Your cart is currently empty!
— by
समाज और महिलाओं की भूमिका
याद रखने योग्य बातें
- लड़का या लड़की होना किसी की भी एक महत्वपूर्ण पहचान एवं उनकी अस्मिता होती है।
- हमारे समाज में पुरुषों एवं महिलाओं की भूमिकाओं तथा उनके काम के महत्व को समान नहीं समझा जाता है।
- पुरुषों एवं महिलाओं की सामाजिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है।
- सन् 2006 में एक कानून बनाया गया है जिसमें घर के अंदर शारीरिक तथा मानसिक हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी सुरक्षा दिया गया है।
- दहेज से संबंधित कानून बालिकाओं के लिए 1098 टोल फ्री नंबर दिया है जिसमें उन्हें कभी-भी सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सके।
- गीतों, नुक्कड़ नाटकों एवं जनसभाओं के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ जागरुकता बढ़ाया जा है।
- संविधान में स्त्री या पुरुष होने के आधार पर भेदभाव दंडनीय अपराध है परन्तु वास्तविकता में लिंगभेद किया जाता है।
समाज और महिलाओं की भूमिका
1. नीचे दिए गए कथनों पर विचार करें:
(क) सभी समुदाय या समाजों में लड़कों तथा लड़कियों की भूमिकाओं के बारे में एक जैसे विचार नहीं पाए जाते।
उत्तर: यह कथन सत्य है।
उदाहरण: कुछ समाजों में लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित किया जाता है, जबकि कुछ अन्य समाजों में लड़कियों को घरेलू कार्यों में सीमित रखा जाता है।
(ख) हमारा समाज बढ़ते हुए लड़के तथा लड़कियों में कोई भेद नहीं करता।
उत्तर: यह कथन असत्य है।
उदाहरण: अक्सर लड़कों को बाहरी खेल खेलने या कामकाज में भेजा जाता है, जबकि लड़कियों को घरेलू कार्य सिखाने पर जोर दिया जाता है।
(ग) महिलाएँ जो घर पर रहती हैं, कोई काम नहीं करतीं।
उत्तर: यह कथन असत्य है।
उदाहरण: घरेलू महिलाएँ खाना पकाने, घर की साफ-सफाई, बच्चों की देखभाल आदि काम करती हैं, जो बहुत मेहनत का काम है।
(घ) महिलाओं के काम पुरुषों के काम की तुलना में कम मूल्यवान समझे जाते हैं।
उत्तर: यह कथन सत्य है।
उदाहरण: महिलाओं के घर के कामों को अक्सर “अवैतनिक” मानकर अनदेखा कर दिया जाता है, जबकि पुरुषों के कार्य को आर्थिक महत्व दिया जाता है।
2. खिलौनों की सूची:
लड़कों के खिलौने:
- कार
- ट्रक
- रोबोट
- बंदूक
लड़कियों के खिलौने:
- गुड़िया
- किचन सेट
- मेकअप किट
- टेडी बियर
अंतर:
लड़कों के खिलौने अक्सर “गतिविधि आधारित” या “साहसिक” होते हैं, जबकि लड़कियों के खिलौने “देखभाल” और “सजावट” पर आधारित होते हैं।
कारण:
यह अंतर समाज की उन भूमिकाओं को दर्शाता है जो बच्चों के वयस्क होने पर उनसे अपेक्षित होती हैं। लड़कों को बाहरी काम और साहसी कार्यों के लिए तैयार किया जाता है, जबकि लड़कियों को घर के कार्य और देखभाल की भूमिकाओं में ढाला जाता है।
3. महिला के विवरण पर आधारित कहानी:
शीला की कहानी:
शीला एक गृहिणी हैं, जो अपने परिवार के साथ एक छोटे से गाँव में रहती हैं। उनके परिवार में उनके पति, दो बच्चे और सास-ससुर हैं। शीला रोज सुबह 5 बजे उठती हैं और घर का सारा काम संभालती हैं। वह 10-12 घंटे काम करती हैं, जिसमें खाना बनाना, सफाई करना और बच्चों की देखभाल शामिल है। शीला कभी-कभी सिलाई और कढ़ाई का काम करके थोड़ी आमदनी भी करती हैं, जिससे परिवार की आर्थिक मदद होती है। उनका मेहनती स्वभाव पूरे परिवार को एकजुट रखता है।
4. भारतीय महिलाओं की सूची:
(क) प्रसिद्ध वैज्ञानिक:
- कल्पना चावला
- टेसी थॉमस
(ख) प्रसिद्ध नृत्यांगना:
- सोनल मानसिंह
- मृणालिनी साराभाई
(ग) प्रसिद्ध गायिका:
- लता मंगेशकर
- आशा भोसले
(घ) प्रसिद्ध खिलाड़ी:
- पी.वी. सिंधु
- मिताली राज
5. भारत में पदस्थापित रही महिलाएँ:
(क) मुख्यमंत्री:
- ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल)
- जयललिता (तमिलनाडु)
(ख) प्रधानमंत्री:
- इंदिरा गांधी
(ग) राष्ट्रपति:
- प्रतिभा पाटिल
(घ) लोकसभा अध्यक्ष:
- मीरा कुमार
(ड.) सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश:
- फातिमा बीबी
- इंदु मल्होत्रा
6. प्रमुख पद पर कार्यरत महिलाओं की सूची:
अपने क्षेत्र में महिला डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, शिक्षिका, पंचायत प्रधान आदि की जानकारी एकत्र की जा सकती है।
7. महिलाओं के उत्थान के लिए सरकार की योजनाएँ:
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
- उज्ज्वला योजना।
- प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना।
- महिला हेल्पलाइन नंबर 181।
- स्वाधार गृह योजना।
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.