जिम्नोस्पर्म्स (Gymnosperms):
जिम्नोस्पर्म्स नग्नबीजयुक्त पौधों का समूह है, जिनके बीजों के चारों ओर कोई आवरण नहीं पाया जाता। इनके बीजाण्ड निषेचन के बाद खुले दिखाई देते हैं और ये बीज विशेष प्रकार की रूपांतरित पत्तियों (स्पोरोफिल्स) पर स्थित होते हैं। इस समूह में लगभग 900 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
सामान्य लक्षण (General Characteristics):
- बहुवर्षीय पौधे:
जिम्नोस्पर्म्स बहुवर्षीय होते हैं और इनमें काष्ठीय वृक्ष, क्षुप और मरुद्भिद पौधों की प्रकृति होती है। - संवहनी ऊतक:
इनमें संवहनी ऊतक होते हैं, जिसमें जाइलम और फ्लोयम का निर्माण होता है, परंतु इनके जाइलम में वाहिकाओं (Vessels) और फ्लोयम में सवि कोशिकाओं (Companion cells) का अभाव होता है। - स्पोरोफाइटिक पादपकाय:
इनका मुख्य पादपकाय स्पोरोफाइटिक होता है, जो जड़, तना और पत्तियों में विभाजित होता है। - प्रजननांग शंकु (Cone) रूप में होते हैं:
इन पौधों के प्रजननांग शंकु (Cone) या स्ट्रोबिलस के रूप में होते हैं, जो नर और मादा शंकु होते हैं। नर शंकु में माइक्रोस्पोरोफिल्स और मादा शंकु में मेगास्पोरोफिल्स होते हैं, जिनमें नग्न बीजाण्ड (Naked Ovules) लगे होते हैं। - परागण:
इनका परागण वायु द्वारा होता है। नर शंकु से परागकण (Pollengrains) निकलते हैं, जो अंकुरित होकर नर युग्मकों (Male gametes) का निर्माण करते हैं। - आर्कीगोनिया (Archegonia):
मादा युग्मकोद्भिद का निर्माण बीजाण्ड में होता है, जहां प्रत्येक बीजाण्ड में दो या अधिक आर्कीगोनिया लगे होते हैं। आर्कीगोनिया में ग्रीवा नाल कोशिकाओं (Neck canal cells) का अभाव होता है। - द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth):
जिम्नोस्पर्म्स में द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है, जो इनकी वृद्धि को बढ़ाती है। - बहुभ्रूणीयता (Polyembryony):
इनमें बहुभ्रूणीयता पाई जाती है, अर्थात एक बीज में कई भ्रूण विकसित हो सकते हैं। - बीजपत्रों की संख्या:
इनके भ्रूण में दो बीजपत्र (Cotyledons) पाये जाते हैं।
उदाहरण (Examples):
- सायकस (Cycas)
- पाइनस (Pinus)
- विलियमसोनिया (Williamsonia)
- जिंगो (Ginkgo)
- इफेड्रा (Ephedra)
जिम्नोस्पर्म्स प्राचीन पौधे हैं और इनकी संरचना में कुछ विशेषताएँ पाई जाती हैं, जैसे नग्न बीज और शंकु रूप में प्रजननांगों का विकास, जो इन्हें अन्य पौधों से अलग बनाता है।