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अनुशासनम् कक्षा आठवीं विषय संस्कृत पाठ 3

अनुशासनम् कक्षा आठवीं विषय संस्कृत

अनु उपसर्गपूर्वकम “शास” धातो: अनुशासनम इति शब्द निमितः । अस्य अभिप्रायः शासनानुसरणम् नियमपूर्वकं कार्य वा अतः नियमानां पालनमेव अनुशासनम् । आत्मनियन्त्रण- मेवानुशासनम् ।

शब्दार्था- आत्मनियन्त्रणम् = अपने को वश में रखना। निर्मितः = बना।

अनुवाद –अनु उपसर्गपूर्वक “शास्” धातु से अनुशासन शब्द बना है। इसका अभिप्राय (अर्थ) है नियम पूर्वक तथा आदेश के अनुसार कार्य करना। इसलिये नियमों के पालन को ही अनुशासन कहते हैं। अपने को वश में रखना ही अनुशासन है।

अनुशासनस्य द्वौ भेदौ स्तः, आन्तरिकं वाह्यं च । वाह्यानुशासनं परिवारेषु विद्यालयेषु च परिलक्ष्यते। आत्मनु शासनमेव दृढम् अनुशासनमभिधीयते। आत्मानुशासितमानवः संयमशीलः भवतीति । संयमशीलः शरीरबुद्धिमनांसि नियन्त्रयति आत्मानुशासनम् कल्याणप्रदमस्ति ।

शब्दार्था: – द्वौ भेदौ दो भेद । स्तः हैं। परिलक्ष्यते =दिखाई देता है।

अनवाद- अनुशासन के दो भेद हैं, आन्तरिक और बाह्य। बाह्य अनुशासन परिवारों में और विद्यालयों में दिखाई देता है। आत्मानुशासन को ही दृढ़ अनुशासन कहते हैं। आत्मानुशासित मनुष्य संयमशील होता है। संयमशील शरीर, बुद्धि, मन को नियन्त्रित करता है। आत्मानुशासन कल्याणप्रद है।

अनुशासनं बिना समाजस्य राष्ट्रस्य वा उन्नतिः न संभवति मानवजीवने अनुशासनं महत्वपूर्णमस्ति । यथा सृष्टेः कार्यम् अनुशासनेनैव सञ्चालयते तथैव जनानां जीवनं • अनुशासनाद् ऋते कदापि सञ्चालयितुं न शक्यते । अनुशासने नैव जीवनं सुव्यवस्थितं परिलक्ष्यते । सुव्यवस्थित जीवनमेव विकासस्तम्भः अस्ति। अनुशासनेन कर्त्तव्यअधि कारयोः बोधो भवति । अतः अनुशासनम् उन्नत्याः द्वारमस्ति । अनुशासनेन व्यवहारे शीलं सत्यं विनयञ्च संवर्ध्यन्ते ।

विकासस्तम्भः= विकास का आधार, सञ्चाल्यत = संचालित होता है।

अनुशासन के बिना समाज अथवा राष्ट्र की उन्नति नहीं हो सकती। मानव जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण होता है। जिस प्रकार सृष्टि के कार्य अनुशासन से ही संचालित होते हैं, उसी प्रकार मनुष्यों के कार्य भी अनुशासन से ही चलने चाहिए। अनुशासन से ही जीवन सुव्यवस्थित होता है। सुव्यवस्थित जीवन ही मानव के विकास का आधार है। अनुशासन से ही कर्त्तव्य और अधिकार दोनों का बोध होता है इसलिए अनुशासन को उन्नति का द्वार कहा गया है। अनुशासन से व्यवहार में शील, सत्य और विनय बढ़ता है।

छात्र जीवने अनुशासनस्य सर्वाधिकं महत्वमस्ति । छात्रजीवने एव भविष्यमवलम्बितमस्ति अनुशासनप्रियाः छात्राः साफल्यं प्राप्नुवन्ति विद्यार्थिनः गृहे-विद्यालये क्रीडाङ्गणे च अनुशासनं गृह्णन्ति। समयानुकूल पठनं, विद्यालयगमनं, क्रीडनं गृहकार्यञ्च सम्पादितव्यम् गुरुमातृ पितृ णाम् आदरः कर्तव्यः एतेषां कर्त्तव्यानां पालनमेव अनुशासनम् इति यातायात नियमपरिपालनं, विद्यालय-नियमपरिपालनं, गृहनियमपरिपालनं वा अनुशासनम् एव अनुशासित छात्राः विनयशीलाः, धैर्यशीलाः, संयमशीलाश्च भवन्ति ।

उच्छृङ्खलत्वं कदापि साफल्यप्रदं न भवति दार्था:- सम्पादितव्यम् = सम्पादित करना चाहिये। अभिधीयते = कहते हैं । साफल्यं = सफलता। उच्छृङ्खलत्वं उद्दण्डता =उद्दण्डता कभी भी सफलता देने वाली नहीं होती।

छात्र- जीवन में अनुशासन का सर्वाधिक महत्व है। छात्र जीवन पर ही भविष्य अवलम्बित है। अनुशासन प्रिय छात्र सफलता प्राप्त करते हैं। विद्यार्थी घर में, विद्यालय में तथा क्रीडा में अनुशासन ग्रहण करते हैं। समय के अनुकूल पढ़ना, विद्यालय जाना, खेलना और गृहकार्य सम्पादित करना चाहिये। गुरु, माता और पिता का आदर करना चाहिये। इनका कर्त्तव्यपालन ही अनुशासन है। यातायात के नियमों का पालन, विद्यालय के नियमों का पालन अथवा घर के नियमों का पालन ही अनुशासन है। अनुशासित छात्र विनयशील, धैर्यशील और संयमशील होते हैं।

अनुशासनेन आचरणे ‘सत्यं शिवं, सुन्दरम्’ इति उक्तिः चरितार्था भवति। अनुशासनस्य वैशिष्ट्यं सर्वे स्वीकुर्वन्ति । यद् अनुशासनं ऋते जीवनं शून्यमस्ति । अतएव अस्माभिः सर्वतोभावेन अनुशासनं परिपालनीयमिति माध्यम।

शब्दार्थाः- स्वीकुर्वन्ति= स्वीकार करते हैं। ऋते= बिना। सर्वतोभावेन= समग्रभाव से साधन

अनुवाद- इसलिए अनुशासन अच्छे जीवन की कुञ्जी है। अनुशासन व्यक्तित्व के विकास का सशक्त माध्यम है। अनुशासन से आचरण में ‘सत्यं शिवं, सुन्दरम्’ यह उक्ति चारितार्थ होती है। अनुशासन का महत्व सब स्वीकार करते हैं कि अनुशासन के बिना जीवन शून्य है। इसलिए हमें समग्र भाव से अनुशासन का पालन करना चाहिए।

अभ्यास प्रश्नाः

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए-

(क) अनुशासनम् इति शब्दः कथं निर्मितः ? (अनुशासन शब्द किससे बना है ?)

उत्तर- अनु उपसर्गपूर्वकं शास् धातो: अनुशासनम् इति शब्दः निर्मितः (अनु उपसर्गपूर्वक शास् धातु से अनुशासन शब्द बना है।)

(ख) आत्मानुशासितः मानवः कीदृशः भवति ? (आत्मानुशासित मानव कैसा होता है ?)

उत्तर- आत्मानुशासित: मानवः संयमशीलः भवति । (आत्मानुशासित मानव संयमशील होता है।)

(ग) अनुशासनेन किं संवर्ध्यते ? (अनुशासन से क्या बढ़ता है ?)

उत्तर- अनुशासनेन व्यवहारे शीलं सत्यं विनयञ्च संवर्ध्यन्ते । (अनुशासन से व्यवहार में शील, सत्य और विनय बढ़ते हैं।)

(घ) अनुशासनप्रिय छात्रः किं प्राप्नोति ? (अनुशासनप्रिय छात्र क्या प्राप्त करता हैं ?)

उत्तर– अनुशासनप्रिय छात्रः साफल्यं प्राप्नोति । (अनुशासन प्रिय छात्र सफलता को प्राप्त करता है)

(ङ) अनुशासन इति शब्देन का उक्तिः चरितार्थ ? (अनुशासन इस शब्द से कौन सी उक्ति चरितार्था होती है ?)

उत्तर- अनुशासन इति शब्देन ‘सत्यं शिवं, सुन्दरम्’ इति उक्तिः चरितार्था । (अनुशासन इस शब्द से सत्यं शिवं, सुन्दरम्’ उक्ति चरितार्थ होती है।)

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. अतः नियमानां अनुशासनम् ।

2. आत्मानुशासनम्भ वति ।

3. अनुशासनम् उन्नत्याः अस्ति

4. उच्छृङ्खलत्वं कदापि न भवति ।

5. अनुशासनस्य सर्वे स्वीकुर्वन्ति

उत्तर- 1. पालनमेव, 2. दृढम अनुशासनं, 3. द्वारं, 4. साफल्यप्रदं, 5. वैशिष्ट्यं ।

3. (अ) संधि विच्छेद कर प्रकार लिखिए-

1. आत्मानुशासनम् आत्म अनुशासनम् (स्वर संधि)

2. सर्वाधिकं = सर्व + अधिकम् (स्वर सन्धि)

3. गृहकार्यञ्च – गृहकार्यम् । च (व्यंजन सन्धि )

4. पालनमेव- पालनम् + एव (स्वर सन्धि )

5. शून्यमस्ति शून्यं + अस्ति (स्वर संधि)

(ब) समास विग्रहकर समासों के नाम लिखिए-

1. आत्मनियन्त्रणम् – आत्मनः नियन्त्रणम् (षष्ठी तत्पुरुष समास)

2. मानव जीवने मानवस्य जीवने (षष्ठी तत्पुरुष समास )

3. शीलसत्यम् – शीलं च सत्यं च (द्वन्द्व समास)

4. समयानुकूलं – समयस्य अनुकूलं (षष्ठी तत्पुरुष समास )

4. संस्कृत में अनुवाद कीजिए-

(क) मानव जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण है।

अनुवाद- मानवजीवने अनुशासनं महत्त्वपूर्ण अस्ति

(ख) नियमों का पालन अनुशासन है।

अनुवाद – नियमानां पालनं अनुशासनं अस्ति ।

(ग) अनुशासन सफलता की कुञ्जी है।

अनुवाद – अनुशासनं सफलताया कुञ्जीका अस्ति

(घ) अनुशासित छात्र विनयशील होता है।

अनुवाद अनुशासित छात्रः विनयशीलः भवति

(ङ) हमें अनुशासन का पालन करना चहिए।

अनुवाद – अस्माभिः अनुशासनं पालनीयम्।