छीतस्वामी वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक। जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया।
छीतस्वामी का जन्म
इनका जन्म १५१५ ई० में हुआ था। मथुरा के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे।
छीतस्वामी के गुरु
छीतस्वामी श्री गोकुलनाथ जी के शिष्य थे।
छीतस्वामी जी का एक पद
भोग श्रृंगार यशोदा मैया, श्री विट्ठलनाथ के हाथ को भावें।
नीके न्हवाय श्रृंगार करत हैं, आछी रुचि सों मोही पाग बंधावें ॥
तातें सदा हों उहां ही रहत हो, तू दधि माखन दूध छिपावें।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥