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नीति नवनीतम् कक्षा 8 संस्कृत पाठ 14

नीति नवनीतम् कक्षा 8 संस्कृत पाठ 14

1. यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहवः सः तु जीवन्ति ।
कुरुते किं न काकोऽपि चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् ॥

शब्दार्था:- यस्मिन्= जिसके, जीवति =जीवित रहने पर, बहवः = बहुत से। सः =तु ,जीवति = वह तो जीता है। काकोऽपि =कौआ भी। चञ्च्वा = चोंच से।

अर्थ- जिसके जीवित रहने पर बहुत से (प्राणी) जीते हैं, उसी का जीना सार्थक है अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपने उदर की पूर्ति नहीं करता है।

2. यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवाणि निषेवते
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ॥

शब्दार्था: – ध्रुवाणि = स्थिर या निश्चित वस्तुओं को। परित्यज्य = छोड़कर। अध्रुवाणि अस्थिर निषेवते = सेवन करता है। अध्रुवम् = अनिश्चित ।

अर्थ- जो निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं को अपनाता है, उसकी निश्चित वस्तु भी नष्ट हो जाती है। अनिश्चित तो स्वयं ही नाशवान है।

3. जननी जन्मभूमिश्च जाह्नवी च जनार्दनः ।
जनकः पञ्चमश्चैव जकाराः पञ्चदुर्लभाः ॥

शब्दार्था:-– जननी = माता। जाह्नवी = गङ्गा, जनार्दन = ईश्वर। जनक = पिता ।

अर्थ- जननी, जन्मभूमि, जाह्नवी, जनार्दन और जनक ये ‘ज’ अक्षर से प्रारंभ होने वाले पाँचों दुर्लभ हैं।

4. अहिं नृपं च शार्दूलं किटिञ्च बालकं तथा ।
परश्वानं च मूर्ख च सप्त सुप्तान् न बोधयेत् ॥

शब्दार्थाः – अहि = कर्प ।शार्दूल = सिंह। किटिञ्च = बर्र,(मधुमक्खी)।

अर्थ- सर्प, राजा चीता, बर्र (मक्खी), शिशु, दूसरे का कुत्ता और मूर्ख, ये सातों सोते हों तो नहीं जगाना चाहिए।

5. विद्यार्थी सेवकः पान्थः क्षुधार्तो भयकातरः ।
भण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत् ॥

शब्दार्था: – विद्यार्थी =विद्या अर्जन करने वाला। सेवकः= सेवा करने वाला। पान्थः = राहगीर, क्षुधार्थी= भूखा व्यक्ति। प्रबोधयेत् =जगा देना चाहिए।

अर्थ-विद्यार्थी, सेवक, राहगीर, भूखा व्यक्ति, डरा हुआ, भण्डारी और द्वारपाल ये सातों सोते हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए।

6. कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादं शृङ्गार कौतुके ।
अति निद्राम् अति सेवां च विद्यार्थीह्यष्ट वर्जयेत् ॥

शब्दार्था: — श्रृंङ्गार == सजना । कौतुक = खेल । अतिसेवा = अति आनन्द।

अर्थ- काम, क्रोध तथा लोभ स्वाद शृङ्गार, खेल, अतिनिद्रा और अति आनन्द ये आठों विद्याध्ययन के शत्रु हैं, अतः विद्यार्थी को इन्हें छोड़ देना चाहिए।

7. वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात् ।
प्राण त्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने दिने ।

शब्दार्था: – वरं श्रेष्ठ । प्राणपरित्यागे = मृत्यु। मानभङ्गेन = अपमानित ।

अर्थ – अपमानित होकर जीने से मृत्यु श्रेष्ठ है। मृत्यु में एक बार दुःख होता है, किन्तु मान हानि से हमेशा दुःख होता रहता है।

8. प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात्तदेव वक्तत्यं वचने का दरिद्रता ॥

शब्दार्थाः – प्रियवाक्य = मधुर वचन। तुष्यन्ति = प्रसन्न होते हैं। जन्तवः = प्राणी।

अर्थ- मधुर वचन से सब जीव सन्तुष्ट होते हैं। इसीलिये वैसा ही बोलना चाहिए वचन में क्या दरिद्रता है ?

9. दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ॥

शब्दार्था: – दुष्टभार्या-दुराचारिणी स्त्री। शठं मित्र = दुष्ट मित्र। ससर्पे =सर्पयुक्त।

अर्थ- जिस घर में दुष्टस्त्री, कपटी मित्र, जवाब देने वाला नौकर और साँप का वास हो, वहाँ मृत्यु निश्चित है।

10. मूलं भुजङ्गै शिखरं प्लवङ्गैः
शाखा विहङ्गैः कुसुमानि भृङ्गैः।
आसेव्यते दुष्टजनैः समस्तैर्न

चन्दनं मुञ्चति शीतलत्वम् ।

शब्दार्था:- मूलं= जड़। भुजङ्गैः =सर्पों से । शिखरं = चोटी ।प्लवङ्गे= बंदरों से। शाखा =डाल। विहङ्गैः =पक्षियों से

अर्थ- चन्दन के मूल में सर्प रहते हैं, शिखर पर बन्दर रहते हैं शाखाओं पर पक्षी तथा पुष्पों पर भ्रमर रहते हैं इस प्रकार समस्त दुष्ट प्राणियों से सेवित होने पर भी चन्दन अपनी शीतलता को नहीं छोड़ता है।

अभ्यास प्रश्नाः

1. प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए-

(क) कः वस्तुतः जीवति ? (कौन वस्तुतः जीता है ?)

उत्तर- यस्मिन् जीवति बहवः प्राणिनः जीवन्ति, सः वस्तुतः जीवति ।

(जिसके जीवित रहने पर बहुत से (प्राणी) जीते हैं, उसी का जीना सार्थक है।)

(ख) कान् सुप्तान् प्रबोधयेत् ?

(किनको सोते से जगाना चाहिए ?)

उत्तर- विद्यार्थी सेवकः, पान्थः क्षुधार्तो भयकातरः भण्डारी, प्रतिहारि च सप्त एतान् प्रबोधयेत् ।

(विद्यार्थी, सेवक, राहगीर, भूखा व्यक्ति, डरा हुआ, भण्डारी और द्वारपाल ये सातों को सोते से जगाना चाहिए।)

(ग) के पञ्चदुर्लभाः ?

(कौन पाँच दुर्लभ हैं ?)

उत्तर- जननी, जन्मभूमि:, जाह्नवी, जनार्दनः, जनकः ऐते पञ्च जकारा: दुर्लभः भवन्ति।

(जननी, जन्मभूमि जाह्नवी, जनार्दन,

जनक ये पाँच जकारा दुर्लभ होते हैं।)

(घ) कस्य ध्रुवाणि नश्यन्ति ?

(किसकी स्थिर वस्तुएँ नष्ट हो जाती हैं ?)

उत्तर- यो ध्रुवणि परित्यज्य अध्रुवाणि निषेवते तस्य ध्रुवाणि नश्यन्ति ।

(जो स्थिर वस्तुओं का त्याग करके अस्थिर का सेवन करते हैं, उनकी स्थिर वस्तुएँ नष्ट हो जाती हैं।)

(ङ) प्रियवाक्यं किमर्थे वक्तव्यम् ?

(प्रिय वाक्य क्यों बोलना चाहिए ? )

उत्तर- प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति अतः प्रिय वाक्यं वक्तव्यम्।

(प्रिय वाक्य बोलने से सभी लोग संतुष्ट होते हैं, इसलिए प्रिय वाक्य बोलना चाहिये।)

(च) विद्यार्थिभिः कति दोषाः त्याज्याः ?

(विद्यार्थी को कितने दोषों का त्याग करना चाहिए ?)

उत्तर- विद्यार्थिभिः अष्ट दोषाः त्याज्याः ।

(विद्यार्थी को आठ दोषों का त्याग करना चाहिए।)

2. श्लोक के पद मेल कीजिए-

(क) कुरुते किं न काकोऽपि – सप्तसुप्तान् प्रबोधयेत् ।

(ख) जननी जन्मभूमिश्च – सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः । –

(ग) भण्डारी प्रतिहारी च – चवा स्वोदर पूरणम्।

(घ) प्राणत्यागे क्षणं दुःखं – जाह्नवी च जनार्दनः ।

(ङ) प्रियवाक्यप्रदानेन – मानभङ्गे दिने दिनं।

उत्तर- (क) चञ्च्वा स्वोदर पूरणम्, (ख) जाह्नवी च जनार्दनः (ग) सप्तमुप्तान् प्रबोधयेत् (घ) मानभ दिने दिने (छ) सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।

3. नीचे लिखे वाक्यों के सामने सही गलत लिखिए-

(क) काकः चञ्च्वा उदरं पूरयति

(ख) अध्रुवाणि सेवनीयः ।

(ग) पञ्चजकाराः दुर्लभाः

(घ) विद्यार्थिना अतिनिद्रा कर्त्तव्या

(ङ) शठे मित्र मृत्युकारणं भवति।

उत्तर- (क) सही, (ख) गलत, (ग) सही, (घ) गलत, (ङ) सही।

4. संस्कृत भाषा में लिखिए-

(क) उसी का जीवित रहना जीवन है जिसके जीने से बहुत से लोग जीवित रहते हैं।

अनुवाद – यस्मिन् जीवति बहवः जीवन्ति तस्य जीवनम् एव उचितं इति कथ्यते।

(ख) उसका निश्चित भी नष्ट हो जाता है अनिश्चित तो नष्ट होता ही है।

अनुवाद- तस्य ध्रुवाणि नश्यन्ति एवं अध्रुवं तु नष्टं एव इति ।

(ग) सोये हुए शिशु को नहीं जगाना चाहिए।

अनुवाद-सुप्तं बालकम् न प्रबोधयेत्।

(घ) मधुर वचन से सभी प्रसन्न होते हैं।

अनुवाद- – प्रिय-वाक्य प्रदानेन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति ।

(ङ) उत्तर देने वाला नौकर अच्छा नहीं होता।

अनुवाद — उत्तरदायकः भृत्यः समीचीनम् न वर्तते ।

(च) समस्त दुष्ट जनों से सेवित होने पर भी चन्दन शीलता नहीं त्यागता

अनुवाद- समस्तैः दुष्टजनैः सेवितोऽपि चन्दनं शीतलत्वं न मुञ्चति ।

5. सन्धि कीजिए और नाम लिखिए-

(क) काकः + अपि = काकोऽपि (विसर्ग संधि)

(ख) स्व + उदरः स्वोदरः (स्वर संधि)

(ग) पञ्चमः +च+ एव पञ्चमश्चैव (विसर्ग संधि)

6. सन्धि विच्छेद कर प्रकार बताइए-

(क) क्षुधार्तः= सुधा +आर्त (स्वर संधि)

(ख) तस्मानदेव = तस्मात् + तदेव (व्यंजन संधि)

(ग) भृत्यश्चोत्तरदायकः भृत्यः + च + उत्तरदायकः (विसर्ग संधि + स्वर संधि)