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संगणक कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 3

संगणक कक्षा सातवीं विषय संस्कृत पाठ 3 सङ्गणकः (कम्प्यूटर )

अभिषेकः – हे! भ्रातः ! तव हस्ते किं अस्ति ?

भ्राता – अभिनन्दन पत्रभिदम्।

अभिषेकः – कस्य अभिनन्दन पत्रम् ।

भ्राता – भो ! अनुज ! न जानासि त्वं । अद्य मम वर्धापनदिमस्ति । मम मित्रेण प्रेषितमिदम्।

अभिषेकः – अतीव शोभनं चित्रं दृश्यते। शुभसंदशो- ऽपि रमणीयः । कथं केन च इदं विरच्यते।

भ्राता :- भो ! बालक सुष्ठु पृष्टम्। आधुनिक

भ्राता : – श्रृणु ! इदं चित्रं न केनचित् चित्रकारेण चित्रितम्। संदशोऽपि न केनापि हस्तेन लिखितः । ‘कम्प्यूटरः’ नामक यंत्रेण सर्व क्रियते।

अभिषेकः :- भो भ्रातः ! किमेतद् ‘कम्प्यूटरः’ नाम पूर्वमया तस्य नाम न श्रुतम् । अस्य यंत्रस्य विषये कथय ।

भ्राता :- कम्प्यूटर’ विषये ज्ञातुमिच्छसि। तर्हि श्रृणु। विद्युतशक्ति – संचालितमिंद यंत्रम्। अनेन यंत्रेण सर्वविधा गणना कर्तुं शक्यते ।

शब्दार्थाः-

तव = तुम्हारे, अनुज = छोटा भाई, अद्य – = आज, विरच्यते = बनाया गया है, पूर्व=पहले, तर्हि =तो, सर्वविद्या:= सभी प्रकार की, गणना= गिनती।

अनुवाद :-

अभिषेक :- हे भाई! तुम्हारे हाथ में क्या है?

भ्राता (भाई) :- यह अभिनन्दन पत्र है ।

अभिषेक :- किसका अभिनंदन पत्र है?

भ्राता – हे अनुज (छोटा भाई) ! क्या तुम नहीं जानते ? आज मेरी वर्षगाँठ है। इसे मेरे मित्र ने भेजा है।

अभिषेक:- बहुत सुन्दर चित्र है। शुभकामना संदेश भी सुन्दर है। बताओ इसे किसने बनाया है?

भ्राता :- सुनो। इस चित्र को किसी चित्रकार ने नहीं बनाया है। संदेश भी किसी के द्वारा लिखा नहीं गया है। कम्प्यूटर नामक यंत्र द्वारा यह सब बनाया गया है।

अभिषेक :- हे भाई! क्या है – यह कम्प्यूटर (संगणक)? पहले इसका नाम नहीं सुना। इस यंत्र के विषय में बताओ।

भ्राता :- कम्प्यूटर के विषय में जानना चाहते हो, तो सुनो! यह यंत्र विद्युत (बिजली) से संचालित होता है। इस यंत्र द्वारा सभी प्रकार की गणना आसानी से कर सकते हैं।

अभिषेक: – किमनेन यंत्रेण चित्राणि अपि चित्रीयन्ते ?

भ्राता – आम्, हे अनुज ! अतीव चमत्कारकारि इदं यत्रं। न केवलं चित्राणि चित्रीकरोति, अपितु लेखन कार्यमपि करोति । रेल यात्रायाः आरक्षणं करोति। अस्मिन् यंत्रे पुस्तकानि अपि उट्टङ्गितानि भवन्ति ।

अभिषेकः -भ्रातः ! ‘कम्प्यूटर:’ विषये सर्व एतद् श्रुत्वा

जिज्ञासाः अतीव वर्धते । किमनेन यंत्रेण

संदेशानाम् आदान प्रदानम् अपि भवति ?

भ्राता :- भो ! बालक सुष्ठु पृष्टम्। आधुनिक युग अनेन सड़्गणकयंत्रेण महत्वपूर्ण संदेशानां प्रेषणमपि भवति ।

अभिषेकः – अतएव मम मित्रं ‘इंटरनेट’ इति माध्यमेन स्वमातुलं अमेरिका देशे संदेशं प्रेषयति । हे भ्रातः । इदं ‘इंटरनेट’ इति किमस्ति ।

भ्राता :- देशविदेशेषु समाचाराणां आदान प्रदानार्थं परस्परं संयोजनार्थं नवीनतम् माध्यमस्ति ।

अभिषेकः- – अस्य मंत्रस्य उपयोगः मया श्रुतः । सम्प्रति अहं ज्ञातुमिच्छामि यत् अस्य यंत्रस्य अविष्कारः केन कदा कृतः ।

भ्राता – कथयामि अनुज ! प्रथम कम्प्यूटर निर्माण ‘हावर्ड आईकेन’ महोदयेन 1944 वर्षे- कृतम् ।

शब्दार्था: –

आम् =हाँ, चित्रीकरोति = चित्र बनाता है, अपितु = बल्कि वर्धते = बढ़ गई है, सन्देशानाम् = सन्देशों का, संगणक यन्त्रेण = कम्प्यूटर से, प्रेषणमपि भेजना भी, स्वमतुलं = अपने मामा को, परस्परं = परस्पर, सम्प्रति = अब, केन = किसने, कदा = कब।

अनुवाद :-

अभिषेक:- क्या इस यंत्र के द्वारा चित्र भी बनाए जाते हैं ?

भ्राता :_ हाँ, हे भाई! यह यंत्र अति चमत्कारी है। यह न केवल चित्र बनाता है वरन् लेखन कार्य भी करता है। रेल यात्रा के लिए आरक्षण करता है। इस यंत्र से पुस्तक भी टंकन किया जाता है।

अभिषेक :- भाई ! कम्प्यूटर के विषय में यह सब सुनकर मेरी जिज्ञासा और अधिक बढ़ गई है। क्या, इस यंत्र के द्वारा संदेशों का आदान-प्रदान भी होता है ?

भ्राता :- हे बालक ! उत्तम प्रश्न है (उचित पूछा)। वर्तमान समय में कम्प्यूटर के द्वारा महत्वपूर्ण संदेशों को भेजा जाता है।

अभिषेक :- इसीलिए मेरा मित्र इंटरनेट के द्वारा अपने मामा को अमेरिका संदेश भेजता है। हे भाई! यह इंटरनेट क्या है?

भ्राता – देश-विदेश में सूचनाओं को परस्पर आदान- प्रदान करने का यह नवीनतम माध्यम है।

अभिषेक :- इस यंत्र के उपयोग के विषय में मैंने सुना है। अब मैं जानना चाहता हूँ कि इस यंत्र का आविष्कार किसने और कब किया ?

भ्राता :- बताता हूँ भाई, हावर्डआईकेन महोदय ने सर्वप्रथम कम्प्यूटर का निर्माण सन् 1944 में किया।

भ्राता :- अतीव प्रसन्नोऽहम् भो! अनुज ! अस्मिन् युगे कम्प्यूटर आवश्यकमेव । दूरदर्शनवत् अस्य एकः बहि पटल (स्क्रीन Screen) वर्तते तच्च मानीटर – इत्युच्यते। इका कीलक पट्टिका वर्तते (Key board), सी.पी. यू. (सेन्ट्रल प्रोग्राम यूनिट (C.P. U.) इति संङ्गणकस्य (कम्प्यूटरस्य) विषय वस्तुनाम् संग्रह केन्द्रं भवति । सी. पी. यू. सङ्गणकस्य मस्तिष्कः भवति । सङ्गणकः एक ‘माउस’ वर्तते । ‘माउस’ लेख सङ्कलनं व्यवस्थितं करोति । लेख प्रकाश- नाय प्रकाशनयंत्र प्रिंटर (Printer) वर्तते । ‘स्कैनर’ इति संकलन सामग्री यथावत् प्रददाति।

अभिषेक – हे भ्रातः ! ध्वनियंत्रम् किमस्ति ? अहं ज्ञातु- मिच्छामि।

भ्राता -अनुज ! भ्रूणुः ध्वनियंत्रस्य माध्यमेन संदेश: सी.पी.यू. समीपे प्रेष्यते। पश्चात् ‘मानीटर’ इति माध्यमेन प्रकाशितः संदेशः प्राप्यते ।

अभिषेक :- – हे भ्रातः ! एक एव प्रश्नः मम मनसि अवशिष्टः । यत् कम्प्यूटरे काचिद् क्रीड़ा कुर्त शक्यते।

भ्राता :- अनुज शोभनः प्रश्नः । अस्मिन यंत्रे विविधाः क्रीडा अपि सन्ति । (कम्प्यूटर खेल) बालकाः तत्र क्रीडन्ति प्रसन्ना भवन्ति । अस्तु बालक ! सम्प्रति अहं इंटरनेट माध्य- मेन स्वमित्राय अभिनन्दन पत्रस्य प्राप्ति सूचना प्रेषयितुं गच्छामि।

शब्दार्थाः

अतीव = बहुत, अनुज= भाई, दूरदर्शनवत्= दूरदर्शन की तरह, वर्तते= होता है, तच्च =और वह, प्रकाशनाय= प्रकाशन के लिए, यथावत् हूबहू=, प्रददाति देता है, ज्ञातुमिच्छामि = जानना चाहता हूँ, प्रेष्यते= भेजा जाता है, प्राप्यते= प्राप्त होता है, मनसि =मन में, विविधाः= अनेक, अपि = भी, तत्र = वहाँ।

अनुवाद-

भ्राता :-बहुत प्रसन्न हूँ। हे भाई! वर्तमान युग में कम्प्यूटर आवश्यक है। दूरदर्शन की तरह इसका बाह्य पटल होता है, इसे मॉनीटर कहते हैं। एक कीलक पट्टी होती है। सी.पी. यू. कम्प्यूटर की विषय वस्तुओं का संग्रह केन्द्र होता है। सी.पी.यू. कम्प्यूटर का मस्तिष्क होता है। कम्प्यूटर में एक माउस होता है। ‘माउस’ लेख को व्यवस्थित करता है। लेखों के प्रकाशन के लिए प्रकाशन यंत्र (प्रिन्टर) होता है। स्कैनर’ संकलन सामाग्री को यथावत् (हूबहू) प्रदान करता है।

अभिषेक :- हे भाई! ध्वनियंत्र क्या है? मैं जानना चाहता हूँ।

भ्राता :- भाई! सुनो, ध्वनि यंत्र के द्वारा संदेश सी.पी.यू. को भेजा जाता है। उसके बाद मॉनीटर के द्वारा प्रकाशित संदेश प्राप्त होता है।

अभिषेक – हे भाई! एक और प्रश्न मेरे मन में है। क्या कम्प्यूटर द्वारा कोई खेल भी खेला जा सकता है ?

भ्राता – भाई! सुन्दर प्रश्न है। इस यंत्र में कई खेल भी हैं। बच्चे वहाँ खेलते हैं व प्रसन्न होते हैं। ठीक है, बालक! आज मैं इंटरनेट के द्वारा अपने मित्र को अभिनंदन पत्र की प्राप्ति की सूचना देने जा रहा हूँ।