हिन्दी में लिपि चिह्न
भारतीय संघ तथा कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप हिंदी का मानक रूप निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में सर्वत्र एकरूपता रहे और टाइपराइटर आदि आधुनिक यंत्रों के उपयोग में लिपि की अनेकरूपता बाधक न हो।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने शीर्षस्थ विद्वानों आदि के साथ वर्षों के विचार-विमर्श के पश्चात् हिंदी वर्णमाला तथा अंकों का जो मानक स्वरूप निर्धारित किया, वह इस प्रकार है :
संस्कृत के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला में तो ऋ. लृ तथा लृ भी सम्मिलित है, किंतु हिंदी में इन वर्णों का प्रयोग न होने के कारण इन्हें हिंदी की मानक वर्णमाला में स्थान नहीं दिया गया है।
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