जिम्नोस्पर्मी (Gymnospermae) के सामान्य लक्षण:
- नग्न बीज: जिम्नोस्पर्मी पौधों में बीज नग्न (uncovered) होते हैं, यानी बीजों के चारों ओर कोई फलावरण (fruit covering) नहीं होता। बीज सीधे शंकु या संरचना में स्थित होते हैं।
- प्रजननांग: इन पौधों के प्रजननांग विशेष प्रकार के शंकुओं (cones) में पाए जाते हैं। शंकु में नर और मादा प्रजननांग अलग-अलग होते हैं और इनकी प्रजनन क्रिया शंकु के माध्यम से होती है।
जिम्नोस्पर्मी को तीन मुख्य गणों में विभाजित किया गया है:
- नीटेल्स (Gnetales): यह समूह जिम्नोस्पर्मी के कुछ विशेष सदस्य का प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें गनेटम (Gnetum), एफ़ेड्रा (Ephedra), और वेल्स्चिया (Welwitschia) शामिल हैं। यह समूह वानस्पतिक विशेषताओं में काफी भिन्न होता है और कुछ प्रजातियाँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- सायकेडेल्स (Cycadales): यह समूह सायकाड (Cycads) को सम्मिलित करता है, जो मोटे तने और पत्तियों के साथ, प्राचीन जिम्नोस्पर्मी पौधे होते हैं। ये बीजाणु पौधे होते हैं और इन्हें विशिष्ट शंकु में प्रजनन करते हैं।
- कोनिफेरेल्स (Coniferales): यह समूह सबसे बड़ा और सामान्य होता है, जिसमें देवदार (Pines), चीड़ (Cedars), और लार्च (Larch) जैसे शंकु-bearing पेड़ शामिल हैं। ये पौधे सामान्यत: ऊँचे, सदाबहार होते हैं और वाणिज्यिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।
इन जिम्नोस्पर्मी पौधों में शंकु के द्वारा बीजों का प्रजनन होता है, और बीजों में संतान उत्पन्न होती है जो अपनी अनुकूलन क्षमताओं के लिए विभिन्न वातावरणों में पनप सकती हैं।