Edudepart

Notes of important topics

चतुर्भुजदास का साहित्यिक परिचय

चतुर्भुजदास, कुम्भनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। डा ० दीन दयाल गुप्त के अनुसार इनका जन्म वि ० सं ० 1520 और मृत्यु वि ० सं ० 1624 में हुई थी। इनका जन्म जमुनावती गांव में गौरवा क्षत्रिय कुल में हुआ था।

वार्ता के अनुसार ये स्वभाव से साधु और प्रकृति से सरल थे। इनकी रूचि भक्ति में आरम्भ से ही थी। अतः भक्ति भावना की इस तीव्रता के कारण श्रीनाथ जी के अन्तरंग सखा बनने का सम्मान प्राप्त कर सके।

रचनाएँ

  • द्वादश यश
  • हित जू को मंगल
  • भक्ति प्रकाश
  • इसके अतिरिक्त कुछ स्फुट पद।

चतुर्भुजदास के पद

चतुर्भुजदास के आराध्य नन्दनन्दन श्रीकृष्ण हैं।

माई री आज और काल्ह और ,
दिन प्रति और,देखिये रसिक गिरिराजबरन।
दिन प्रति नई छवि बरणै सो कौन कवि,
नित ही शृंगार बागे बरत बरन।।
शोभासिन्धु श्याम अंग छवि के उठत तरंग,
लाजत कौटिक अनंग विश्व को मनहरन।
चतुर्भुज प्रभु श्री गिरधारी को स्वरुप,
सुधा पान कीजिये जीजिए रहिये सदा ही सरन।।