प्रयाणगीतं कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 1

प्रयाणगीतं कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 1

चन्दनतुल्या भारतभूमिस्तपस्थली ग्रामो ग्रामः।
बाला बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ॥
मन्दिरवत् पावनं शरीर
सर्वो मानव उपकारी।
सिंहा इह खेलनका जाता गौरिह पूज्या जनयित्री ॥
इह प्रभाते शङ्कध्वानः सायं सङ्गीतस्वान् ।
बाला बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ॥

शब्दार्था:- तुल्या = समान, ग्रामो ग्रामः = हर एक गाँव, बाला बाला = हर एक कन्या, प्रतिमा = मूर्ति (स्वरूप), पावनं = पवित्र, खेलनका = खिलौना, जनयित्री = माता, इह = यहाँ

अर्थ – भारत की मिट्टी चंदन के समान है, हरेक गाँव तपोभूमि है, हर बाला (कन्या) देवी स्वरूपा है, और हर बालक श्रीराम रूप है। हर शरीर (प्राणी) मंदिर के समान पवित्र और प्रत्येक मनुष्य परोपकारी है, जहाँ के बच्चे सिंह से खिलौने की भाँति खेलते हैं (बालक भरत) और जहाँ गाय को माता स्वरूप माना जाता है। जहाँ का सवेरा शंखनाद और संध्या लोरी के साथ होती है। यहाँ हर बालिका को देवी स्वरूपा है और हल बालक श्रीराम रूप है।

अत्र कर्मतो भाग्य निर्मितः
पौरूष निष्ठा कल्याणी
अत्र त्याग तपस्या मिश्रा
गाथा गायति कविवाणी।
अत्र ज्ञान प्रवाहो गङ्गगासलित निर्मलो ह्यविरामः ।
बाला बाला देवी प्रतिमा, वत्सो वत्सः श्रीरामः ॥

शब्दार्था:- कर्मतो = कर्म से, पौरूष = श्रम, कल्याणी = कल्याणकारी, अत्र = यहाँ, कविवाणी = कवियों की वाणी, सलितः = जल, निर्मलो = पवित्र ।

अर्थ- यहाँ कर्म से भाग्य का निर्माण होता है, श्रम सदैव कल्याणकारी होता है, यहाँ कवियों की वाणी त्याग और तपस्या की गाथाएँ गाती हैं। जहाँ का ज्ञान गंगा जल के समान पवित्र और अविराम है। यहाँ हर बालिका देवी स्वरूपा और हर बालक में श्रीराम का रूप हैं।

अत्रत्यैः सैनिकैः समरभुवि,
सदा गीयते श्रीगीता।
अत्र क्षेत्रे हलफालाधः
खेलति सुकुमारी सीता
अत्र जीवनादर्शे जटितो मङगलमय मणिरभिरामः ।
बाला- बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ॥

शब्दार्था:- समरभुवि =रणभूमि में, गीयते= गान करते हैं, सदा =हमेशा, हलकाल= हल के, अद्यः =नीचे, जीवनादर्श =जीवन के आदर्श में, वत्सो वत्सः= हरबालक।

अर्थ- जहाँ के सैनिक रणभूमि में गीता का गान करते हैं, जहाँ खेत में हल के नीचे सीता खेला करती है, जीवन का आदर्श जहाँ परमेश्वर का धाम (मुक्ति) है, अर्थात् जीवन का आदर्श मंगल (सुख) रूपी मणि से सुशोभित है। यहाँ की हर बालिका देवीस्वरूपा व हर बालक श्रीराम रूप है।