भक्तिकाल का विस्तार: राजनीतिक दृष्टि से
- सल्तनत काल की शुरुआत
- भक्तिकाल का विस्तार मुख्य रूप से तुगलक वंश (दिल्ली सल्तनत) से शुरू होकर मुगल बादशाह शाहजहाँ के शासनकाल तक रहा।
- दिल्ली सल्तनत का इतिहास तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण से प्रारंभ हुआ।
- राजपूतों की पराजय और दिल्ली सल्तनत की स्थापना
- राजपूत राजाओं की आपसी फूट के कारण पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौरी द्वारा पराजित हुए।
- जयचंद्र की हार और कुतुबुद्दीन ऐबक के नेतृत्व में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।
- सल्तनत का विस्तार
- 13वीं सदी के अंत तक दिल्ली सल्तनत का विस्तार मालवा, गुजरात, दक्कन और दक्षिण भारत तक हुआ।
- अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) ने साम्राज्य के विस्तार और केन्द्रीकरण की नीति आरंभ की।
- मुहम्मद बिन तुगलक (1324-1351 ई.) के शासनकाल में यह नीति अपने चरम पर पहुँची।
- मुगल साम्राज्य की स्थापना
- पानीपत की पहली लड़ाई (1526 ई.) में लोदी वंश के इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की।
- बाबर के बाद हुमायूँ (1530-1540 और 1555-1556 ई.) का शासन रहा।
- अकबर का शासन और साम्राज्य का स्थायित्व
- हुमायूँ की मृत्यु (1556 ई.) के बाद अकबर (1556-1605 ई.) ने मुगल साम्राज्य को स्थिर और विशाल बनाया।
- अकबर के शासनकाल में प्रगति और स्थायित्व की शुरुआत हुई।
- 17वीं सदी का पूर्वाद्ध और मुगल शासन
- जहाँगीर (1605-1627 ई.) और शाहजहाँ (1628-1658 ई.) के कुशल नेतृत्व में मुगल साम्राज्य उन्नति की ओर अग्रसर हुआ।
- शाहजहाँ के शासनकाल के अंत के साथ ही भक्तिकाल का समापन हुआ।
- रीतिकाल का आरंभ
- शाहजहाँ के पश्चात हिन्दी साहित्य में रीतिकाल का दौर शुरू हुआ।