जीवन में आया बदलाव (सन् 650 से 1200 तक भारत में जन-जीवन )
याद रखने योग्य बातें
पल्ली—वनवासियों को छोटी-छोटी बस्तियाँ।
प्रमुख वनवासी— शबर निषाद, पुलिंद, भील आदि।
11 वीं शताब्दी में छत्तीसगढ़ के रतनपुर में 1400 तालाब बनवाए गए, जिसमें से 250 अब भी उपलब्ध हैं।
पंचकुल महत्तर कृषक परिवारों के मुखिया जो लोगों की समस्या एवं सामूहिक कार्य संपन्न कराते थे।
ब्रम्हदेव-ब्राम्हणों को दान में दिए गाँव ।
देवदान—मंदिरों को दान दिए गए गाँव ।
मण्डविक – जहाँ दूर-दूर से व्यापारी सामान खरीदने व बेचने आते थे।
बीथियाँ- स्थाई दुकानें ।
व्यापारी निजी हितों की सुरक्षा के लिए एकजूट होकर कार्य करते थे
गुजरात, कोंकण, केरल व तमिलनाडु के बंदरगाहों से दूर-दूर तक समुद्री व्यापार होता था।
भारत से मसाले, कपड़े, चावल आदि का निर्यात होता था।
मध्यकाल में भारतीय अध्यात्म में नई लहर चली जिसे हम भक्ति आन्दोलन कहते हैं। यह पहले दक्षिण भारत में (तमिलनाडु) प्रारंभ हुआ।
नायनार—आलवार शिव के भक्तों को नायनार और विष्णु के भक्तों को आलवार कहा जाता था।
आडम्बरों के विरोध में भी आंदोलन चला जिसमें प्रमुख थे-कर्नाटक के लिंगायत या वीर शैव वसवण्णा व अक्क महादेवी इस आन्दोलन के प्रमुख प्रेरक थे।
उड़ीसा का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर (कोणार्क) चंदेल राजाओं ने बनवाया। उर-नाडू ग्राम प्रमुखों की सभा को उर और कई गाँव की सभाएँ मिलती है तो उसे नाडू कहते हैं।
गर्भगृह – वह कमरा जहाँ देवी-देवताओं की स्थापना की जाती थी।