है ? अगर हाँ तो कैसे और नहीं तो क्यों ?

उत्तर- ताबीज जैसे साधनों से भ्रष्टाचार खत्म नहीं किया जा सकता क्योंकि मनुष्य अपनी मन की करता है, भ्रष्टाचार व सदाचार
मनुष्य की आत्मा में होता है। मनुष्य अपने दृढ़ निश्चय से ही सदाचारी बना रह सकता है। वह परेशानियों की वजह से ही अष्यचारी होता है। ताबीज जैसे साधन अंधविश्वास को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 3. हमारे देश अथवा राज्य में भ्रष्टाचार फैलने के क्या कारण आपको प्रतीत होते हैं ? साथियों से बातचीत कर अपनी समझ को लिखिए।

उत्तर- हमारे देश में अथवा राज्य में भ्रष्यचार फैलने का मुख्य कारण आदमियों की आवश्यकताएँ है क्योंकि आदमी उच्च पद पर बैठकर भी किसी काम को सरलतापूर्वक नहीं करता। कुछ लोग काम को करवाने के लिए रुपयों का प्रलोभन देकर जल्दी ही करवा लेते हैं। आदमी की जल्दबाजी ही भ्रष्टाचार फैलने का कारण है।