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हमारा संविधान कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान ( नागरिक शास्त्र )

अध्याय 2 - हमारा संविधान
अध्याय 2 – हमारा संविधान

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • संविधान नियमों का वह संकलन है, जिसमें हमारे देश की व्यवस्था की रूपरेखा एवं हमारे सामाजिक आदर्श लिखित हैं।
  • संविधान निर्माण करने के लिए विद्वानों का एक समूह चुना गया था, जिसे ‘संविधान सभा’ के नाम से जाना जाता है।
  • संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और संविधान प्रारूप निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। इस सभा में कुल 299 सदस्य थे।
  • संविधान सभा ने दिसम्बर, सन् 1946 को अपना कार्य आरंभ किया और 26 नवम्बर, सन् 1949 को भारतीय संविधान बनाने का कार्य
  • भारत में संविधान 26 जनवरी, सन् 1950 को लागू किया गया और तब से भारत स्वतंत्र गणराज्य बना हर वर्ष हम लोग 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में गणत्रंत दिवस मनाते हैं।
  • भारतीय संविधान में सबसे पहले संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) है, जिसे संविधान का दर्पण कहा जाता है।
  • संविधान के नियमों का पालन सबके लिए अनिवार्य है।
  • संविधान के नियमों को पालन कराने व उल्लंघन करने वालों को दण्डित व व्याख्या करने का अधिकार न्यायपालिका को है।
  • संविधान निर्माण का उद्देश्य सुशासन और सुखद, समृद्ध और बेहतर समाज का निर्माण है।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. संविधान क्या है ? संविधान सभा का गठन क्यों किया गया था ?

उत्तर- भारतीय संविधान के निर्माण के लिए विद्वानों का एक समूह चुना गया था, जिसे ‘संविधान सभा’ के नाम से जाना जाता है। इसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। इस सभा में लगभग 299 सदस्य थे। सभा में सभी राज्यों का समान प्रतिनिधित्व दिया गया था। प्रत्येक राज्य के विद्वानों और सक्रिय नेताओं को इसका सदस्य बनाया गया था। संविधान सभा के गठन का मुख्य कारण श्रेष्ठतम संविधान का निर्माण तो था ही, साथ ही सभी राज्यों की हितों की रक्षा, सभी वर्गों को समान रूप से प्रतिनिधित्व देकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना भी था। तत्कालीन राजनेता यह बिलकुल नहीं चाहते थे कि भविष्य में प्रतिनिधित्व को लेकर किसी प्रकार का विवाद हो इसलिए क्षेत्रों के अनुभवी व विद्वानों को चुनकर संविधान सभा का गठन किया गया था।

प्रश्न 2. संविधान की आवश्यकता किन परिस्थितियों में हुई ?

उत्तर- अंग्रेजों के जाने के बाद भारत में किस तरह की शासन व्यवस्था हो, यह सबसे बड़ा प्रश्न था। उस समय भारत, विभाजन का दंश झेल रहा था। साथ हो अंग्रेजों से अशिक्षा, भुखमरी, बेरोजगारी आदि विरासत में मिला था। अभी भी भारत में विभाजन से उपजी समस्याएँ मुँह बाए खड़ी थीं। भारत में अनेक जाति, धर्म, सम्प्रदाय, भाषा के लोग निवास करते हैं, अतः उनकी हितों की रक्षा किस प्रकार की जाय ? क्षेत्रीयता, जातिवाद, अलगाववाद, भाषावाद की समस्याओं को कैसे दूर किया जाय ? महिला, बूढ़ों, बच्चों, अपाहिजों व अल्पसंख्यकों की सुरक्षा किस प्रकार हो ? समाज में व्याप्त रूढ़ियों, परम्पराओं की जटिलता को कैसे दूर किया जाय ? आदि अनेक विषम परिस्थितियाँ सुरसा की भाँति मुँह फैलाए खड़ी थीं। ऐसी परिस्थिति मे एक ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की गई, जो इन सभी बाधाओं को दूर करने का रास्ता निकाल सके। अतः उक्त परिस्थितियों में संविधान की आवश्यकता स्वयंसिद्ध है।

प्रश्न 3. संविधान की उद्देशिका में दिए गए शब्द ‘समता’ को समझाइए ।

उत्तर- भारतीय संविधान की उद्देशिका में दिए गए ‘समता’ शब्द से आशय है-सभी कानून के समक्ष समान है। अर्थात् प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक ही विधि का पालन करना है। जाति, धर्म, नस्ल, रंग, पद व आर्थिक स्तर पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। चाहे अपराध किसी के द्वारा किया गया हो, सभी को भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता में उल्लेखित धाराओं के आधार पर दण्डित किया जावेगा। समता का अर्थ यह भी है किसी प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराया जावेगा। सार्वजनिक स्थलों पर सबका समान अधिकार होगा। किसी भी व्यक्ति को जाति, रंगभेद के आधार पर इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 4. भारत का संविधान सन् 1950 में 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया ?

उत्तर-भारत का संविधान 26 जनवरी, सन् 1950 को ही लागू करने का कारण ऐतिहासिक है। 26 जनवरी, सन् 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का संकल्प लिया था। इस पूर्ण स्वराज्य के संकल्प दिवस के महत्व को बनाए रखने के लिए 26 जनवरी, सन् 1950 को देश में संविधान लागू किया गया।

प्रश्न 5. यदि संविधान नहीं होता तो क्या-क्या दिक्कतें होती ?

उत्तर- किसी भी देश को सुशासन देने के लिए संविधान आवश्यक है। संविधान में इस बात की जानकारी व व्यवस्था होती है कि कौन-सा कार्य किसके द्वारा किया जायेगा। विभाग के अधिकार, क्षेत्र व कर्तव्य का निर्धारण संविधान द्वारा ही किया जाता है जिसका पालन सभी के लिए अनिवार्य होता है। दूसरे शब्दों में संविधान ही सर्वोपरि है। यदि किसी देश में संविधान न हो तो व्यक्ति व विभागों को अपने अधिकार व कर्त्तव्यों का ज्ञान नहीं हो सकेगा और वे एक-दूसरे के कार्यों में बाधा उत्पन्न करेंगे। हमेशा विवाद की स्थिति निर्मित रहेगी और देश में अशांति व अराजकता की स्थिति निर्मित हो जायेगी। देश का आर्थिक विकास रुक जायेगा।

प्रश्न 6. यदि समाज में कोई नियम या कानून न हो तो क्या होगा ?

उत्तर- यदि समाज में कोई नियम और कानून न हो तो समाज में अराजकता की भावना पनप जायेगी। किसी को समाज का डर नहीं रह जायेगा।

प्रश्न 7. राष्ट्रीय एकता को समझाइए ।

उत्तर-राष्ट्रीय एकता- राष्ट्र में एकता का होना बहुत आवश्यक है एकता होगी तो राष्ट्र मजबूत होगा राष्ट्रीय एकता होने पर कोई भी पड़ोसी राष्ट्र आप पर नजर नहीं डाल सकता। राष्ट्र में एकता रहने पर जनता बहुत शकुन से और शांति पूर्ण जीवन यापन करती है।