मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे।
मतिराम जी का साहित्यिक जीवन परिचय
मतिराम का जन्म सन १६१७ में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित तिकवांपुर (त्रिविक्रमपुर) में हुआ। वे आचार्य कवि चिंतामणि तथा भूषण के भाई थे।
मतिराम जी की रचनाएँ
इनकी प्रथम कृति ‘फूलमंजरी’ है. इनका दूसरा ग्रंथ ‘रसराज’ इनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार है।इनका तीसरा ग्रंथ ‘ललित ललाम’ बूँदी नरेश भावसिंह के आश्रय में लिखा गया अलंकारों का ग्रंथ है।मतिराम की अंतिम रचना ‘सतसई’ है।
मतिराम जी का वर्ण्य विषय
इनकी सबसे बडी विशेषता इनके काव्य में सरलता, सहजता, दिखाई देती है । 11 उनकी काव्यभाषा में अलंकारों तथा छन्दों का सर्वोत्तम प्रयोग देखा जा सकता है । मतिराम रीति काल के रीति बद्ध कवियों में सर्वोच्च स्थान पर विराजित हैं इसमें सन्देह नहीं ।
मतिराम जी का लेखन कला
इसमें दोहा, कवित्त, सवैया आदि छंदों का प्रयोग है।
मतिराम जी साहित्य में स्थान
रीतिकालीन कवियों में महत्वपूर्ण स्थान