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भक्तिकाल का विस्तार राजनैतिक दृष्टि से

भक्तिकाल का विस्तार: राजनीतिक दृष्टि से

  1. सल्तनत काल की शुरुआत
    • भक्तिकाल का विस्तार मुख्य रूप से तुगलक वंश (दिल्ली सल्तनत) से शुरू होकर मुगल बादशाह शाहजहाँ के शासनकाल तक रहा।
    • दिल्ली सल्तनत का इतिहास तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण से प्रारंभ हुआ।
  2. राजपूतों की पराजय और दिल्ली सल्तनत की स्थापना
    • राजपूत राजाओं की आपसी फूट के कारण पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौरी द्वारा पराजित हुए।
    • जयचंद्र की हार और कुतुबुद्दीन ऐबक के नेतृत्व में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।
  3. सल्तनत का विस्तार
    • 13वीं सदी के अंत तक दिल्ली सल्तनत का विस्तार मालवा, गुजरात, दक्कन और दक्षिण भारत तक हुआ।
    • अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) ने साम्राज्य के विस्तार और केन्द्रीकरण की नीति आरंभ की।
    • मुहम्मद बिन तुगलक (1324-1351 ई.) के शासनकाल में यह नीति अपने चरम पर पहुँची।
  4. मुगल साम्राज्य की स्थापना
    • पानीपत की पहली लड़ाई (1526 ई.) में लोदी वंश के इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की।
    • बाबर के बाद हुमायूँ (1530-1540 और 1555-1556 ई.) का शासन रहा।
  5. अकबर का शासन और साम्राज्य का स्थायित्व
    • हुमायूँ की मृत्यु (1556 ई.) के बाद अकबर (1556-1605 ई.) ने मुगल साम्राज्य को स्थिर और विशाल बनाया।
    • अकबर के शासनकाल में प्रगति और स्थायित्व की शुरुआत हुई।
  6. 17वीं सदी का पूर्वाद्ध और मुगल शासन
    • जहाँगीर (1605-1627 ई.) और शाहजहाँ (1628-1658 ई.) के कुशल नेतृत्व में मुगल साम्राज्य उन्नति की ओर अग्रसर हुआ।
    • शाहजहाँ के शासनकाल के अंत के साथ ही भक्तिकाल का समापन हुआ।
  7. रीतिकाल का आरंभ
    • शाहजहाँ के पश्चात हिन्दी साहित्य में रीतिकाल का दौर शुरू हुआ।