कविता के बहाने पाठ कविता का सार (Kavita ke Bahaane Summary)
कविता के बहाने कविता के कवि कुँवर नारायण हैं। इनकी कविता ‘कविता के बहाने’ उनके ‘इन दिनों’ संग्रह से ली गई है। आज का समय कविता के वजूद को लेकर चिंतित है। कवि को शक है कि आधुनिक यंत्रों के दबाव से कविता का अस्तिव नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता – कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है। कवि कहते हैं कि कविता की उड़ान और चिड़िया की उड़ान एक ही तरह की होती है। मगर दोनों की उड़ान में फर्क केवल इतना हैं कि चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है। मगर कवि की उड़ान अर्थात भावनाओं व कल्पनाओं की कोई सीमा नहीं होती। चिड़िया कविता की इस उड़ान को नहीं जान सकती क्योंकि कविता कल्पनाओं के पंख लगाकर दूर तक उड़ान भर सकती हैं। और कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान की तरह सीमित न होकर वस्तृत होती है। कविता भी ठीक उसी प्रकार से विकसित होती है, महक बिखेरती हैं, जिस प्रकार एक फूल विकसित होता है अथवा चारों ओर खुशबू बिखेरता हैं। लेकिन फूलों का विकसित होना और खुशबू बिखेरना कुछ ही समय के लिए होता हैं क्योंकि कुछ समय बाद वो मुरझा जाते हैं। परन्तु इसके विपरीत कविता के भावों का प्रभाव अत्यधिक लम्बे समय के लिए होता है जो हमेशा लोगों को प्रभावित करता रहता हैं। इसीलिए कवि कहते हैं कि फूल कभी भी कविता के बिना मुरझाये खिले रहने व खुशबू बिखेरते रहने के राज़ को नहीं समझ सकता हैं। कवि ने बच्चों को और उनके खेल को कविता के समान बताया है। जिस प्रकार खेल खेलते समय बच्चों की कल्पनायें असीमित होते हैं। ठीक उसी प्रकार कवि की कल्पनाऐं भी असीमित होती हैं। जिस प्रकार बच्चे खेल खेलने के लिए किसी के भी घर में चले जाते हैं। यानि उस वक्त वो सब कुछ भूलकर सबको एक कर देते हैं। ठीक उसी प्रकार कविता भी किसी तरह की सीमाओं या बंधन को नहीं जानती। वह भी सभी पर अपना प्रभाव समान रूप से डालती है। यही कारण है की कवि ने बच्चों और कविता की तुलना की है और दोनों को एक समान बताया हैं। क्योंकि दोनों की कल्पनायें असीमित होती हैं और दोनों ही अपने-पराये का भेद नही जानते।
कविता के बहाने कविता की व्याख्या (Kavita ke Bahaane Explanation)
काव्यांश 1-
कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने ?
कठिन शब्द –
उड़ान – उड़ने की क्रिया या भाव, छलाँग, कुदान, एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने का भाव
बहाने – टालमटोल, हीला-हवाला, ढब, छल, धोखा, फ़रेब, झूठ बोलना, टालना
माने – मायने
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि कविता की उड़ान और चिड़िया की उड़ान एक ही तरह की होती है। मगर दोनों की उड़ान में फर्क केवल इतना हैं कि चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है। मगर कवि की उड़ान अर्थात भावनाओं व कल्पनाओं की कोई सीमा नहीं होती। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि अपनी कल्पनाओं के सहारे कहीं भी अर्थात देश और समय की सीमाओं के परे भी अपनी सोच को उड़ा सकता है।
कविता और कवि की उड़ान को चिड़िया कभी नहीं जान सकती क्योंकि चिड़िया एक घर से दूसरे घर के आंगन, छत, पेड़ की डालियों और आसमान में थोड़ी दूर तक अपनी सीमा पर ही उड़ सकती है लेकिन कवि अपनी कविता में कल्पनाओं के पंख लगाकर देश और काल में जहाँ तक जाना चाहे वहाँ तक जा सकता है। क्योंकि कविता की उड़ान विस्तृत होती है। अर्थात उसकी कोई सीमा नहीं होती। इसीलिए कवि कहते हैं कि चिड़िया कविता की इस उड़ान को नहीं जान सकती क्योंकि कविता कल्पनाओं के पंख लगाकर दूर तक उड़ान भर सकती हैं। और कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान की तरह सीमित न होकर वस्तृत होती है।
काव्यांश 2-
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने!
कठिन शब्द –
खिलना – विकसित होना
मुरझाए – उदास होना
महकना – महक देना, ख़ुशबूदार होना, सुंगंधित होना
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि कविता भी ठीक उसी प्रकार से विकसित होती है, महक बिखेरती हैं, जिस प्रकार एक फूल विकसित होता है अथवा चारों ओर खुशबू बिखेरता हैं। लेकिन फूलों का विकसित होना और खुशबू बिखेरना कुछ ही समय के लिए होता हैं क्योंकि कुछ समय बाद वो मुरझा जाते हैं। परन्तु इसके विपरीत कविता के भावों का प्रभाव अत्यधिक लम्बे समय के लिए होता है जो हमेशा लोगों को प्रभावित करता रहता हैं। इसीलिए कवि कहते हैं कि कविता के विकसित होने का अर्थ फूल कभी नहीं समझ सकता, क्योंकि फूल घर-आंगन, बाग़-बगीचों में खिलते हैं और चारों और खुशबू बिखेरते हैं। लेकिन कुछ समय बाद वे मुरझा जाते हैं। परन्तु इसके विपरीत जब एक कविता विकसित होती है तो वह अपने भावों की खुशबू से हमेशा लोगों के दिलों में खुशबू बिखेरती रहती हैं। कविता का प्रभाव हमेशा बना रहता है। जो कविता में सदैव एक नए पन को बनाये रखता हैं। इसीलिए कवि कहते हैं कि फूल कभी भी कविता के बिना मुरझाये खिले रहने व खुशबू बिखेरते रहने के राज़ को नहीं समझ सकता हैं।
आगे कवि ने बच्चों को और उनके खेल को कविता के समान बताया है। कवि कहते हैं कि जिस प्रकार खेल खेलते समय बच्चों की कल्पनायें असीमित होते हैं। ठीक उसी प्रकार कवि की कल्पनाऐं भी असीमित होती हैं। जिस प्रकार बच्चे खेल खेलने के लिए किसी के भी घर में चले जाते हैं। यानि उस वक्त वो सब कुछ भूलकर सबको एक कर देते हैं। ठीक उसी प्रकार कविता भी किसी तरह की सीमाओं या बंधन को नहीं जानती। वह भी सभी पर अपना प्रभाव समान रूप से डालती है। यही कारण है की कवि ने बच्चों और कविता की तुलना की है और दोनों को एक समान बताया हैं। क्योंकि दोनों की कल्पनायें असीमित होती हैं और दोनों ही अपने-पराये का भेद नही जानते।