मंगलकामना कक्षा आठवीं विषय संस्कृत पाठ 1
शब्दार्था:- मे = मेरा, मुझे। तातं = पिता को । सुताः =पुत्र-पुत्रियाँ ।
सरलार्थ – हे प्रभो ! मुझे देश की रक्षा हेतु शक्ति प्रदान करो। हे देवेश ! आपको प्रणाम है, मुझे बुद्धि प्रदान करें, हम आपके पुत्र हैं, हम शूर और वीर हों। गुरु, माता और पिता को हम प्रणाम करते हैं।
शब्दाथाः — स्नेहवृत्तेः = प्रेमभाव का। वर्धताम् = बढ़े। प्रजातात्रिकं = जनता का ।
सरलार्थ – हे प्रभो ! हमारे इस देश में घृणा का नाश हो, सब में सदा एकता का वास हो, प्रेमभाव का विकास हो। हमारे इस प्रजातान्त्रिक अर्थात् जनता का देश में सदा मंगल होता रहे।
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शब्दार्था – इयम् = यह । कथञ्चित् = किसी तरह ,क्षुधा = भूख, रुग्ण = रोगी।
सरलार्थ – हे प्रभो! इस हमारे देश में कोई भी भूख से व्याकुल न हो, कोई भी व्यक्ति रोगी, वस्त्रहीन या निर्बल न हो, कोई भी शिक्षा से रहित न हो अर्थात् सुशिक्षित रहे। इस प्रकार हमारे भारत की निरंतर उन्नति होती रहे।
शब्दार्थाः अयम् = यह ,नित्यं = हमेशा, लोकमातः=संसार की माता।
सरलार्थ- हे प्रभो ! मेरा भारत सुखों से परिपूर्ण हो । यहाँ आपकी कृपा हमेशा बनी रहे। मेरी यही कामना है कि यहाँ सब आनंद मङ्गल हो और लोक माता मेरी इस प्रार्थना को पूर्ण करें।
अभ्यास प्रश्नाः
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) प्रथमे श्लोके कः प्रार्थ्यते ?
(प्रथम श्लोक में किसकी प्रार्थना की गई है ?)
उत्तर- प्रथमे श्लोके गुरुं, मातरं च प्रार्थ्यते।
(प्रथम श्लोक में गुरु, माता और पिता की प्रार्थना की गई है।)
(ख) भारत मे कीदृशं भवेत् ?
(मेरा भारत कैसा हो ? )
उत्तर- मम भारतं सदा सुखैः पूर्णं भवेत् ।
(मेरा भारत हमेशा सुखों से पूर्ण रहे।)
(ग) भारतस्य सुताः कीदृशाः भवेयुः ?
(भारत के पुत्र कैसे हों ?)
उत्तर- भारतस्य सुताः शूरवीराः भवेयुः
(भारत के पुत्र शूर वीर हों ।)
(घ) अस्माकं राज्यं कीदृशमस्ति ?
(हमारा राज्य कैसा है ?)
उत्तर- अस्माकं राज्यं प्रजातान्त्रिकं अस्ति ।
(ङ) नरः कया पीडितो न भवेत् ?
(मनुष्य किससे पीड़ित न हों ?)
उत्तर – नरः क्षुधा पीडितो न भवेत् ।
(मनुष्य भूख से पीड़ित न हों।)
2. संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(क) तेरे पुत्र सदा सुखी रहें।
अनुवाद- त्वत् पुत्राः सदा सुखिनः भवेयुः ।
(ख) भारत में कोई शिक्षा से रहित न हो।
अनुवाद- भारते न कोऽपि निरक्षरः स्यात् ।
(ग) मनुष्य को तुम भोजन दो।
अनुवाद- त्वं मनुष्याय भोजनं देहि ।
(घ) हम गुरुओं को प्रणाम करें।
अनुवाद- वयं गुरुभ्यः नमेयुः ।
(ङ) सब सुखी हों।
अनुवाद- सर्वे भवन्तुः सुखिनः
3. सन्धि विच्छेद कर प्रकार लिखिए-
सुतास्ते=सुताः + ते (विसर्ग संधि)
घृणायास्तु= घृणायाः + तु (विसर्ग संधि)
दीनश्च=दीन: + च (विसर्ग संधि )
नमस्तेऽस्तु= नमः + ते अस्तु (विसर्ग संधि + व्यंजन संधि)
प्रार्थनैषा =प्रार्थना + एषा (स्वर संधि)
4. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
1. प्रभो !………..मे प्रयच्छ ।
2. सुतास्ते… भवाम।
3. भारते स्नेहवृत्तेः…………
4. सुखैः पूर्णमेतद्……….भारतं मे ।
5. इयं……….प्रार्थनैषा ।
उत्तर— 1. देश रक्षा बलं, 2. वयं शूर-वीराः, 3. विकासः, 4. भवेद, 5. कामना।