आवृत्तबीजी पौधों का वर्गीकरण

आवृत्तबीजी पौधों का वर्गीकरण (Classification of Angiosperms):

आवृत्तबीजी पौधों का वर्गीकरण समय-समय पर विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न पद्धतियों के आधार पर किया गया है। इन वर्गीकरणों को तीन प्रमुख पद्धतियों में बांटा जा सकता है:

1. कृत्रिम पद्धति या वर्गीकरण (Artificial System or Classification):

कृत्रिम पद्धति में पौधों का वर्गीकरण कुछ विशिष्ट और आसानी से पहचाने जाने वाले लक्षणों के आधार पर किया जाता है, जैसे फूलों के अंगों की संख्या, आकार, रंग, या व्यवस्था। यह पद्धति पौधों के प्राकृतिक संबंधों या विकासात्मक इतिहास को न देखकर केवल बाहरी लक्षणों पर आधारित होती है। इस पद्धति का उपयोग पहले के वैज्ञानिकों जैसे कैरोलस लिनिउस (Carolus Linnaeus) द्वारा किया गया था, जिनकी द्विवचन प्रणाली (Binomial Nomenclature) ने पौधों के नामकरण के लिए एक आधार तैयार किया।

उदाहरण:

  • फूलों की संख्या के आधार पर पौधों का वर्गीकरण।
  • पत्तियों के आकार और रूप के आधार पर पौधों का वर्गीकरण।

2. प्राकृतिक पद्धति या वर्गीकरण (Natural System or Classification):

प्राकृतिक पद्धति में पौधों का वर्गीकरण उनके प्राकृतिक संबंधों के आधार पर किया जाता है। इसमें पौधों के विभिन्न लक्षणों जैसे संरचनात्मक, जैविक, और प्रजनन प्रणाली के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है। इस पद्धति में विकासात्मक दृष्टिकोण और पौधों के उत्पत्ति के स्रोत का ध्यान रखा जाता है। पौधों के पारिस्थितिकी और वातावरण में उनके स्थान को भी ध्यान में रखा जाता है।

उदाहरण:

  • एडवर्ड जैफ्री (Edward Jeffrey) और अल्फ्रेड रसेल वॉलेस ने पौधों के प्राकृतिक समूहों का अध्ययन किया, जो उनके विकासात्मक और प्रजननात्मक लक्षणों पर आधारित थे।

3. जातिवृत्तीय पद्धति या वर्गीकरण (Phylogenetic System or Classification):

जातिवृत्तीय पद्धति में पौधों का वर्गीकरण उनके विकासात्मक इतिहास और वंशवृत्त (Lineage) पर आधारित होता है। यह पद्धति पौधों के ऐतिहासिक और वंशानुगत संबंधों को ध्यान में रखते हुए उनके आपसी विकास को समझने की कोशिश करती है। इसमें पौधों के जैविक डेटा जैसे डीएनए (DNA) अनुक्रमण, गुणसूत्र संरचना (Chromosome structure) और अन्य आनुवंशिक विशेषताओं का विश्लेषण किया जाता है।

उदाहरण:

  • जैविक और आनुवंशिक विश्लेषण के आधार पर पौधों का वर्गीकरण।
  • यह पद्धति यह जानने में मदद करती है कि किस प्रकार दो पौधों का आपसी विकास और उत्पत्ति के संबंध में कोई समानता है या नहीं।

इन तीनों पद्धतियों के माध्यम से पौधों का वर्गीकरण विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाता है, जिससे हम पौधों के विकास और उनके आपसी संबंधों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।