डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् कक्षा आठवीं विषय संस्कृत पाठ 5
शब्दार्था:- आसीत्= थे। महाभागः =महोदय ,धर्मपरायणा = धर्म में विश्वास करने वाली।
अनुवाद- डॉ. राधाकृष्णन् महोदय हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति थे। उनका जन्म तमिलनाडु राज्य में सन् 1888 में सितम्बर माह की पाँच तारीख को हुआ। उनके पिता श्री वीरस्वामीठय्या एक शिक्षक थे। उनकी माता धर्म में अत्यंत विश्वास करने वाली थीं ।
शब्दार्था:- स्वग्रामे =अपने गाँव में, अभवत् = हुई। एव = ही।
अनुवाद- राधाकृष्णन् महोदय की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव में ही हुई। प्रारंभ में उन्होंने पिता के संरक्षण और निर्देशन में ही विद्या अध्ययन किया। उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त की। ईस्वी सन् 1911 में उन्होंने एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनका मुख्य विषय दर्शनशास्त्र था ।
शब्दार्था:- सर्वकारेण =सरकार द्वारा, शासन द्वारा। अपि = भी। नियुक्तः = नियुक्त किये गये।
अनुवाद- डॉ. राधाकृष्णन् महोदय प्रारंभ में शिक्षक थे। उन्होंने बहुत लंबे समय तक अध्यापन कार्य किया। उन्होंने ज्ञान के अनेक उच्च पदों को अलंकृत किया। वे सन् 1921 में कोलकाता (कलकत्ता) विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विषय के प्राध्यापक थे। डॉ. राधाकृष्णन् महोदय ने सन् 1931 में आन्ध्र विश्वविद्यालय का उपकुलपति पद अलङ्कृत किया। उसके पश्चात् नौ वर्षों (1939-1948) तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलपति पद सुशोभित किया। डॉ. राधाकृष्णन् शासन के द्वारा उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गये।
शब्दार्थाः – महत् = महा । प्रसरिता = फैली।
अनुवाद -राजनीतिक्षेत्र में भी राधाकृष्णन महोदय का महान् योगदान था। सन् 1950 वर्ष में रूस देश में राजदूत के पद में उनकी नियुक्ति हुई । वे सन् 1952 वर्ष में भारत के उपराष्ट्रपति हुए, तत्पश्चात् उन्होंने राष्ट्रपति पद अलङ्कृत किया।
राधाकृष्णन् महोदय भारतीय दर्शन और पाश्चात्य दर्शन के महान् पण्डित थे। उन्होंने दर्शन विषय की अनेक पुस्तकें लिखीं। दार्शनिक के रूप में इनकी प्रसिद्धि विदेशों में भी फैल गयी।
शब्दार्थाः- पटु = कुशल। अखिलम् = सम्पूर्ण। प्रसरिता = फैली। कृतज्ञ = आभारी ।
अनुवाद – इस प्रकार राधाकृष्णन् महोदय का सम्पूर्ण जीवन एक विशाल कर्मभूमि था वे आदर्श शिक्षक, महानशिक्षा-विद् राजनीतिकुशल, प्रसिद्ध दार्शनिक, विशिष्ट देशभक्त और चिन्तक थे। उनके व्यक्तित्व का सर्वाधिक प्रशंसनीय तत्व उनके चौदह वर्षों तक देश की सेवा कोई भी नहीं भूल सकता। आज भी डॉ. राधाकृष्णन् महोदय के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर भारत कृतज्ञता प्रदर्शित करता है। आपकी असाधारण सेवा एवं विशिष्ट व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए भारत ने इन्हें ‘भारत रत्न’ नामक सर्वोच्च अलंकार से सम्मानित किया।
अभ्यास प्रश्नाः
1. संस्कृत में उत्तर दीजिए-
(क) अस्माकं देशस्य द्वितीयो राष्ट्रपतिः कः आसीत् ?
(हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति कौन थे ?)
उत्तर- अस्माकं देशस्य द्वितीयो राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् महाभागः आसीत् ।
(हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् महोदय थे।)
(ख) राधाकृष्णन् महोदयस्य माता कीदृशी आसीत् ?
(राधाकृष्णन् महोदय की माता कैसी थी ?)
उत्तर- राधाकृष्णन् महोदयस्य माता धर्मपरायणा आसीत्।
(राधाकृष्णन् महोदय की माता धर्मपरायणा थी। )
(ग) डॉ. राधाकृष्णन् भारतस्य उपराष्ट्रपतिः कदा अभवत् ?
(डॉ. राधाकृष्णन् भारत के उपराष्ट्रपति कब हुए ?)
उत्तर- डॉ. राधाकृष्णन् भारतस्य उपराष्ट्रपतिः 1952 ईसवीये वर्षे अभवत् ।
(डॉ. राधाकृष्णन् भारत के उपराष्ट्रपति 1952 ईस्वी वर्ष में हुए।)
(घ) राधाकृष्णन् महाभागः भारत राष्ट्रेण केन पुरस्कारेण सम्मानित: ?
(राधाकृष्णन् महोदय भारत में किस पुरस्कार से सम्मानित हुए ?)
उत्तर- राधाकृष्णन् महाभागः भारत राष्ट्रेण ‘भारतरत्नम्’ इति सर्वोच्चरणेन् सम्मानितः ।
(राधाकृष्णन् महोदय भारत में ‘भारत रत्न’ यह सर्वोच्च अलंकार से सम्मानित हुए।)
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सः शिक्षायाः उच्च पदानि……… |
(ख) …………. अपि राधाकृष्णन् महोदयस्य महद्योगदानम् आसीत् ।
(ग) दार्शनिकरूपेण तस्य…………विदेशेषु अपि प्रसृता
उत्तर- (क) अलङ्कृतवान्, (ख) राजनीतिक्षेत्रे, (ग) ख्यातिः ।
3. संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(क) डॉ. राधाकृष्णन् एक महान् पुरुष थे।
अनुवाद – डॉ. राधाकृष्णन् एकः महान् पुरुषः आसीत्।
(ख) वे महान् दार्शनिक थे।
अनुवाद – सः महान् दार्शनिकः आसीत् ।
(ग) हम लोग उनका आदर करते हैं।
अनुवाद – वयं जनाः तस्य आदरं कुर्मः ।
(घ) उन्होंने देश की सेवा की थी।
अनुवाद-सः देशसेवाम् अकरोत् ।
4. (क) निम्नलिखित पदों की सन्धि कर प्रकार लिखिए-
माता + अत्यन्तम् = मातात्यन्तम् (दीर्घ स्वर संधि)
विषयस्य अनेकानि विषयस्यानेकानि (दीर्घ स्वर संधि)
(ख) निम्नलिखित पदों की सन्धि विच्छेद कीजिए-
सर्वाधिकम् – सर्व + अधिकम् (स्वर संधि)
सर्वोच्च – सर्व + उच्च (स्वर संधि)
सर्वोच्चालङ्करणेन् – सर्व + उच्च + अलङ्करणेन् (स्वर संधि)
5. निम्नलिखित पदों के लिङ्ग और वचन बताइये-
लिङ्ग | वचन | |
देशस्य | पुल्लिंग | एकवचन |
शिक्षक: | पुल्लिंग | एकवचन |
शिक्षाया: | स्त्रीलिंग | एकवचन |
पुस्तकानि | नपुंसक लिंग | बहुएकवचन |
तेन | पुल्लिंग | एकवचन |
एकवचन
पुल्लिंग
पुल्लिंग
एकवचन
बहुवचन
एकवचन