Category हिंदी विषय नोट्स

घरौंदा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 7

घरौंदा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 7 झुमरी कहाँ से आई किसी को नहीं मालूम। उसे किसी ने पाला भी नहीं था। वह गली में रहती और गली की डटकर रखवाली करती। गली का हर घर उसका अपना था। झुमरी…

औद्योगिक तीर्थ कोरबा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 6

औद्योगिक तीर्थ कोरबा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 6 मनुष्य हो या मशीन, सभी को कार्य करने के लिए ऊर्जा अर्थात् बल की आवश्यकता होती है। मनुष्य या अन्य जीव-जंतु भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। मशीनों को चलाने के…

मेरा एक सवाल कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 5

मेरा एक सवाल कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 5 पात्र- (एक चौपाल है। वहाँ पर कुछ लोग बैठे हैं। तभी गीत की आवाज़ उभरती है।) चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चिड़ियाँ चहकींमह-मह-मह-मह कलियाँ महकीं।पूर्व दिशा ने लाली घोली,भारत माँ बेटों से बोली। (गीत की…

साहसी रूपा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 4

साहसी रूपा कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 4 पाठशाला में एक नई लड़की ने प्रवेश लिया। अध्यापिका जी ने कक्षा से उसका परिचय कराया- “यह रूपा है। यह इसी कक्षा में पढ़ेगी। ” फिर वे रूपा से बोलीं, “रूपा! तुम्हारी…

अमीर खुसरो की पहेलियाँ कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 20

अमीर खुसरो की पहेलियाँ कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 20 आज से लगभग 700 वर्ष पहले भारत में गुलाम वंश का एक बादशाह था- बलबन। उसके समय में ही दिल्ली में हज़रत निजामुद्दीन औलिया नाम के एक संत थे। उनका…

मैनपाट की सैर कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 2

मैनपाट की सैर कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 2 हिल-स्टेशन मैनपाट चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य, जलप्रपातों से भरा-पूरा है। मैनपाट का कोना-कोना दर्शनीय है। पर्यटक यहाँ आकर अतीव सुख और शांति का अनुभव करते हैं। लोगों के शोरगुल, वाहनों…

सुनिता की पहिया कुर्सी(कहानी) कक्षा 5 हिन्दी

सुनिता की पहिया कुर्सी (कहानी) सुनीता सुबह सात बजे सोकर उठी। कुछ देर तो वह अपने बिस्तर पर ही बैठी रही। वह सोच रही थी कि आज उसे क्या-क्या काम करने हैं। उसे याद आया कि आज तो बाजार जाना…

महामानव (कहानी) अनवार आलम कक्षा 5 हिन्दी

महामानव (कहानी) आज से लगभग चौदह सौ साल पहले की बात है। अरब के नखलिस्तान में एक गरीब बुढ़िया घर में जलाने के लिए सूखी लकड़ियाँ चुन रही थी । बहुत-सी लकड़ियाँ इकट्ठी हो जाने पर उसने उनका एक गट्ठा…

श्रम के आरती (कविता) – भगवती लाल सेन कक्षा 5 हिन्दी

श्रम के आरती (कविता) काबर डर्राबोन कोनो ल, जब असल पसीना गारत हन हम नवा सुरुज परघाए बर श्रम के आरती उतारत हन । चाहे कोनों हाँसे थूके, रद्दा के काँटा चतवारत हन । हम नवा सुरुज परघाए बर, श्रम…