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  • सुंदरदास: निर्गुण भक्ति के सुशिक्षित संत कवि

    सुंदरदास: निर्गुण भक्ति के सुशिक्षित संत कवि परिचय सुंदरदास (1596-1689 ई.) हिंदी साहित्य के निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख संत कवि थे। वे दादू पंथ के अनुयायी थे और बाल्यकाल में ही संत दादू दयाल के शिष्य बन गए थे। उनका जन्म राजस्थान के धौसा नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने काशी में 30 वर्ष…

  • रसखान और अन्य कृष्ण भक्त कवि

    रसखान: कृष्ण प्रेम के रससिक्त कवि रसखान हिंदी साहित्य के अत्यंत लोकप्रिय कृष्ण भक्त कवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम, भक्ति और शृंगार का अनुपम समन्वय किया। उनके जन्म, शिक्षा-दीक्षा और जीवन-परिचय के विषय में कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है, किंतु ‘दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता’ के अनुसार, वे प्रारंभ में लौकिक…

  • अष्टछाप के भक्त कवि: वल्लभ संप्रदाय के प्रमुख स्तंभ

    अष्टछाप के भक्त कवि: वल्लभ संप्रदाय के प्रमुख स्तंभ अष्टछाप कवि वल्लभ संप्रदाय से जुड़े आठ प्रमुख कृष्णभक्त कवि थे, जो पुष्टिमार्गीय परंपरा में कृष्ण की भक्ति और उनकी लीलाओं का गुणगान करते थे। ये सभी कवि या तो वल्लभाचार्य के शिष्य थे या उनके पुत्र विट्ठलनाथ के अनुयायी। अष्टछाप का मुख्य कार्य श्रीनाथजी की…

  • हितहरिवंश

    हितहरिवंश जी एवं राधावल्लभी संप्रदाय 1. जीवन परिचय 2. साहित्य एवं भक्ति योगदान 3. प्रमुख शिष्य 4. संप्रदाय की विशेषताएँ 5. महत्वपूर्ण पद “ब्रज नव तरूनि कदंब मुकुटमनि स्यामा आजु बनी। नख सिख लौं अंग माधुरी मोहे श्याम धनी।।”

  • चतुर्भुजदास

    चतुर्भुजदास – संक्षिप्त नोट्स दानलीला जन्म: 1530 ई., गोवर्धन के समीप जमुनावतौ गाँव पारिवारिक संबंध: अष्टछाप के प्रसिद्ध कवि कुंभनदास के सबसे छोटे पुत्र निधन: 1585 ई. काव्य प्रतिभा: शैशव काल से ही काव्य रचना प्रारंभ कोई स्वतंत्र ग्रंथ उपलब्ध नहीं रचनाएँ स्फुट पदों के रूप में संकलित प्रकाशित संकलन: चतुर्भुज कीर्तन संग्रह कीर्तनावली

  • नंददास

    नंददास – संक्षिप्त नोट्स परिचय: मुख्य कृतियाँ: विशेषताएँ: उदाहरण पद: “कहन श्याम संदेश एक मै तुम पै आयो।कहन सभय संकेत कहूँ अवसर नहिं पायो।।” (इस पद में संदेशवाहक की असमंजस एवं भावुकता को दर्शाया गया है।)

  • कृष्णदास

    कृष्णदास: संक्षिप्त परिचय एवं योगदान

  • मंझन (16वी शताब्दी)

    मंझन और उनकी कृति ‘मधुमालती’ 1. मंझन (16वीं शताब्दी) 2. ‘मधुमालती’ का कथानक 3. प्रमुख विशेषताएँ 4. सूफी दर्शन और आध्यात्मिक संकेत 5. निष्कर्ष प्रेम, पुनर्जन्म, और अलौकिक तत्वों के माध्यम से आध्यात्मिकता को दर्शाया गया है। मधुमालती एक महत्वपूर्ण सूफी प्रेमाख्यानक काव्य है। इसमें भारतीय और सूफी तत्वों का समन्वय देखने को मिलता है।

  • सन्देशरासो –

    सन्देशरासो – संक्षिप्त नोट्स

  • गोविन्द स्वामी

    गोविन्दस्वामी – संक्षिप्त नोट्स इन पदों में राधा-कृष्ण की शृंगार लीला का विशेष चित्रण। जन्म व स्थान जन्म: सन् 1505 ई० स्थान: आँतरी गाँव, भरतपुर, राजस्थान जाति: सनाढ्य ब्राह्मण आध्यात्मिक जीवन विरक्त जीवन अपनाकर ब्रजमण्डल के महावन में निवास किया। स्वामी विट्ठलनाथ से पुष्टि मार्ग की दीक्षा प्राप्त की। शिक्षा व संगीत ज्ञान शिक्षित व्यक्ति…