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रेशों से वस्त्र तक – जन्तु रेशे कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 11

रेशों से वस्त्र तक – जन्तु रेशे कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 11 स्मरणीय तथ्य

रेशम कीटों से रेशम तथा भेड़, बकरी एवं याक से ऊन प्राप्त किया जाता है, इन्हें जन्तु रेशे कहते हैं।

भेड़ के शरीर से बालों को उतारकर पहले अभिमार्जन तथा छटाई की जाती है और फिर सुखाने के बाद उन्हें कात कर उनसे उन प्राप्त किया जाता है।

रेशम, मलबरी रेशम, टसर, मूंगा तथा एरी प्रकार का होता है। रेशम रेशे प्रोटीन से बने होते हैं।

रेशों से वस्त्र तक – जन्तु रेशे कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 11 - Notes of important topics

रेशम कीट को पालना, रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर) कहलाता है।

रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर)

रेशम कीट के लार्वा से तरल पदार्थ स्त्रावित होता है, जो हवा में सुखकर रेशम का रेशा बनाता है।

कोकून से रेशम के रैशों को अलग करके नसे धागा बनाने की प्रक्रिया रीलिंग कहलाती है।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

इनके उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. पश्मीना क्या है ? इसके रेशे किससे प्राप्त होते हैं ?
उत्तर- पश्मीना ऊन है। इसके रेशे कश्मीरी बकरी अंगोरा प्रजाति से प्राप्त किये जाते हैं।

प्रश्न 2. ऊन हमें किन-किन जन्तुओं से प्राप्त होता है ?

उत्तर- भेड़, बकरी, यॉक तथा ऊँट आदि जन्तुओं से ऊन प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 3. रेशम के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर- रेशम मुख्यतः दो प्रकार का होता है- (1) शहतूत रेशम, (2) गैर शहतूती रेशम।

प्रश्न 4. कोकून क्या है ?
उत्तर- रेशम के कीड़े का लार्वा एक विशेष द्रव का स्राव करता है जिससे इसके चारों ओर एक आवरण या कवच बन जाता है इसे कोकून कहते हैं।

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. नीचे दिए गए कथनों में से सही या गलत की पहचान कीजिए तथा गलत कथन को सही कर लिखिए-

1. ऊन हमें खरगोश से प्राप्त होता है।
2. रेशम के रेशे प्रोटीन से बने होते हैं।
3. रेशम कीट वयस्क अवस्था में रेशे बनाता है।
4. रेशम कीट के जीवन की अवस्थाओं का क्रम अंडा, कीट, प्यूपा, लार्वा है।
5. रेशम कीटपालन हार्टीकल्चर कहलाता है।

उत्तर- 1. गलत (सही-ऊन हमें भेड़, बकरी, यॉक तथा ऊँट से प्राप्त होता है। )
2. सही 3. गलत (सही- रेशम कीट लाव अवस्था में रेशे बनाता है।)। 4. गलत (सही- रेशम कीट के जीवन की अवस्थाओं का क्रम अण्डा, लाव, प्यूपा, कोट है) 5. गलत (सही- रेशम कीटपालन सेरीकल्चर कहलाता है।)

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) रेशम ……………के मुलायम बालों से बनायी जाती है।

(ख) पशमीना शाले से प्राप्त किया जाता है।
(ग)………….के मुँह से निकला द्रव हवा के सम्पर्क में आने से सूख जाता है।

(घ) अभिमार्जन क्रिया में बालों को धोकर तथा दूर किये जाते हैं।

(य) रेशों को धागों में बदलना कहलाता है।

उत्तर- (क) रेशम के कीड़ों, (ख) अंगोरा बकरी, (स) रेशम कीट के लावा, (घ) चिकनाई, गंदगी, धूल के कण, (य) कताई।

प्रश्न 3. सही जोड़ी बनाइए

(क)(ख)
1.रेशम कीट का भोजन(a) अभिमार्जन
2. भेड़(b) शहतूत की पत्तों
3. कोकून(c) ऊन देने वाला जन्तु
4. ऊन की सफाई(d) तंतुओं से ढकी लाव की अवस्था ।

उत्तर- 1. (b), 2. (c), 3. (d), 4. (a).

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 4. (1) रेशों से ऊन किस तरह बनाया जाता है ? समझाइए ।
उत्तर – रेशों से ऊन निम्न चरणों द्वारा प्राप्त की जाती है-

चरण 1. सबसे पहले भेड़ के शरीर से बालों को पतली परत को त्वचा के साथ उतार लिया जाता है, जिसे ऊन की कटाई कहते हैं।

चरण 2. त्वचा सहित उतारे बालों को टंकियों में डालकर अच्छी तरह धोया जाता है ताकि चिकनाई, गंदगी, धूल के कण आदि निकल जायें। यह प्रक्रिया अभिमार्जन कहलाती हैं।

चरण 3. अभिमार्जन के बाद छँटाई की जाती है। रोयेंदार बालों को कारखानों में भेजा जाता है जहाँ विभिन्न गठन वाले धागों को छांटा जाता है।

चरण 4. अगले चरण में बालों से छोटे-छोटे कोमल व फूले हुए रेशों को छाँट लिया जाता है, ये फर कहलाते हैं। इसके बाद रेशों का पुनः अभिमार्जन कर उन्हें सुखाया जाता है ये ही धागे के रूप में कालने के लिए उपयुक्त होते हैं।

चरण 5. रेशों को विभिन्न रंगों में रंगा जाता है।

चरण 6. रंगने के बाद रेशों को सीधा करके सुलझाया जाता है। और फिर लपेटकर उनसे धागा बनाया जाता है, उसे रीलिंग कहते हैं।लंबे रेशों को कातकर स्वेटर या छोटे रेशों को कातकर ऊनी वस्त्र बुने जाते हैं।

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(2) संक्षेप में लिखिए – (1) सेरीकल्चर, (2) रीलिंग।
उत्तर— (1) सेरीकल्चर – रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीट को पालना, रेशमकीट पालन या सेरीकल्चर कहलाता है।

(2) रीलिंग – रंगने के बाद रेशों को सीधा करके सुलझाया जाता है और फिर लपेटकर उनसे धागा बनाया जाता है, इसे रीलिंग कहते हैं।

(3) रेशम कीट के द्वारा रेशम कैसे बनता है ? लिखिए।

उत्तर—(1) मादा रेशम कीट अंडे देती है जिनसे लार्वा निकलते। हैं। ये लार्वा विशेष प्रकार के द्रव का स्राव करते हैं। यह द्रव हवा के सम्पर्क में आने से कड़ा होकर रेशम बनाता है। (2) लार्वा इस प्रकार बने रेशम को अपने चारों ओर लपेटता जाता है जिससे वह पूरी तरह रेशम के तंतुओं से ढंक जाता है। लाव की यह अवस्था कोकून कहलाती है।
(3) कोकून के अंदर लार्वा प्यूपा में बदल जाता है। रेशम का धागा रेशम कीट के कोकून से प्राप्त रेशों से तैयार किया जाता है। यह रेशा स्टील के तार जितना मजबूत होता है।

रेशम कीट के द्वारा रेशम