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छत्तीसगढ़ के छोटे एवं बड़े उद्योग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान (नागरिक शास्त्र)

छत्तीसगढ़ के छोटे एवं बड़े उद्योग

याद रखने योग्य बातें

  • हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में धान की पैदावार काफी मात्रा में होती है, इसलिए इसे धान का कटोरा कहते हैं। * पहले धान से चावल निकालने के लिए मूसल और ढेकी का प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब धान कुट्टी (हॉलर मिल) मशीनें गई है।

अपने राज्य में कुरूद, महासमुंद, तिल्दा-नेवरा, नवापारा, राजिम, आरंग, भाटापारा आदि जगहों पर बड़ी संख्या में चावल मिले हैं। किसान अपना धान बेचने सरकारी समिति में आते हैं।

भै सहकारी समितियों में सरकारी समर्थन मूल्य पर धान खरीदा जाता है।

  • सरकार द्वारा धान की खरीदी के लिए तय किए गए मूल्य को समर्थन मूल्य कहते हैं ।।

में यदि सहकारी समितियाँ धान नहीं खरीदती तो किसान मण्डी में अपना धान बेचते हैं, जहाँ उसे समर्थन मूल्य नहीं मिलता। कुछ किसान

सीधे मिल मालिकों को धान बेच देते हैं। मै मिलों में मंडी के अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से भी धान कूटने के लिए आता है।

धानको कुटाई के लिए मजदूर उसे एलीवेटर के मुख में सरकाते हैं, जहाँ छन्नी के द्वारा धान से कंकड़, कचरे अलग हो जाते हैं। दूसरे उन्नी में कंकड़, रेत कण व मिट्टी आदि अलग होते हैं। इस प्रकार धान तीसरे एलीवेटर के आगे पहुँचता है।

मैं तीसरे एलीवेटर में रबर के दो पहिए लगे होते हैं, जिनके बीच रगड़ से धान के छिलके निकल जाते हैं।

सेपरेटर मशीन द्वारा चावल से छिलका (भूसा) अलग निकलता है।

  • मशीन के चौथे भाग में धान को तीन समूहों में अलग किया जाता है (1) खंडा (2) कनकी (3) साबुत चावल यहाँ चावल में पॉलिस * चावल मिल (मशीन) को चलाने के लिए एक ड्राइवर व एक हेल्पर होता है।

भी किया जाता है।

से मिलों में दो पालियों में काम होता है।

★ एफसीआई को चावल भेजा जाता है, जहाँ से अन्य राज्यों को चावल भेजा जाता है। मै राइस मिल चालू करने के लिए 10 से 15 लाख रुपये की आवश्यकता होती है, इसके लिए सरकार लोन देती है। ★ राइस मिलों में एक घंटे में दो टन (50 बोरा) चावल कूटा जाता है। यदि यह मिल 24 घंटे चले तो 1200 बोरा चावल बनाया जा सकता

है। में चावल मिल में चावल दो तरह का होता है- 1. उसना 2. अरवा

भै उसना चावल उसन कर बनाया जाता है। उड़ीसा, बिहार, बंगाल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश में उसना चावल की माँग अधिक रहती है। * छत्तीसगढ़ में अन्य छोटे उद्योग जैसे आरा मिल, स्टील के बर्तन बनाने का कारखाना, लोहे का कारखाना जहाँ आलमारी, कुर्सी, पाइप,

हथौड़ा, बाल्टी आदि बनाए जाते हैं शामिल हैं।

में बड़े कारखानों में प्रवेश के लिए परिचय पत्र (पास) बनवाना होता है। सभी कर्मचारियों का आने और जाने का समय मशीन द्वारा छपवाना पड़ता है।

में सीमेंट उद्योग में चूना पत्थर का कच्चा माल के रूप में उपयोग होता है। ★ बड़े-बड़े पत्थरों को आसानी से उठाने वाले मशीन को क्रेन कहते हैं।

बड़े-बड़े पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने वाले मशीन को क्रशर-हॉपर कहा जाता है। मशीन के चालक को ऑपरेटर तथा उसके सहयोगी को हेल्पर कहते हैं।

★ मशीनों की गड़बड़ी सुधारने वाला इंजीनियर कहलाता है। मैं कारखाने की सभी मशीनें ऑटोमेटिक (स्वचालित) होती हैं।

मे छोटे टुकड़ों को जिसे यू आकार की पट्टे द्वारा आगे बढ़ाया जाता है, उसे कन्वेयर बेल्ट कहते हैं।