बदरीनारायण चौधरी उपाध्याय “प्रेमघन” (1 सितम्बर 1855 ई०-फाल्गुन शुक्ल 14, संवत् 1978 ) हिन्दी साहित्यकार थे। भारतेन्दु मण्डल में गिने जाने वाले प्रेमघन ने हिंदी और संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान किया।
बदरीनारायन चौधरी का जन्म
आपका जन्म भाद्र कृष्ण षष्ठी, संवत् 1912 तदनुसार 1 सितम्बर 1855 ई० को दत्तापुर, आजमगढ़ में हुआ था। पिता पं॰ गुरुचरणलाल उपाध्याय कर्मनिष्ठ तथा विद्यानुरागी ब्राह्मण थे। आप सरयूपारीण ब्राह्मण कुलोद्भूत भारद्वाज गोत्रीय खोरिया उपाध्याय थे।
बदरीनारायन चौधरी का रचनाएँ
प्रेमघन की रचनाओं का क्रमशः तीन खंडों में विभाजन किया जाता है : 1. प्रबंध काव्य 2. संगीत काव्य 3. स्फुट निबंध। वे कवि ही नहीं उच्च कोटि के गद्यलेखक और नाटककार भी थे।
कृतियाँ
(1) भारत सौभाग्य (2) प्रयाग रामागमन, संगीत सुधासरोवर, भारत भाग्योदय काव्य।
पत्रिका : 1881 को मिर्जापुर से ‘आनन्द कादम्बनी’ इनके द्वारा ही संपादित की गई।