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डाइकॉटिलीडनी (द्विबीजपत्री) पौधों के सामान्य लक्षण और वर्गीकरण

डाइकॉटिलीडनी (द्विबीजपत्री) पौधों के सामान्य लक्षण और वर्गीकरण:

सामान्य लक्षण (General Characteristics):

  1. मूसला जड़ तंत्र: इन पौधों में टैप रूट सिस्टम पाया जाता है, जिसमें मुख्य जड़ से अन्य शाखाएँ निकलती हैं।
  2. पत्तियों का शिराविन्यास: इनकी पत्तियों में जालिकाविक शिराविन्यास (Reticulate venation) पाया जाता है।
  3. पुष्प: इनके पुष्प आमतौर पर पंचतयी (Pentamerous) होते हैं, यानी प्रत्येक पुष्प में पांच भाग होते हैं।
  4. द्वितीयक वृद्धि: इन पौधों के तनों में द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) पाई जाती है, जिससे ये बड़े और मजबूत बनते हैं।
  5. बीजपत्रों की संख्या: इन बीजों में द्विबीजपत्र (Two cotyledons) होते हैं।

डाइकॉटिलीडनी पौधों का वर्गीकरण:

  1. वर्ग (Class) – पॉलीपेटली (Polypetalae)
    इसके पुष्पों में दल (Petals) और बाह्यदल (Sepals) प्रायः स्वतंत्र होते हैं। इसे तीन श्रेणियों में बाँटा गया है:
    • श्रृंगरी – I (Thalamiflorae):
      • बाह्यदल स्वतंत्र होते हैं।
      • पुष्प अधोजायांगी (Hypogynous) होते हैं, यानी अंडाशय के नीचे होते हैं।
      • इसमें कई पुंकेसर और अण्डप होते हैं।
    • श्रृंगरी – II (Disciflorac):
      • बाह्यदल स्वतंत्र या संयुक्त होते हैं।
      • अण्डाशय के नीचे डिस्क या वलय होता है।
      • पुंकेसरों की संख्या सीमित होती है।
    • श्रृंगरी – III (Calyciflorae):
      • बाह्यदल प्रायः संयुक्त (Gamosepalous) होते हैं, कभी-कभी स्वतंत्र होते हैं।
      • अण्डाशय परिजायांगी (Perigynous) या उपरिजायांगी (Epigynous) होता है।
      • अण्डाशय अधोवर्ती (Inferior) होता है।
  2. वर्ग (Class) – गेमोपेटली (Gamopetalae)
    इन पौधों में बाह्यदल संयुक्त बाह्यदलीय (Gamosepalous) होते हैं और दल संयुक्त दलीय (Gamopetalous) होते हैं।
    • श्रृंगरी – I (Inferae):
      • पुंकेसरों की संख्या दल-पालियों (Petal-lobes) की संख्या के बराबर होती है।
      • अंडाशय अधोवर्ती (Inferior) होता है।
    • श्रृंगरी – II (Heteromerae):
      • पुंकेसरों की संख्या दलपालियों की संख्या के बराबर या कम होती है।
      • पुंकेसर, दललग्न (Epipetalous) या स्वतंत्र होते हैं।
      • अण्डाशय उत्तरवर्ती (Superior) होता है।
    • श्रृंगरी – III (Bicarpellatae):
      • पुंकेसर दल-पालियों के एकान्तरित क्रम में लगे होते हैं।
      • पुंकेसरों की संख्या दलों की संख्या के बराबर होती है।
      • अण्डाशय उत्तरवर्ती (Superior) होता है।
  3. वर्ग (Class) – मोनोक्लेमाइडी (Monochlamydae)
    इन पौधों में पुष्प परिदलपुंज (Perianth) युक्त होते हैं, जिसमें परिदल (Tepals) बाह्यदलाभ (Sepaloid) होते हैं।
    • इनके पुष्प प्रायः अपूर्ण होते हैं और इन्हें 8 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे:
      • कर्वेम्ब्रायी (Curvembryeae)
      • मल्टीओवुलाटे एक्वाटिसी (Multiovulatae aquaticae)
      • माइकोएम्बी (Microembryae)
      • डेपलीज (Daphnales)
      • आर्डिनेस ऐनामेलीज (Ordiness anamalies)

निष्कर्ष:
डाइकॉटिलीडनी (द्विबीजपत्री) पौधों के विशिष्ट लक्षणों में मूसला जड़ तंत्र, जालिकाविक शिराविन्यास, पंचतयी पुष्प, द्वितीयक वृद्धि और द्विबीजपत्रों का होना शामिल है। इन्हें तीन मुख्य वर्गों में बाँटा गया है: पॉलीपेटली, गेमोपेटली और मोनोक्लेमाइडी, जो विभिन्न पुष्प संरचनाओं और जीवन चक्र में भिन्नताएँ प्रदर्शित करते हैं।