दो धनात्मक पूर्णांकों का योगफल सदैव धनात्मक पूर्णांक तथा दो ऋणात्मक पूर्णांकों का योगफल सदैव ऋणात्मक पूर्णांक होता है।
दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल धनात्मक पूर्णांक होगा तथा दो ऋणात्मक पूर्णांकों का गुणनफल धनात्मक पूर्णांक होगा। यदि धनात्मक पूर्णांक का आभिक मान अधिक हो तथा योगफल ऋणात्मक होगा या यदि ऋणात्मक पूर्णांक का आभिक मान अधिक हो।
दो पूर्णांकों का योग हमेशा एक पूर्णांक होता है, जैसे पूर्णांकों के योग के लिए संख्याएं पूर्णांक हैं।
पूर्णांक में जोड़ने से उनका मान में कोई परिवर्तन नहीं आता है। उदाहरण: संख्या 1 को उसका तत्समक संख्या माना जाता है।
पूर्णांक में 1 का गुणा करने पर उसके मान में परिवर्तन नहीं आता है। उदाहरण: 1 को पूर्णांक तत्समक संख्या माना जाता है।
किसी धनात्मक संख्या को किसी ऋणात्मक संख्या के साथ गुणा करने पर गुणनफल ऋणात्मक संख्या होता है। जैसे: (+1) × (−1) = −1 या (−1) × (+1) = −1
ऋणात्मक संख्या का ऋणात्मक संख्या के साथ गुणा होने पर धनात्मक संख्या प्राप्त होती है। जैसे: (−1) × (−1) = +1
दो पूर्णांकों का योग, अंतर एवं गुणा एक पूर्णांक होता है।
पूर्णांक से 0 घटाने पर उसका मान नहीं बदलता।
पूर्णांक के पूर्ववर्ती एवं परवर्ती सदैव पूर्णांक ही होते हैं।
किसी ऋणात्मक संख्या का योग प्रतिलोम धनात्मक संख्या तथा किसी धनात्मक संख्या का योग प्रतिलोम ऋणात्मक संख्या होती है।
पूर्णांक संख्या पर सदैव न्यूनतम मान होता है। जैसे: 3-4 में सबसे बड़ा पूर्णांक संख्या -1 प्राप्त होगा।
पूर्णांक संख्या पर यदि -1 गुणा करें या भाग दें पर परिणाम -1 प्राप्त होता है।