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संत नामदेव का जीवन परिचय: जन्म, भक्ति मार्ग, साहित्यिक योगदान और भक्ति आंदोलन में उनका स्थान। पढ़िए संत नामदेव की प्रेरणादायक जीवनी हिंदी में। (Namdev Biography in Hindi)
संत नामदेव का जीवन परिचय | Namdev Biography in Hindi
13वीं शताब्दी के महान संत और भक्ति आंदोलन के अग्रदूत संत नामदेव (1267 ई.) ने अपने भक्ति मार्ग, सरल जीवन और सधुक्कड़ी भाषा में किए गए काव्य-सृजन से भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला। उनका जीवन हमें साधुसेवा, सत्संग और निर्गुण भक्ति की महत्ता का संदेश देता है।
संत नामदेव का जन्म और प्रारंभिक जीवन
- संत नामदेव का जन्म 1267 ईस्वी में महाराष्ट्र के सतारा जिले के नरसी वमनी (बहमनी) गाँव में हुआ था।
- वे जन्म से ही दर्जी (छीपा) समुदाय से थे, किन्तु उनका झुकाव पैतृक व्यवसाय से अधिक साधुसेवा और सत्संग में रहा।
संत नामदेव के गुरु और भक्ति मार्ग
- संत विसोवा खेचर उनके आध्यात्मिक गुरु थे।
- संत ज्ञानेश्वर के प्रति भी उनकी गहरी श्रद्धा थी।
- प्रारंभ में वे सगुण भक्ति के उपासक रहे, किंतु बाद में निर्गुण ब्रह्म की उपासना की ओर प्रवृत्त हुए।
संत नामदेव का साहित्यिक योगदान
- मराठी भाषा में रचित उनके अभंग आज भी लोकजीवन में गाए जाते हैं।
- हिंदी (सधुक्कड़ी भाषा) में भी उनके अनेक पद मिलते हैं, जिनमें:
- निर्गुण ब्रह्म का स्वरूप,
- कर्मकांड का खंडन,
- आत्मा-परमात्मा के एकत्व का सुंदर वर्णन मिलता है।
एक सुंदर उदाहरण:
जल तरंग अरु फेन बुदबुदा, जलते भिन न होई।
इहु परपंचु पारब्रह्म की लीला, विचरत आन न होई।।
संत नामदेव का कार्य और रूपक योजना
- वे पेशे से दर्जी (छीपा) थे।
- अपने साधारण जीवन और रोजमर्रा के औजारों – गज, कैंची, सुई धागा आदि के माध्यम से वे भक्ति के गूढ़ रहस्य समझाते थे।
- उनके रूपकों को आम जनता सहजता से समझ पाती थी, जिससे उनका संदेश व्यापक जनसमूह तक पहुँचा।
संत नामदेव की विशेषताएँ
- सरलता, करुणा और सहज भक्ति उनकी पहचान थी।
- उन्होंने जाति, धर्म और कर्मकांड आधारित भेदभाव का विरोध किया।
- उनका संदेश था कि परमात्मा हर कण-कण में व्याप्त है।
निष्कर्ष
संत नामदेव ने अपने जीवन और वाणी से प्रेम, एकता और सत्य का प्रचार किया। उनके अभंग और सधुक्कड़ी पद आज भी भक्ति रसिकों को आत्मिक आनंद देते हैं। उनका जीवन हमें बताता है कि ईश्वर भक्ति साधारण जीवन में भी सर्वोच्च साध्य बन सकती है।