आवृत्तबीजियों में लैंगिक प्रजनन (SEXUAL REPRODUCTION IN ANGIOSPERMS)

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पुष्पीय पौधों में विषमयुग्मकीय अर्थात् ऊगैमस (Oogamous) प्रकार का प्रजनन पाया जाता है। यह प्रजनन दो अलग-अलग जनन अंग अर्थात् नर जनन अंग तथा मादा जनन अंग के निर्माण तथा उसकी संलग्नता से संभव होता है। इस प्रकार के जनन में संयोजन करने वाला एक युग्मक (Gamete) छोटा होता है जो कि कशाभिक के कारण या रासायनिक आकर्षण क कारण चल होता है जिसे शुक्राणु या स्पर्मेटोजॉयड (Male gamete or Spermatozoid) कहते हैं जबकि दूसरा युग्मक अपेक्षाकृत बड़ा तथा अचल होता है इसे अण्ड (Ovum or egg) कहते हैं।

पुष्पीय पौधों अर्थात् नग्नबीजी (Gymnosperms), आवृत्तबीजी (Angiosperms) के अतिरिक्त यह ब्रायोफाइट्स (Bryo- phytes), टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes) तथा अन्य निम्नवर्गीय पौधों की जातियों में भी पायी जाती है।

आवृत्तबीजियों में लैंगिक प्रजनन (SEXUAL REPRODUCTION IN ANGIOSPERMS)

पुष्प आवृत्तबीजियों का आकर्षक अंग (Flower – A Fascinating Organ of Angiosperms)

पुष्पीय पादपों में लैंगिक जनन की नर तथा मादा इकाइयाँ क्रमाग विशिष्ट नर तथा मादा अंगों में बनाती हैं इन अंगधारी रचनाओं को पुष्प (Flower) कहा जाता है।

आवृत्तबौजियों के पुष्प प्रायः चार प्रकार की रचनाओं के बने होते हैं- बाहादलपुंज (Calyx), दलपुंज (Corolla ), पुमंग (Androecium) तथा जान (Gynoecium)।

आवृत्तबीजियों में लैंगिक प्रजनन (SEXUAL REPRODUCTION IN ANGIOSPERMS) - Notes of important topics

ये चारों भाग जिस रचना के ऊपर विकसित होते हैं या लगे होते हैं, पुष्यासन (Thalamus) या रिसेप्टकल (Receptacle) कहलाते हैं।

पुष्पासन एक वृन्त (Stalk) के द्वारा पुष्प में जुड़ा हो सकता है, जिसे पुष्पवृन्त (Pedical) कहते हैं। इसकी बाह्यदलपुंज तथा दलपुंज मददकारी भ्रामियाँ (Accessory whorl or Helping whorl) होती हैं तथा पुमंग एवं जायांग की प्रतिरक्षा करती हैं तथा परागण की प्रक्रिया को सम्पन्न कराने में अलग-अलग प्रकार से मदद करती हैं।

पुमंग नर जनन अंग (Male reproductive organ)

  • पुमंग को इकाई पुंकेसर (Stamen) कहलाती है।
  • पुंकेसर के शीर्षस्थ उभारयुक्त भाग को परागकोष (Anther) कहते हैं। परागकोष में परागकण (Pollen grains) रहते हैं।

जायांग मादा जनन अंग (Female reproductive organ)

  • जायांग की इकाई अण्डप (Carpel) कहलाती है।
  • अण्डप के आधार भाग को अण्डाशय (Ovary) कहते हैं इसमें बीजाण्ड (Ovule) तथा बीजाणु में भ्रूणकोष (Embryo sac) स्थित्त होता है।

परागकण से नर युग्मक बनते हैं तथा भ्रूणकोष में अण्डकोशिका बनती है. दोनों संलयित (Fused) होकर जायगोट बनाते हैं। जायगोट से विकास के फलस्वरूप धूण (Embryo), बीजाण्ड से बीज (Seed) तथा अण्डाशय से फल (Fruit) विकसित होता है।

आवृत्तबीजियों में लैंगिक प्रजनन (SEXUAL REPRODUCTION IN ANGIOSPERMS) - Notes of important topics

लैंगिक प्रजनन की विभिन्न अवस्थाएँ (Various stages of sexual reproduction)

पुष्पीय पौधों में लैंगिक जनन निम्नलिखित चरणों के आन्तर्गत पूर्णता की ओर अग्रसर होती है-

युग्मकजनन (Gametogenesis)

लगिक जनन की यहा पहली आवश्यकता है, क्योंकि युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया युग्मकन जनन (Gametogenesis) कहलाती है। नर युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया नर युग्मकजनन (Micro gametogenesis) तथा मादा युग्मक के बनने की प्रक्रिया मादा युग्मकजनन (Mega gametogenesis) कहलाती है यह बीजाण्ड (Ovule) में होती है।

परागण (Pollination)-

परागकणों का परागकोष से निकल- कर सुग्रहक वर्तिकाला (Receptive stigma) पर पहुँचने की क्रिया पत्तागण कहलाती है।

निषेचन (Fertilization)

नर युग्मक तथा मादा युन्सक के संयुग्मन की प्रक्रिया निषेचन कहलाती है। लैंगिक जनन की विशेषता निषेचन के होने में निहित होती है।

भ्रूण परिवर्धन (Embryogenesis)-

निषेचन के उत्पाद अर्थात् जायगीट से भ्रूण का निर्माण भ्रूणोद्भवन या भ्रूण परिवर्धन कहलाता है। इसी प्रक्रिया के साथ-साथ आवृत्तबीजियों में भूणकोष निर्माण तथा फल के विकास की क्रिया होती है। भ्रूण के निर्माण के क्रम में बीजाण्ड बीज में परिणत हो जाता है।

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