रसलीन का साहित्यिक परिचय
रसलीन का पूरा नाम सैयद गुलाम नबी था। ये रसलीन उपनाम से कविता लिखते थे। इनके पिता का नाम सैयद मुहम्मद बाकर था। ये हरदोई जिला के प्रसिद्ध कस्बा बिलग्राम के रहने वाले थे। इनका जन्म सन् 1689ई० माना जाता है। इनकी मृत्यु सन् 1750 ई० में हुयी।
रसलीन जी की रचनाएँ
इनके लिखे दो ग्रंथ अत्यन्त प्रसिद्ध हैं- अंग दर्पण, जिसकी रचना सन् 1737 ई० में हुई और इसमें 180 दोहे हैं। दूसरा रस प्रबोध जिसमें1127 दोहे हैं, इसकी रचना सन् 1747 ई० में हुई है।
रसलीन जी का वर्ण्य विषय
सूक्तियों के चमत्कार के लिए अंग दर्पण ग्रंथ काव्य रसिकों में विख्यात चला आया है।
रसलीन जी का लेखन कला
प्रसिद्ध दोहा जिसे जनसाधारण बिहारी का समझा करते हैं, ‘अंग दर्पण’ का ही है –
अमिय हलाहल मदभरे सेत स्याम रतनार।
रसलीन
जियत मरत झुकि झुकि परत जेहि चितवत इक बार
रसलीन जी साहित्य में स्थान
रीतिग्रंथकार कवि