सजीवों में नियंत्रण एवं समन्वय : स्मरणीय तथ्य
- मस्तिष्क: यह शरीर का कोमल एवं महत्वपूर्ण अंग है, जो खोपड़ी के अंदर सुरक्षित रहता है।
- मेरुरज्जु: मस्तिष्क का पिछला भाग पतला होकर लंबी बेलनाकार नली का रूप ले लेता है, इसे मेरुरज्जु कहते हैं।
- तंत्रिकाएँ: तंत्रिकाएँ धागे के समान रचनाएँ हैं जो शरीर में जाल के समान फैली रहती हैं और शरीर के प्रत्येक भाग को मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क से जोड़ती हैं।
- प्रतिवर्ती क्रियाएँ: शरीर द्वारा अपने बचाव में हमारी इच्छा के विपरीत किए गए कार्य प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं।
- ज्ञानेद्रियाँ: हमारी त्वचा, नाक, जीभ, आँख और कान संवेदी अंग हैं, जो बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं। इन्हें ज्ञानेन्द्रियाँ कहते हैं।
- सजीवों में नियंत्रण एवं समन्वय: यह कार्य दो प्रकार से होता है – तंत्रिका तंत्र द्वारा तथा रासायनिक पदार्थों द्वारा।
- मस्तिष्क: मस्तिष्क बोलना, सुनना, पहचानना, स्पर्श, स्वाद, गंध आदि क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है।
- संवेदी तंत्रिकाएँ: वे तंत्रिकाएँ जो शरीर के विभिन्न भागों से सूचना मस्तिष्क अथवा मेरुरज्जु तक ले जाती हैं, उन्हें संवेदी तंत्रिकाएँ कहते हैं।
- प्रेरक तंत्रिकाएँ: वे तंत्रिकाएँ जो मस्तिष्क अथवा मेरुरज्जु से आदेश शरीर के विभिन्न अंगों तक लाती हैं, उन्हें प्रेरक तंत्रिकाएँ कहते हैं।
- अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ: हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तंत्र के अलावा कुछ विशेष ग्रंथियाँ होती हैं, जिन्हें अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ कहते हैं।
- प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ: पीयूष, थाइरॉयड, पैराथाइरॉयड, एड्रीनल, अग्न्याशय एवं वृषण हैं।
- पादप हार्मोन: जन्तुओं की तरह पौधों में भी हार्मोन बनते हैं, वे पादप हार्मोन कहलाते हैं।
- हार्मोन: हार्मोन शरीर में धीमी गति से होने वाली क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं।
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. निम्न में से कौन-कौन सी प्रतिवर्ती क्रियाएँ हैं?
(क) गर्म वस्तु से हाथ छू जाने पर हाथ का तत्काल हटना।
(ख) वस्तु को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना।
(ग) सोच-समझकर कार्य करना।
(घ) अचानक हुए धमाके की आवाज से चौंकना।
(ङ) ठंड में ठिठुरना।
उत्तर: (क), (घ) और (ङ) प्रतिवर्ती क्रियाएँ हैं।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन मेरुरज्जु के द्वारा होता है।
(ख) मस्तिष्क तक सूचना ले जाने वाली तंत्रिका को संवेदी तंत्रिका कहते हैं।
(ग) स्पर्श का अनुभव त्वचा के द्वारा होता है।
(घ) वृद्धि हॉर्मोन के कारण हम लंबाई में बढ़ते हैं।
(ङ) रक्त में शर्करा की मात्रा पर नियंत्रण अग्न्याशय में बना हॉर्मोन करता है।
(च) जिबरेलिन हॉर्मोन पौधों में पुष्प खिलने को प्रेरित करता है।
प्रश्न 3. उचित संबंध जोड़िए
- वृषण एवं अण्डाशय → द्वितीयक लैंगिक लक्षण
- अग्न्याशय → रक्त में शर्करा की मात्रा पर नियंत्रण
- पीयूष ग्रंथि → मास्टर ग्रंथि
- जिबरेलिन → पादप हार्मोन
प्रश्न 4. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए
- सजीवों में रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर: सजीवों में रासायनिक नियंत्रण एवं समन्वय अन्तःस्रावी ग्रंथियों द्वारा किया जाता है। - प्रेरक तंत्रिका का कार्य बताइए।
उत्तर: प्रेरक तंत्रिका मस्तिष्क अथवा मेरुरज्जु से आदेश को विभिन्न अंगों तक पहुँचाती है। - संवेदी अंग किसे कहते हैं?
उत्तर: हमारी त्वचा, नाक, जीभ, आँख, और कान संवेदी अंग हैं, जो बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं। - अन्तःस्रावी ग्रंथियों को नलिकाविहीन ग्रंथियाँ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: अन्तःस्रावी ग्रंथियों में बने हॉर्मोन को शरीर के किसी भाग में पहुँचाने के लिए कोई नली नहीं होती, इसलिए इन्हें नलिकाविहीन ग्रंथियाँ कहते हैं। - पादप हॉर्मोन के कार्य लिखिए।
उत्तर: पादप हार्मोन एवं उनके कार्य निम्नलिखित हैं:- ऑक्सीन: पौधों में वृद्धि को प्रेरित करता है।
- जिबरेलिन: पुष्प खिलने को प्रेरित करता है।
- साइटोकायनिन: कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
- एब्सिसिक एसिड: पौधों में जब पूर्ण वृद्धि हो जाती है, तब वृद्धि रोकने का कार्य करता है।