छोटे-छोटे राज्यों का विकास (सन् 650 ई. से 1200 ई.)
याद रखने योग्य बातें
★ सन् 647 में हर्षवर्धन की मृत्यु हुई। उसके बाद 600 सालों तक बड़ा राज्य न बन सका।
★सन् 650 के आसपास से प्राप्त शिलालेखों व ताम्रपत्रों से पता चलता है कि कई शक्तिशाली राजा हुए पर उनके उत्तराधिकारी योग्य नहीं थे ।
★ शक्तिशाली योद्धा अपने साथियों के साथ कमजोर कबीले पर आक्रमण कर उस पर अधिकार करता और अपना राज्य स्थापित करता था।
★ उस समय छत्तीसगढ़ में कल्चुरी राजाओं का शासन था। राज्य निर्माण में ब्राम्हणों व भाटों की विशेष भूमिका होती थी। उन्हें दान स्वरूप गाँव व लगान वसूली का हक दिया जाता था।
★ भाट-ये दरबारी कवि होते थे, जो स्थानीय भाषा में राजाओं के प्रशस्ति गान करते थे ।
★ खैरागढ़ के राजा लक्ष्मी निधिराय के दरबारी कवि दलराम राव ने पहली बार अपनी कविताओं में “छत्तीसगढ़” शब्द का प्रयोग किया.
★ अधिपति-सामंत-विजयी राजा अधिपति और पराजित राजा उसके सामंत कहलाते थे।
★ सन् 800 से लगभग 1000 तक उत्तर, पूर्वी तथा मध्यभारत में तीन बड़े राज्य बने-प्रतिहार वंश, पालवंश और राष्ट्रकूट वंश के लिए किया।
★ परमार वंश के राजाओं में भोज सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए। उसने सन् 1000 से 1035 तक राज्य किया।
★ सन् 997 से 1010 तक महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया।
★ उसके राज्य में अलबरूनी नाम का विख्यात विद्ववान रहता था। उसने अरबी भाषा में “तहकीक ए हिन्द” नाम किताब लिखी।
★ चोलवंश दक्षिण का सबसे शक्तिशाली राजवंश था। उन्होंने समुद्र पार लंका, इंडोनेशिया, मलेशिया और मालदीप पर भी चढ़ाई की.
★तंजावूर का वृहदीश्वर (राजराजेश्वर) मंदिर को राजराज चोल ने बनवाया।