छत्तीसगढस्य लोकगीतानि कक्षा आठवीं विषय संस्कृत पाठ 2
शब्दार्था:- लोकभाषासु – लोकभाषाओं में, अविरल =अटूट, निरन्तर, परम्पराऽस्ति = परम्परा है।
अनुवाद- हमारे छत्तीसगढ़ राज्य के लोकभाषाओं में गीतों की अटूट परम्परा है। यहाँ लोकगीतों में विविधता है। इस राज्य के लोकगीत लोकभाषा पर आधारित हैं।
शब्दार्थाः – लोकभाषासु = लोकभाषाओं में। लोकगीतेषु = लोकगीतों में। प्रचलन्ति =प्रचलित हैं। गायन्ति = गाते हैं। गेयगीतं = गाया जाने वाला । इत्युच्यते= कहलाता है।
अनुवाद – छत्तीसगढ़ के लोक गीतों में संस्कार गीत, धार्मिक उत्सव-गीत, ऋतुगीत आदि प्रचलित हैं। लोग छत्तीसगढ़ राज्य में संस्कार के अवसर पर अनेक गीत गाते हैं और इन गीतों में सोहर गीत, विवाह गीत प्रमुख हैं। सीमन्त संस्कार के अवसर पर गाया जाने वाला ‘सधौरीगीत’ कहलाता है। विवाह के अवसर पर लोकव्यवहार (लोकाचार) के पालन के लिए गेय गीतों की परम्परा प्रचलित है। जैसे— प्रचलित लोकगीतों में चुलमाटी गीत, द्वारचार गीत जेवनार गीत (बरातियों के भोजन के समय गाया जाने वाला गीत), भाँवर गीत और विदाई गीत प्रसिद्ध हैं। लोगों के द्वारा ये गीत छत्तीसगढ़ी लोक भाषाओं में गाये जाते हैं।
शब्दार्था: – यथा = जैसे। देव्या देवी। सन्ति = हैं।
अनुवाद- धार्मिक गीतों के विभिन्न रूप हैं जैसे- शंकर, राम, कृष्ण आदि के विवाह प्रसंग के गीत लोकप्रिय हैं। भक्ति गीतों में भजन प्रसिद्ध हैं। देवी के जसगीत और सेवा गीत भी प्रसिद्ध हैं।
शब्दार्थाः- च =और , मास= महीना, माह।
अनुवाद – ऋतुगीतों में सावन और भादों महीनों में भोजली गीत, कार्तिक माह में शुकगीत (सुवागीत), गौरा गीत आदि लोक- प्रिय हैं। फाल्गुन माह में दण्ड नृत्य, फाग गीत अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
शब्दार्थाः – अस्मिन् = इस, गायन्ति = गाते हैं, माध्यमेन = माध्यम से, प्रचलन्ति प्रचलित हैं।
अनुवाद -इस राज्य में फुगड़ी यह लोकक्रीड़ा प्रसिद्ध है। इसे खेलते हुए लड़कियाँ फुगड़ी गीत गाती हैं। यहाँ प्रचलित बाँस गीत मूल रूप में ग्वालों का गीत है। गायें चराने की संस्कृति इन गीतों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है। बाँस यह एक अद्भुत वाद्य यंत्र है। जो केवल छत्तीसगढ़ राज्य में ही प्रचलित है।
शब्दार्था: – कृतवन्तः किये हैं। वैशिष्ट्यं = विशिष्टता है। लोकगीतमाश्रित्य= लोकगीतों का आश्रय लेकर। आनन्दनु भवन्ति = आनंद का अनुभव करते हैं।
अनुवाद- राज्य के प्रसिद्ध लोकगीतों में ददरिया को गाने के साथ नृत्य किया जाता है। इसलिये इस राज्य में लोकगीतों की परम्परा है। यहाँ अनेक लोक कलाकारों ने लोक गीतों के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति को गौरवान्वित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य के जनजीवन में लोकगीतों की यह विशिष्टता है। लोग, लोकगीत का आधार लेकर आनंद का अनुभव करते हैं और अपने जीवन को आनन्दमय बनाते हैं ।
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) छत्तीसगढ़ राज्ये कानि कानि लोकगीतानि प्रचलितानि ?
(छतीसगढ़ राज्य में कौन-कौन से लोकगीत प्रचलित है?)
उत्तर – छत्तीसगढ़ राज्ये लोक गीतेषु संस्कार गीतं, धार्मिकोत्सव गीतं ऋतुगीतादीनि च प्रचलितानि ।
(छत्तीसगढ़ राज्य के लोक गीतों में संस्कार गीत, धार्मिक उत्सव के गीत और ऋतुगीत आदि प्रचलित हैं।)
(ख) सीमन्त संस्कारा वसरे गेवगीतं किम् उच्यते ?
(सीमन्त संस्कार के समय गाये जाने वाले गीत को क्या कहते हैं ?)
उत्तर- सोमन्तसंस्कारावसरे गेयगीतं ‘सधौरीगीतम्’ इत्युच्यते ।
(सीमन्तसंस्कार के समय गाये जाने वाले गीत को ‘सधौरीगीत’ कहते हैं।)
(ग) जनाः भोजलीगीतं कस्मिन् मासे गायन्ति ?
(लोग भोजलीगीत किस महीने में गाते हैं ?)
उत्तर- जनाः श्रावणभाद्रपद मासे भोजली गीतं गायन्ति।
(लोग सावन और भादो माह में भोजली गीत गाते हैं।)
(घ) गोपालकानां गीतं किमस्ति ?
(ग्वालों का गीत कौन-सा है ?)
उत्तर- गोपालकानां गीतं ‘बाँसगीत’ इति प्रसिद्धम् ।
(ग्वालों का गीत ‘बाँसगीत’ प्रसिद्ध है।)
(ङ) फाल्गुनमासस्य प्रसिद्ध गीतं लिखतु।
(फागुनमाह के प्रसिद्ध गीत को लिखो।)
उत्तर – राधा पनिया जाये, राधा पनिया जाये
छोटे से श्याम कन्हैया ।
मुख मुरली बजाय, मुख मुरली बजाय
छोटे से श्याम कन्हैया ।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) अस्मिन् राज्ये लोकगीतानि ……….अवलम्बितानि ।
(ख) देव्याः जसगीतं… ..च प्रसिद्धे ।
(ग) अस्मिन् राज्ये……इति लोकक्रीडा प्रसिद्धा ।
(घ) स्वकीयं जीवनं…….सृजन्तीति ।
(ङ) छत्तीसगढ़स्य जनजीवन ………वैशिष्ट्यम्
(क) लोकभाषायाम्, (ख) सेवागीतं, (ग) फुगड़ी, (घ) उत्सवमर्थ, (ड) लोकगीतानां ।
1 (ङ) फुगड़ी गीतम् सीमन्तसंस्कारे क्रीडा समये
3. उचित सम्बन्ध जोड़िए-
(अ) | (ब) | उत्तर |
सधौरीगीतम् | फाल्गुनमासे | सीमन्तसंस्कारे |
भाँवरगीतम् | कार्तिकमासे | विवाह संस्कारे |
शुकगीतम् | विवाह संस्कारे | कार्तिकमासे |
फागगीतम | क्रीडा समये | फाल्गुनमासे |
फुगडीगीतम | सीमन्तसंस्कारे | क्रीडा समये |
4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(क) छत्तीसगढ़ में लोकगीतों में विविधता है।
अनुवाद – छत्तीसगढ़ लोकगीतेषु विविधता अस्ति।
(ख) लोकगीतों को छत्तीसगढ़ी में गाते हैं।
अनुवाद- लोकगीतान् छत्तीसगढ़ी भाषायां गायन्ति ।
(ग) धार्मिक गीतों के विविध रूप हैं।
अनुवाद- धार्मिक गीतानां विविधानि रूपाणि सन्ति ।
(घ) ‘बाँस’, एक अद्भुत वाद्ययन्त्र है।
अनुवाद -‘बाँस’ इति एकं अद्भुतं वाद्ययन्त्रं अस्ति ।
(ङ) पण्डवानी को नृत्य के साथ गाने की परम्परा है ।
उत्तर- पण्डवानी गीतं नृत्येन सहितं गीयते ।
5. संधि विच्छेद करते हुए नाम लिखिए-
(क) धार्मिकोत्सवः- धार्मिक + उत्सवः (स्वर सन्धि )
(ख) इत्युच्यते – इति + उच्यते ( यण संधि)
(ग) विवाहावसरे- विवाह + अवसरे (दीर्घस्वर संधि)
(घ) गीतमस्ति – गीतम् + अस्ति (व्यंजन संधि)