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Notes of important topics

सूचना का अधिकार कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान ( नागरिक शास्त्र )

अध्याय 10 सूचना का अधिकार
अध्याय 10 सूचना का अधिकार

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • केन्द्र सरकार द्वारा एक कानून बनाया गया है, जिसके अनुसार मनचाही जानकारी प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है, इसे सूचना का अधिकार के नाम से जाना जाता है। इसे सूचना का अधिकार 2005 कहते हैं।
  • सूचना जानने के लिए निर्धारित शुल्क जमाकर आवेदन करना होता है।
  • गरीबी रेखा से नीचे गुजर करने वालों को आवेदन शुल्क नहीं देना पड़ता।
  • सूचना का आवेदन विभाग के समक्ष अधिकार अथवा मुख्य सूचना अधिकारी के नाम प्रेषित करना होता है।
  • आवेदन करने की तिथि से 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
  • सूचना सम्बन्धी व्यय का वहन आवेदनकर्ता को करना होता है।
  • निर्धारित समय सीमा पर सूचना उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में सम्बन्धित अधिकारी को जुर्माना किया जा सकता है।
  • सरकार द्वारा निर्धारित आय से कम आय प्राप्त करने वालों को गरीबी रेखा से नीचे कहा जाता
  • राज्य सरकार द्वारा तय की गई मजदूरी को कलेक्टर रेट या न्यूनतम मजदूरी कहा जाता है।
  • गाँव के विकास की योजनाओं को लागू करने का काम सरपंच का होता है।
  • सरपंच द्वारा किए गए अनियमितताओं के लिए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सी. ई. ओ.) के पास आवेदन किया जा सकता है।

अभ्यास प्रश्न प्रश्न

1. खाली स्थान भरिए-

(1) सूचना के अधिकार का अधिनियम …………..में बनाया गया।

(2) गलत जानकारी देने वाले कार्यालय को…………..जुर्माना हो सकता है।

(3) न्यूनतम मजदूरी…………..तय करती है।

उत्तर-(1) 2005 (2) 25,000 रूपये, (3) कलेक्टर |

प्रश्न 2 प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(1) सरपंच से जानकारी नहीं मिलने पर मजदूरों ने क्या किया ?

उत्तर-सरपंच से जानकारी नहीं मिलने पर मजूदरों ने हबीब और रामू की मदद से सूचना के अधिकार के कानून का उपयोग करते हुए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को उचित कार्यवाही के लिये आवेदन पत्र दिया।

(2) यदि सरपंच समझौता नहीं करता तो क्या किया जा सकता था ?

उत्तर- जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने मजदूरों की शिकायत पर सरपंच के कार्यों की समीक्षा की और उसके व्यय पत्रक को भी देखा जिसमें गड़बड़ी साबित हो चुकी थीं। यदि सरपंच अपनी गलती मानते हुए समझौता न करता तो उसे सरपंच पद से बर्खास्त किया जाता और उसके खिलाफ अनियमितता और धोखाधड़ी का मामला पुलिस में दर्ज कराया जाता। जुर्म साबित हो जाने पर सरपंच को जेल की हवा खानी। पड़ती।

(3) सरपंच से समझौता करने का निर्णय किसने लिया। और क्यों ?

उत्तर- सरपंच ने समझौता करने का प्रस्ताव मुख्य कार्य अधिकारी ने मजदूरों के सामने रखा। सरपंच अपनी गलती मान चुका था। वह बार-बार अपनी गलती पर माफी माँग रहा था और सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी सभी को देने को भी तैयार था। सरपंच के इस तरह की दीनता को देखकर सारे मजदूर ने एक साथ समझौता करने का निर्णय लिया। वे चाहते थे कि सरपंच की आँखें खुल जाय और उन्हें उनका अधिकार मिल जाय और ये दोनों बातें पूरी हो गयी थीं।

(4) सूचना का अधिकार के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने की विधि क्या है ?

उत्तर – सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत जानकारी प्राप्त करने के लिए जिस संस्था या कार्यालय से जानकारी प्राप्त करनी है, उसको लिखित रूप में आवेदन देना होता है। आवेदन के साथ 10% का आवेदन शुल्क जमा करना होता है। इस शुल्क की रसीद आवेदक को प्राप्त कर लेनी चाहिए। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति को शुल्क नहीं देना पड़ता।

आवेदन के तीस दिन के अन्दर चाही गई, जानकारी सम्बन्धित कार्यालय द्वारा दी जाती है। जानकारी के अंतर्गत यदि किसी प्रकार के कागज की छाया प्रतियाँ दी जा रही हों तो छाया प्रति का शुल्क जमा करना होता है। राशि देते समय रसीद प्राप्त कर लेना आवश्यक है। शुल्क का भुगतान चालान द्वारा भी किया जा सकता है।

(5) सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदन करने के कितने दिनों के अंदर सक्षम अधिकारी को जानकारी देना अनिवार्य है ?

उत्तर – सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदन करने के तीस दिनों के अंदर सक्षम अधिकारी को जानकारी देना अनिवार्य है।