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छत्तीसगढ़ के छोटे एवं बड़े उद्योग
याद रखने योग्य बातें
- हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में धान की पैदावार काफी मात्रा में होती है, इसलिए इसे धान का कटोरा कहते हैं।
- पहले धान से चावल निकालने के लिए मूसल और ढेकी का प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब धान कुट्टी (हॉलर मिल) मशीनें गई है।
- अपने राज्य में कुरूद, महासमुंद, तिल्दा-नेवरा, नवापारा, राजिम, आरंग, भाटापारा आदि जगहों पर बड़ी संख्या में चावल मिले हैं।
- किसान अपना धान बेचने सरकारी समिति में आते हैं।
- सहकारी समितियों में सरकारी समर्थन मूल्य पर धान खरीदा जाता है।
- सरकार द्वारा धान की खरीदी के लिए तय किए गए मूल्य को समर्थन मूल्य कहते हैं
- यदि सहकारी समितियाँ धान नहीं खरीदती तो किसान मण्डी में अपना धान बेचते हैं, जहाँ उसे समर्थन मूल्य नहीं मिलता। कुछ किसान सीधे मिल मालिकों को धान बेच देते हैं।
- मिलों में मंडी के अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से भी धान कूटने के लिए आता है।
- धान को कुटाई के लिए मजदूर उसे एलीवेटर के मुख में सरकाते हैं, जहाँ छन्नी के द्वारा धान से कंकड़, कचरे अलग हो जाते हैं। दूसरे उन्नी में कंकड़, रेत कण व मिट्टी आदि अलग होते हैं। इस प्रकार धान तीसरे एलीवेटर के आगे पहुँचता है। तीसरे एलीवेटर में रबर के दो पहिए लगे होते हैं, जिनके बीच रगड़ से धान के छिलके निकल जाते हैं। सेपरेटर मशीन द्वारा चावल से छिलका (भूसा) अलग निकलता है।
- मशीन के चौथे भाग में धान को तीन समूहों में अलग किया जाता है (1) खंडा (2) कनकी (3) साबुत चावल
- चावल मिल (मशीन) को चलाने के लिए एक ड्राइवर व एक हेल्पर होता है।
- राइस मिल चालू करने के लिए 10 से 15 लाख रुपये की आवश्यकता होती है, इसके लिए सरकार लोन देती है।
- राइस मिलों में एक घंटे में दो टन (50 बोरा) चावल कूटा जाता है। यदि यह मिल 24 घंटे चले तो 1200 बोरा चावल बनाया जा सकता है।
- चावल मिल में चावल दो तरह का होता है- 1. उसना 2. अरवा
- उसना चावल उसन कर बनाया जाता है। उड़ीसा, बिहार, बंगाल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश में उसना चावल की माँग अधिक रहती है।
- छत्तीसगढ़ में अन्य छोटे उद्योग जैसे आरा मिल, स्टील के बर्तन बनाने का कारखाना, लोहे का कारखाना जहाँ आलमारी, कुर्सी, पाइप, हथौड़ा, बाल्टी आदि बनाए जाते हैं शामिल हैं।
- बड़े कारखानों में प्रवेश के लिए परिचय पत्र (पास) बनवाना होता है। सभी कर्मचारियों का आने और जाने का समय मशीन द्वारा छपवाना पड़ता है।
- सीमेंट उद्योग में चूना पत्थर का कच्चा माल के रूप में उपयोग होता है।
- बड़े-बड़े पत्थरों को आसानी से उठाने वाले मशीन को क्रेन कहते हैं।
- बड़े-बड़े पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने वाले मशीन को क्रशर-हॉपर कहा जाता है। मशीन के चालक को ऑपरेटर तथा उसके सहयोगी को हेल्पर कहते हैं।
- मशीनों की गड़बड़ी सुधारने वाला इंजीनियर कहलाता है।
- कारखाने की सभी मशीनें ऑटोमेटिक (स्वचालित) होती हैं।
- छोटे टुकड़ों को जिसे यू आकार की पट्टे द्वारा आगे बढ़ाया जाता है, उसे कन्वेयर बेल्ट कहते हैं।
छत्तीसगढ़ के छोटे एवं बड़े उद्योग
1. खाली स्थान की पूर्ति कीजिए:
- बड़े-बड़े पत्थरों को दूसरे मशीनों में डालने का कार्य क्रशिंग मशीन द्वारा होता है।
- छोटे-बड़े पत्थरों को पीसने का कार्य ग्राइंडिंग मशीन में होता है।
- जहाँ पत्थर पाउडर को पकाया जाता है, उसे क्लिंकर भट्टी कहते हैं।
2. केवल गलत वाक्यों को सुधारकर लिखें:
(क) सभी कारखानों के मजदूर 8-10 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते हैं।
(ख) सीमेंट कारखाने का कच्चा माल ज्यादातर खदानों से आता है।
(ग) सीमेंट कारखानों में अब प्रदूषण की समस्या अभी भी बनी हुई है।
3. प्रश्नों के उत्तर:
- शिक्षक की सहायता से नक्शे में दिखाए गए छत्तीसगढ़ के अन्य सीमेंट कारखानों की सूची बनाइए।
- छत्तीसगढ़ में कुछ प्रमुख सीमेंट कारखाने:
- अंबुजा सीमेंट, बालोद
- अल्ट्राटेक सीमेंट, रायगढ़
- जेके लक्ष्मी सीमेंट, डोंगरगढ़
- असीस्टेंट इंडिया सीमेंट, भिलाई
- छत्तीसगढ़ में कुछ प्रमुख सीमेंट कारखाने:
- सीमेंट बनाने की प्रक्रिया को अपने शब्दों में लिखें:
- चूना पत्थर, क्ले और अन्य कच्चे माल का खदान से संग्रह किया जाता है।
- इन कच्चे माल को क्रशिंग और ग्राइंडिंग मशीनों में पाउडर के रूप में बदला जाता है।
- क्लिंकर बनाने के लिए पाउडर को क्लिंकर भट्टी में उच्च तापमान पर पकाया जाता है।
- तैयार क्लिंकर को ग्राइंड कर फाइनल सीमेंट बनाया जाता है।
- इसे पैकिंग मशीन द्वारा बोरियों में भरा जाता है।
- दस्तकारों द्वारा घर पर उत्पादन करने और कारखाने में उत्पादन करने में क्या अंतर है?
- घर पर उत्पादन:
- छोटे पैमाने पर हाथ से किया जाता है।
- कम मात्रा में उत्पादन होता है।
- आधुनिक उपकरणों का कम उपयोग होता है।
- कारखाने में उत्पादन:
- बड़े पैमाने पर मशीनों से किया जाता है।
- ज्यादा मात्रा में और तेजी से उत्पादन होता है।
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग होता है।
- घर पर उत्पादन:
- बड़े कारखानों में काम बाँटकर किया जाता है। क्या आपने सीमेंट कारखाने में यह बात देखी?
- हाँ, बड़े कारखानों में काम को अलग-अलग विभागों में बाँटा जाता है, जैसे:
- कच्चे माल की आपूर्ति।
- पाउडर बनाने का कार्य।
- पैकेजिंग और वितरण।
- हाँ, बड़े कारखानों में काम को अलग-अलग विभागों में बाँटा जाता है, जैसे:
परियोजना कार्य:
- सीमेंट की उपयोगिता संबंधित परियोजना कार्य कीजिए।
- सीमेंट का उपयोग भवन निर्माण, सड़क निर्माण, और बड़े ढाँचों के निर्माण में होता है।
- यह एक मजबूत और टिकाऊ सामग्री है।
- चावल बोरी का भी पता करें, उसमें क्या लिखा होता है? उसका क्या अर्थ होता है और यह क्यों लिखा जाता है?
- चावल बोरी पर आमतौर पर चावल की गुणवत्ता, वजन (जैसे 50 किग्रा), उत्पादन तिथि और ब्रांड नाम लिखा होता है।
- यह जानकारी उपभोक्ता को चावल के प्रकार और उसकी गुणवत्ता समझाने के लिए दी जाती है।
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