पद्यांशों की व्याख्या
1. खेती ल हुसियार
‘म बरखा आये।
सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भारती के ‘बरखा आये’ नामक छत्तीसगढ़ी पाठ से ली गई हैं। इनके कवि लाला जगदलपुरी जी हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्य पंक्ति में कवि ने वर्षा ऋतु में वर्षा की फुहार पड़ने से किसान, मजदूर, जीव-जन्तुओं में खुशहाली के वातावरण का वर्णन किया है।
व्याख्या -कवि कहते हैं बरसात होने से खेत-खलिहान में हरियाली का वातावरण निर्मित होता है। वर्षा होने से ही अन्न पैदा होता है जिससे जिन्दगी शक्तिशाली बनती है। धरती पर जब वर्षा की बूँदें पड़ती हैं तब मिट्टी में दबे बीज अंकुरित होकर पौधा तैयार होता है और हमें फल, अन्न देता है, लोगों के सपने सच होते हैं, वर्षा होने से मजदूर भी खुशी से नाच उठते हैं। इस तरह वर्षा के होने से चारों तरफ, हरियाली, खुशहाली का वातावरण देखने को मिलता है।
2. बाजत रहिथे झिमिर
सन्दर्भ-प्रसंग – पूर्ववत्
‘अस बरखा के।
व्याख्या-कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में वर्षा की रिमझिम फुहार की झड़ी लगी रहती है जो एक सुरीली सारंगी की ताल के समान आवाज करती है, बादलों की गड़गड़ाहट नगाड़ों की तरह बजते हैं और काले-काले बादल एक जगह से दूसरी जगह बरसते हुए खुशियों का समाचार लेकर सभी जगहों पर बरसते हैं अर्थात् काले-काले बादल दूर-दूर जाकर बरसने पर एक संदेशवाहक का कार्य करते हैं।
3. जोत जोगनी के
सन्दर्भ-प्रसंग – पूर्ववत्
‘खुसरये अँधियारी म।
व्याख्या-कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में रात्रि में समय चारों ओर घटाटोप अँधेरा छा जाने पर जुगनू तारों की भाँति चमकते रहते हैं। जुगनू अपने मन आस लगाये बिजली की तरह चमकते हुए अँधियारे को दूर करते हैं। बरसात में मेढ़कों के टर्राने की आवाज सुनाई देती है जिसे छोटे बच्चे डर से कॉप जाते हैं और पागल बनकर अँधियारी रातों में हवा अचानक से चलने लगती है जो सभी को डरा देती है।
4. कहूँ तोरई,
सन्दर्भ-प्रसंग – पूर्ववत्
‘होडी बखरी म ।
व्याख्या- वर्षा ऋतु में हरी सब्जियों की आवक बढ़ जाती है। बाड़ी में कहीं तोरई, तूमा, भिंडी झाड़ी में लटके रहते हैं। कहीं करेला, कुँदरू, खीरा में फूल लगे रहते हैं। किसी बाड़ी में जरी (एक प्रकार का पौधा है
जो सब्जी के काम आता है) तो कहीं बरबट्टी लटक रहे हैं। अतः बच्चे खुश होकर इन सब चीजों को खाने के लिए बाड़ी-बाड़ी घूमते नजर आते हैं।
5. अतका पानी द
पियास माँगये।
सन्दर्भ-पूर्ववत्
प्रसंग-कवि वर्षा से निवेदन कर रहे हैं।
व्याख्या-कवि वर्षा ऋतु से निवेदन करते हैं कि इतना पानी बरसो जितना कि जीवन में सबको विश्वास हो, अन्न उगाने के लिए जितने पानी की आवश्यकता हो, हमारे देश के प्रत्येक गाँव में इतना पानी बरसो जितना कि प्यासा पानी पीने के लिए तालाब के नजदीक पहुँचते हैं। अर्थात् पानी बरसने से सभी जीव-जन्तुओं की प्यास बुझ जाये व अन्न की भरपूर पैदावार हो ।
अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. बरखा आये के का कारण हवय ?
उत्तर- खेती ल हुसियार बनाय बर बरखा आथे।
प्रश्न 2. बरखा आये से जिनगी म का परभाव होये ?
उत्तर- बरखा आये से जिनगी खुशहाल बन जाये ।
प्रश्न 3. सपना ह सिरतोन कइसे बनये ?
उत्तर- बरखा आए ले किसान के माटी ल सोन बनाए के सपना ह सिरतोन बनथे ।
प्रश्न 4. बरखा ह कोन कोन रूप म बाजत हवय ?
उत्तर-बरखा ह चिकारा अउ नंगारा के रूप म बाजत हवय ।
प्रश्न 5. कवि ह बादल ल हरकारा कस काबर कहे हवय ?
उत्तर- बादल ह दुरिहा-दुरिहा म जाके पानी बरसाते अउ भुइयाँ, जीव-जन्तु के प्यास ल बुझाये एकर सेती कवि ह बादल ल हरकारा कहे हे ।
प्रश्न 6. अंधियारी म बरत जोगनी ल कवि ह का जिनिस कहे हवय ?
उत्तर- अंधियारी म बरत जोगनी ल कवि ह जोत जोगनी के तारा अस कहे हवय ।
प्रश्न 7. लइका मन का कारण से कपसत हवय ?
उत्तर- लइका मन मेचका मन के आरो ले कपसत हवय ।
प्रश्न 8. कवि बरखा ले कतका पानी माँगत हे?
उत्तर- कवि बरखा ले अतका पानी माँगथे जेमे गाँव-गाँव म अन्न के अब्बड़ फसल होवय अउ जम्मो जीव-जन्तु के प्यास बुझा जवै ।
प्रश्न 9. खाल्हे लिखाय कविता मन के अर्थ लिखव-
(क) जिनगी ल ओसार बनाय बर भुइयाँ में बरखा आये।
उत्तर-बरखा होय ले अन्न उपजथे, जेकर ले हमर जिनगी ह संवरथे । हमर जिनगी ल संवारे खातिर ही भुइयाँ मा बरसा होथे ।
(ख) जतका पानी निहारिन ल तरिया तीर पियास माँगये ।
उत्तर- बरखा से कवि ह निवेदन करत हे कि मोर देश के हर गाँव मा अतका पानी बरसो कि जतका पानी एक पियासा ल तालाब तीर में पहुँच के होथे।
(ग) आसा मन के, बिजली बन के चम चम करये अँधियारी म ।
उत्तर- सच्चा मन ले कोनों काम ल करबे त नवा आस-विश्वास मन में जागथे अऊ अंधियारी ल दूर करके बिजली असन चमकथे ।