मेरा नया बचपन – श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान कक्षा 6वीं हिन्दी

पद्यांशों की व्याख्या

1. बार-बार आती है’ ‘चीवड़ो में रानी ॥ सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भारती’ के पाठ-8 “मेरा नया बचपन’ से लिया गया है। इसके रचयिता श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान है।

प्रसंग प्रस्तुत पद में कवयित्री अपनी नन्हीं बिटिया के माध्यम से अपने बचपन को याद कर रही हैं।

व्याख्या-कवयित्री अपनी नन्हीं बिटिया को खेलते देखकर अपने बचपन के दिनों को याद कर कहती है कि मुझे तुम्हारे बचपन को देखकर अपने बचपन के दिनों की मधुर याद आ गई है। बचपन के मेरे जीवन की सबसे अच्छी खुशी को ले गया है। बिना किसी चिन्ता के खेलना, खाना, निर्भय होकर स्वच्छंद घूमना इन सब बचपन के अतुलनीय • आनन्द को भूला नहीं जा सकता है। बचपन में ऊँच-नीच, छुआछूत कोई नहीं जानता है। खेलते समय झोंपड़ी बनाकर और कपड़ों (कपड़े के टुकड़ों) को लटकाकर रानी का स्वांग रचना, यह सब याद करके मन आज भी आहें भरता है।

2. किये दूध के कुल्ले

सन्दर्भ-पूर्ववत् ।

को सुखा दिया ॥

प्रसंग प्रस्तुत पद में कवयित्री बचपन के सरल-सुबोध मन का वर्णन कर रही है।

व्याख्या- कवयित्री कहती है कि बचपन में चीजों में भेद करना हमारा मन नहीं जानता, जो मन लगा वही कार्य किये जाते हैं। दूध को नकासा देना, अँगूठे को चूसना अच्छा लगता था। खूब हो-हल्ला मचाकर सूने घर को शोर-गुल से भर देते थे, थोड़ी ही देर में रोना और फिर झट से मचल जाना भी बहुत आनन्द दिलाता था। थोड़ी-सी बात पर बड़े-बड़े आँसू निकालकर रोना भी मजे देता था, आँसुओं की लड़ी मानो हमें जयमाला लगती थी, मेरे रोने पर माँ अपने काम छोड़कर आती थी/ मुझे उठाकर, गन्दे शरीर को साफ कर मुझे चूम लेती थी, मुझे चूम-चूमकर वह मेरा रोना भुला देती थी।

3. आ जा बचपन

‘कुटिया मेरी ॥

सन्दर्भ- पूर्ववत् ।

प्रसंग- बचपन की निर्मल शान्ति का वर्णन कवयित्री कर रही है। व्याख्या -कवयित्री अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्हें

बुला रही है। बचपन में मन में किसी भी प्रकार की व्यथा नहीं रहती है। मन शान्त रहता है, व्यवहार में भोलापन होता है। बचपन का प्यारा जीवन निष्पाप होता है। हे मेरे बचपन ! क्या तू फिर से आकर मेरे कष्ट को मिटा सकेगा। मैं अपने बचपन को बुला रही थी कि मेरी बिटिया बोल पड़ी। उसकी किलकारी मानो नंदन-वन की गूंज के समान लगने लगी, लगा कि मेरा घर नंदन-वन सा आनंदमय व शान्त हो गया है।

4. ‘माँ ओ’ कहकर सन्दर्भ-पूर्ववत् ।

“तुम्ही खाओ।”

प्रसंग प्रस्तुत पद में अपनी बिटिया द्वारा मिट्टी खाकर अपनी माँ को मिट्टी खिलाने आई बेटी की शारीरिक भाव-भंगिमाओं का वर्णन किया

गया है।

व्याख्या- बिटिया ‘माँ ओ’ कहकर मुझे बुला रही थी, वह मिट्टी खा कर आई थी, बोड़ा-सा मुँह में था कुछ हाथ में लेकर मुझे खिलाने आई थी। बिटिया पुलकित होकर मुझे मिट्टी खिलाने आयी थी, उसकी आँखें कौतूहल से मुझे निहार रही थीं। मुख पर खुशी की लालिमा छाई थी, ‘मिट्टी खा लेने का गर्व भी उसकी आँखों से झलक रहा था। मैंने जब पूछा कि- “मेरी बिटिया वह क्या लाई ?” वह बोल पड़ी। “माँ खाओ” यह सुनकर मेरा हृदय प्रसन्नता से भर गया। मैंने कहा कि “तुम्हीं खाओ।” फिर से आया ॥

5. पाया मैंने बचपन सन्दर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पद में कवयित्री कह रही है कि मैंने अपना बचपन, बेटी के रूप में पुनः पाया है।

व्याख्या-कवयित्री कह रही है कि मैंने अपना बचपन फिर से पा लिया है। वह मेरी बिटिया के रूप में पुनः मेरे पास आ गया है। उसकी सुन्दर छवि देखकर मुझमें नवजीवन-सा आ गया है। मैं भी उसके साथ खेलती-खाती हूँ, तुतलाती हूँ, उसके साथ मिलकर मैं भी बच्ची बन जाती हूँ। मैं अपने बचपन को बरसों से खोज रही थी किन्तु अब जाकर उसे मैंने पाया है। मुझे छोड़कर जो बचपन भाग गया था वह फिर से आ गया है।

अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1. इस कविता का शीर्षक ‘मेरा नया बचपन’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर- इस कविता में नये बचपन से आशय कवयित्री की बिटिया के बचपन से है।

प्रश्न 2. कवयित्री अपनी बच्ची के साथ किस प्रकार बच्ची बन जाती है ?

उत्तर-कवयित्री अपने भोले-भाले बचपन को हमेशा याद करती है। अपनी बच्ची के साथ खेलती है, खाती है, उसी की तरह तुतलाती है। इस प्रकार वह अपनी बच्ची के साथ मिलकर स्वयं बच्ची बन जाती है।

प्रश्न 3. बच्ची क्या खाकर आई थी और वह अपनी माँ से क्या कह रही थी?

उत्तर- बच्ची मिट्टी खाकर आई थी और अपनी भीं से भी मिट्टी खाने के लिए कह रही थी।

प्रश्न 4. कवयित्री अपने बचपन का सुखद अनुभव कब करती है?

उत्तर- कवयित्री अपने बचपन का सुखद अनुभव अपनी नन्हीं ‘बिटिया को खेलते देखकर करती हैं।

प्रश्न 5. माँ किस उम्र की बात हमेशा दोहराती है?

उत्तर- माँ जब बचपन की यादों को याद करती है तो उसे अपने बचपन के बिताए हुए पल याद आ जाते हैं। माँ यहाँ बचपन की बात को हमेशा दोहराती है।

प्रश्न 6. बचपन की स्वच्छन्दता, पाठ की किन पंक्तियों में अभिव्यक्त की गई है?

उत्तर- बचपन की स्वच्छन्दता पाठ की इन पंक्तियों के द्वारा अभिव्यक्त की गई है- चिंता रहित खेलना, खाना, वह फिरना निर्भय स्वच्छंद । कैसे भूला जा सकता है, बचपन का अतुलित आनंद ।।

प्रश्न 7. ‘मंजुल मूर्ति देखकर, मुझमें नवजीवन आया’ के द्वारा कवयित्री क्या कहना चाहती है ?

उत्तर- कवयित्री कह रही है कि मेरी बिटिया के रूप में मैंने फिर से नया जीवन पाया है। उसकी सुन्दर छवि देखकर मैं अपना जीवन फिर से जी रही हूँ। ‘नवजीवन’ से कवयित्री का बचपन से तात्पर्य है ।

प्रश्न 8. बच्ची को मिट्टी खाते देखकर माँ नाराज क्यों नहीं होती है?

उत्तर- बच्ची के मिट्टी खाते हुए चेहरे पर खुशी की लालिमा थी, एक प्रकार का विजयी भाव उसके चेहरे से झलक रहा था, वह अपनी माँ के खाने के लिए भी मिट्टी लाई थी। यह सब देखकर माँ नाराज नहीं होती है।

प्रश्न 9. बचपन में हम किन चीजों से खेलना पसंद करते हैं?

उत्तर- बचपन में हम हाथी, घोड़ा और अन्य प्लास्टिक के खिलौने खेलना पसंद करते हैं साथ ही हम पुतरी पुतरा का खेल भी बचपन में ज्यादातर खेलते हैं।

प्रश्न 10. ऊँच-नीच ‘चीथड़ों में रानी’ इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री बचपन की किन बातों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कर रही है।

उत्तर- बचपन में ऊँच-नीच, छुआ-छूत कोई नहीं जानता है। खेलते समय झोंपड़ी बनाकर और कपड़ों (कपड़े के टुकड़ों) को लटकाकर रानी का स्वांग रचना, यह सब याद करके मन आज भी आहे भरता है। कवयित्री बचपन की इन्हीं बातों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कर रही हैं।

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