सूक्तय: कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 19
1.सुखस्य मूलं धर्मः
अर्थ -धर्म सुख का मूल (जड़) है।
2. दया धर्मस्य जन्मभूमिः ।
अर्थ – दया, धर्म की जन्मभूमि है।
3. मुर्खेषु विवादः न कर्तव्यः ।
अर्थ – मूर्खों के साथ विवाद नहीं करना चाहिए।
4. पर द्रव्यं न हर्तव्यम् ।
अर्थ – दूसरों के धन का हरण (चुराना) नहीं करना चाहिए।
5. नास्ति सत्यात् परं तपः ।
अर्थ – सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं है।
6. सत्यं स्वर्गस्य साधनं ।
अर्थ – सत्य ही स्वर्ग प्राप्ति का साधन है।
7. यशः शरीरं न विनश्यति ।
अर्थ – यश रूपी शरीर कभी नष्ट नहीं होता (अर्थात् शरीर के नष्ट होने पर भी कीर्ति कभी नष्ट नहीं होती)।
8. न दिवा स्वप्नं कुर्यात्।
अर्थ – दिवा स्वप्न नहीं देखना चाहिए। अर्थात् केवल कल्पना लोक में भ्रमण नहीं करना चाहिए।
9 . नास्त्यहंकार समः शत्रु।.
अर्थ- अहंकार से समान दूसरा कोई शत्रु नहीं है।
10. न संसार भयं ज्ञानवताम् ।
अर्थज्ञानियों के लिए कोई सांसारिक भय नहीं है।