सजीवों में गति एवं प्रचलन : स्मरणीय तथ्य
- अनुवर्तन – पौधों के विभिन्न अंगों द्वारा उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया दिखलाना अनुवर्तन कहलाता है।
- गुरुत्वानुवर्तन – पौधों में होने वाली ऐसी गति जो पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण होती है, गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है।
- प्रकाशानुवर्तन – तने में होने वाली गति जो प्रकाश की तरफ होती है, प्रकाशानुवर्तन कहलाती है।
- स्पर्शानुवर्तन – वह गति जो पौधों में स्पर्श से उत्पन्न होती है, स्पर्शानुवर्तन कहलाती है।
- प्रचलन – जन्तुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना प्रचलन कहलाता है।
- पौधों के विभिन्न भाग – बाह्य उद्दीपन के कारण गति करते हैं।
- केंचुएँ में गति – पेशियों के संकुचन और शिथिलन से होती है।
- मक्खी और मच्छर में गति – पंखों और उनसे जुड़ी पेशियों द्वारा होती है।
- मछली – पंखों और पेशीयुक्त पूँछ की सहायता से तैरती है।
- साँप – माँसपेशियों और रीढ़ की हड्डी की सहायता से रेंगता है।
- पक्षियों में उड़ान – पंख पाये जाते हैं, जिनकी पेशियाँ मजबूत और उड़ने के लिए विशेष रूप से अनुकूलित होती हैं।
- हमारे शरीर में गति – कंकाल और पेशियाँ पायी जाती हैं।
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. दिये गये कथनों में सही व गलत की पहचान कर कथनों को सही कर लिखिये
- (क) हड्डियों में पेशियों के संकुचन और शिथिलन के कारण होती है।
सुधार: केंचुएँ में पेशियों के संकुचन और शिथिलन के कारण गति होती है। - (ख) तनों की गति को धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन कहते हैं।
सुधार: तनों की गति को प्रकाशनुवर्तन कहते हैं। - (ग) गुलाब में स्पर्शानुवर्तन पाया जाता है।
सुधार: गुलाब में स्पर्शानुवर्तन नहीं होता है। - (घ) जड़ों की प्रकाश की ओर गति जलानुवर्तन कहलाती है।
सुधार: जड़ों की जल की ओर गति जलानुवर्तन कहलाती है।
प्रश्न 2. अनुवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर: पौधों के विभिन्न अंगों द्वारा उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया दिखाना अनुवर्तन कहलाता है।
प्रश्न 3. जड़ें भूमि की ओर गति करती हैं। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जड़ों का मुख्य कार्य पौधों को जल तथा खनिज लवण उपलब्ध कराना है अतः जड़ें अपने कार्य के अनुकूल भूमि की ओर गति करती हैं। यह पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण होता है।
प्रश्न 4. छुई-मुई की पत्तियों में होने वाली गति को लिखिए।
उत्तर: छुई-मुई की पत्तियों को छूने पर इसकी पत्तियाँ बंद हो जाती हैं। इसे कंपानुकुंचन कहते हैं।
प्रश्न 5. सूक्ष्मजीवों में होने वाले प्रचलन को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर: सूक्ष्मजीवों में प्रचलन के विभिन्न तरीके होते हैं। एककोशिय अमीबा में प्रचलन करने के लिए पादाभ बनते हैं। युग्लीना में प्रचलन के लिए कशाभिका होती है। पैरामीशियम में प्रचलन के लिए सीलिया होती हैं, जो इन्हें पानी में तैरने में मदद करती हैं।
प्रश्न 6. जंतुओं के प्रचलन में पेशियों का कार्य लिखिए।
उत्तर: जंतुओं के प्रचलन में पेशियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। केंचुएँ में यह कार्य पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन के कारण होता है। मक्खी तथा मच्छर पंखों की सहायता से उड़ते हैं। मछली तैरने के लिए पेशीयुक्त पूँछ और पंखों का प्रयोग करती है। साँप माँसपेशियों और रीढ़ की हड्डी की सहायता से रेंगते हैं। पक्षियों के अग्रपाद पंखों में रूपांतरित हो जाते हैं और ये उड़ने में सहायता करते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मनुष्य शरीर में गति एवं चलन किस प्रकार होती है?
उत्तर: हमारे शरीर में गति एवं चलन के लिए विकसित कंकाल और पेशियाँ हैं। प्रत्येक हड्डी में गति के लिए संकुचन पेशी होती है, जो हड्डी में गति लाती है, और शिथिलन पेशी हड्डियों को वापस अपनी जगह पर ले आती है।
प्रश्न 2. चमगादड़ में प्रचलन किस प्रकार होता है?
उत्तर: चमगादड़ एक उड़ने वाला स्तनधारी है। इसमें उड़ने के लिए शरीर के अग्रपाद और पश्चपाद के मध्य त्वचा से बनी एक झिल्ली पायी जाती है, जिससे पंख के समान रचना बन जाती है। जो उड़ने में सहायता करती है।
प्रश्न 3. प्रचलन एवं गति का जन्तुओं के जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर: प्रचलन के कारण ही जन्तु अपना भोजन एवं जल स्त्रोत ढूंढ लेते हैं तथा शिकारी जन्तुओं से दूर भागकर अपनी सुरक्षा कर लेते हैं। इसके अतिरिक्त साथी की तलाश, अंडे देने और नवजात के पालन हेतु सुरक्षित स्थान ढूंढने में सफल हो पाते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- जड़ें अधिक जल प्राप्ति के लिए जल की ओर गति करती हैं। इसे जलानुवर्तन कहते हैं।
- छुई-मुई में कंपानुकुंचन गति होती है।
- कुम्हड़ा, मटर, लौकी में स्पर्शानुवर्तन पाया जाता है।
- जंतुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान जाना प्रचलन कहलाता है।
- अमीबा में प्रचलन करने के लिए पादाभ बनते हैं।
- पैरामीशियम में प्रचलन के लिए सीलिया होती है।
- केंचुएँ में प्रचलन पेशियों के संकुचन तथा शिथिलन द्वारा होता है।
- पक्षियों के अग्रपाद पंखों में रूपांतरित हो जाते हैं।
- हमारे शरीर में गति एवं चलन के लिए कंकाल, पेशियाँ हैं।
- मछली तैरने के लिए पूँछ तथा पंख का प्रयोग करती है।