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भारत की विदेश नीति कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान ( नागरिक शास्त्र )

अध्याय 9 - भारत की विदेश नीति
अध्याय 9 – भारत की विदेश नीति

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • किसी भी देश द्वारा दूसरे देशों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए जो योजना और नियम बनाए जाते हैं, उसे विदेश नीति कहते हैं।
  • हमें विदेश जाने के लिये पासपोर्ट और वीजा दोनों चाहिए होता है।
  • पासपोर्ट, यात्री का पहचान पत्र और वीजा, शासन का अनुमति पत्र होता है।
  • प्रत्येक देश-विदेश नीति निर्धारित करते समय राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानता है।
  • चीन ने सन् 1962 में भारत पर आक्रमण किया था।
  • गुट निरपेक्षता व पंचशील भारतीय विदेश नीति के प्रमुख अंग हैं।
  • गुट निरपेक्षता का अर्थ-दोनों गुटों से अलग रहना है।
  • पंचशील, पाँच आदर्श हैं।
  • 29 मई, सन् 1954 को भारत और चीन के मध्य संधि हुई थी, जिसमें पाँच नियम बनाए गए, यही पंचशील कहलाया।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. विदेश नीति क्या है ?

उत्तर- प्रत्येक देश, अन्य देशों से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण योजना और नीतियों का निर्माण करता है। इन्हीं नीतियों को विदेश नीति कहते हैं। विदेश नीति के निर्धारण में राष्ट्र
हित सर्वोपरि होता है।

प्रश्न 2. गुट निरपेक्षता से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व राजनीति में दो महाशक्तियों का उदय हुआ- (1) संयुक्त राज्य अमेरिका (2) सोवियत संघ (रूस) । इन्हीं दोनों गुटों में से किसी एक गुट में नव स्वतंत्र राष्ट्र शामिल हो रहे थे। पूँजीवादी देशों का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था और साम्यवादी गुटों का नेतृत्व रूस कर रहा था। भारत भी नव स्वतंत्र राष्ट्र था। उसके सामने भी ये दो ही रास्ते थे, किन्तु भारत ने किसी भी गुट में न शामिल होने की नीति अपनाई, क्योंकि भारत जानता था कि किसी भी गुट में शामिल होने से प्रगति और स्वतंत्रता दोनों बाधित होगी। किसी भी गुट में शामिल न होने की इस नीति को ही गुट निरपेक्षता या ‘गुट निरपेक्ष नीति’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3. गुट निरपेक्ष भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने में किस प्रकार सहायक हो सकती है ? अपने विचार लिखें।

उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत यूनियन और संयुक्त राज्य अमरीका के नेतृत्व में विश्व दो विरोधी गुटों में बँट गया, किन्तु भारत ने किसी भी गुट में शामिल न होकर सारे विश्व की समस्याओं के प्रति स्वतन्त्र विचार व्यक्त करते हुए सभी राष्ट्रों के साथ शान्ति, सहयोग और भाईचारे की भावना रखने का निर्णय लिया। फलस्वरूप भारत पर किसी गुट का दबाव न रहा। इस प्रकार की स्वतन्त्र विदेश नीति के आधार पर ही भारत ने सदा ही युद्धों का विरोध किया और विश्व कल्याण की स्थापना हेतु अनेक सिद्धांतों का पोषण किया जो अधिकांश राष्ट्रों के हित में था। इस प्रकार विदेश नीति के क्षेत्र में भारत का सम्मान बढ़ा और गुट निरपेक्षता के आधार पर ही उसने संसार की अनेक समस्याओं के हल में सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

प्रश्न 4. भारत को गुट निरपेक्ष नीति की आवश्यकता क्यों पड़ी ? उत्तर- भारत को गुट निरपेक्ष नीति की आवश्यकता अग्र- लिखित कारणों से पड़ी-

(1) स्वंतंत्रता की रक्षा भारत एक नव स्वतंत्र राष्ट्र था। वह बिलकुल यह नहीं चाहता था कि किसी गुट में शामिल होकर फिर से संधि के बंधनों में बँधे ।

(2) उपनिवेशवाद का विरोध – भारत उपनिवेशवाद का स्वाद चख चुका था। वह जानता था कि दो गुटों में संघर्ष उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद को जन्म देता है। अतः वह अपने आपको इससे अलग रखने में ही अपनी भलाई समझा।

(3) युद्धों का विरोध – दोनों गुटों में तृतीय विश्व युद्ध की प्रबल आशंका बनती जा रही थी। अतः भारत अलग रहा।

(4) आर्थिक कारण -नव स्वतंत्र राष्ट्र होने के साथ भारत की आर्थिक स्थिति अति दयनीय थी। यदि वह एक गुट में शामिल होता तो उसे उसी गुट का सहयोग मिल पाता। भारत चाहता था कि दोनों गुटों से सहयोग प्राप्त कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करे।

(5) राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी गुट में शामिल होना, अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना था। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गुट निरपेक्षता को नीति लाभदायक रही।

प्रश्न 5. पंचशील के पाँच सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- पंचशील के पाँच सिद्धांत निम्नलिखित हैं-

(1) एक-दूसरे की प्रादेशिक अखण्डता तथा सम्प्रभुता के लिए पारस्परिक सम्मान भावना अर्थात् सभी देशों की सरकारों और उनके फैसलों के प्रति सम्मान की भावना रखना तथा उनकी स्वतंत्रता और एकता को सम्मानपूर्वक स्वीकारना

(2) अनाक्रमण एक-दूसरे की सीमा पर आक्रमण और अतिक्रमण न करना।

(3) एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना अर्थात् कोई भी देश अपने नागरिकों के लिए जो भी नियम-कानून बनाए उसमें रोक-टोक और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश नहीं करना।

(4) शांतिपूर्ण सहअस्तित्व- सभी देश अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखेंगे और एक-दूसरे की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक सहयोग करेंगे। अपने बीच होने वाले विवादों का निपटारा बातचीत के माध्यम से करेंगे।

(5) समानता और पारस्परिक लाभ-किसी भी कारण से किसी भी देश को छोटा या बड़ा न मानकर समान सम्मान एवं एक-दूसरे के हित में काम करना।

प्रश्न 6. आपके विचार में किसी भी देश को विदेश नीति बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर- मेरी दृष्टि में किसी भी देश द्वारा विदेश नीति के निर्धारण में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है-

(1) राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है। अतः इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।

(2) पड़ोसियों से सम्बन्ध प्रत्येक देश को अपनी विदेश नीति बनाते समय अपने पड़ोसी देशों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। पड़ोसी देशों से मधुर सम्बन्ध राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

(3) बदलते सम्बन्धों का ध्यान-विदेश नीति के निर्धारण में विभिन्न देशों के साथ बदलते हुए सम्बन्धों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि वर्तमान में कौन हमारा मित्र और कौन शत्रु है ।

(4) आर्थिक हितों की सुरक्षा-विदेश नीति पर ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व सहयोग निर्भर करता है। अतः इसका ध्यान रखना चाहिए।

(5) आत्म सम्मान की रक्षा-विदेश नीति बनाते समय देश की एकता अखण्डता और स्वाभिमान की रक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण पहलू है। हमें ऐसी नीति नहीं बनानी चाहिए, जिससे देश के सम्मान को क्षति न पहुँचे।

प्रश्न 7. सन् 1962 में भारत ने जिस नीति को जन्म दिया उसका नाम बताइए ?

उत्तर- गुट निरपेक्ष नीति ।